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आदिवासी हो समाज में एक गोत्र में शादी गुनाह

आदिवासियों को एकजुट नहीं कर पा रही आदिवासी हो महासभा आदिवासी हो समाज का सात माह तक पर्व-त्योहार मानने से बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित चाईबासा : आदिवासी हो समाज में एक गोत्र (किलि) के लड़का-लड़की की शादी नहीं होती है. यदि कोई शादी करता है, तो उसका सामाजिक बहिष्कार और गांव से बाहर […]

आदिवासियों को एकजुट नहीं कर पा रही आदिवासी हो महासभा

आदिवासी हो समाज का सात माह तक पर्व-त्योहार मानने से बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित
चाईबासा : आदिवासी हो समाज में एक गोत्र (किलि) के लड़का-लड़की की शादी नहीं होती है. यदि कोई शादी करता है, तो उसका सामाजिक बहिष्कार और गांव से बाहर कर दिया जाता है. लेकिन आदिवासी हो समाज ऐसे पापी को शादी करने का फैसला सुनाता है. उक्त बातें चाईबासा के वयोवृद्ध पूर्व सांसद बागुन सुंबरूई ने कहीं. वे गुरुवार को गुटुसाई स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने मझगांव थानांतर्गत एक गांव में चाचा ने भतीजी से दुष्कर्म और बच्चे जन्म देने की घटना को निंदनीय बताया. ऐसे मामलों में आदिवासी हो महासभा को आगे आना चाहिए. आदिवासी हो महासभा आदिवासियों को एकजुट नहीं कर पा रही है.
आदिवासी हो समाज सात माह तक पर्व-त्योहार मानता है. इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. हर गांव में अलग-अलग तिथियों पर पर्व मनाते हैं. श्री सुंबरूई ने आदिवासी हो केंद्रीय महासभा को भाजपा और युवा आदिवासी हो महासभा को आरएसएस का संज्ञान दिया.
धर्मांतरण पर नहीं लगनी चाहिए रोक
उन्होंने कहा कि धर्मांतरण पर किसी को रोक नहीं लगानी चाहिए. कोई भी समाज का व्यक्ति धर्म परिवर्तन करने के लिये स्वतंत्र है. वारंग क्षिति लिपि के जनक लाको बोदरा ने भी इसाई धर्म अपनाया था. वे रोमन कैथोलिक रोमन चर्च के प्रचारक थे. उन्होंने अपना नाम अल्फ्रेड फिलिप बोदरा रखा था.

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