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पंचायत चुनाव से पीएलएफआइ के निशाने पर थे नेलन

मनोहरपुर : पूर्व एसपीओ सह झामुमो कार्यकर्ता नेलन तोपनो पिछले पंचायत चुनाव से पीएलएफआइ के निशाने पर थे. पुलिस के अनुसार उनके ऊपर दो बार हमला होने की गुप्त जानकारी पुलिस को पूर्व में मिली थी. इसके कारण पुलिस ने नेलन को संरक्षण भी दिया था. पंचायत चुनाव में प्रत्याशी खड़ा करने को लेकर पीएलएफआइ […]

मनोहरपुर : पूर्व एसपीओ सह झामुमो कार्यकर्ता नेलन तोपनो पिछले पंचायत चुनाव से पीएलएफआइ के निशाने पर थे. पुलिस के अनुसार उनके ऊपर दो बार हमला होने की गुप्त जानकारी पुलिस को पूर्व में मिली थी. इसके कारण पुलिस ने नेलन को संरक्षण भी दिया था. पंचायत चुनाव में प्रत्याशी खड़ा करने को लेकर पीएलएफआइ ने उन्हें अल्टीमेटम दिया था.

चुनाव प्रचार करने पर धमकी दी थी. पुलिस के मुताबिक नेलन पिछले जनवरी तक एसपीओ के रूप में कार्यरत थे.दहशत में परिजन, शव का नहीं होने दे रहे थे पोस्टमार्टम : नेलेन मिलनसार व्यक्ति थे. नेलन की हत्या की खबर से सुबह से लोग थाने में जुटने लगे थे. नेलन के परिजन, ग्रामीण व उनके चाहने वाले शव के पोस्टमार्टम का विरोध कर रहे थे. परिजन दहशत में हैं. अपनी असुरक्षा की भावना को लेकर एसपी को बुलाने की मांग कर रहे थे. मनोहरपुर से डीएसपी राममनोहर शर्मा,

इंस्पेक्टर रतन कुमार व मनोहरपुर थाना प्रभारी पतरस नाग के समझाने और पुलिस से हर संभव मदद देने की बात पर ग्रामीणों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जाने दिया. रोज इसी वक्त घर जाता जाता था नेलन : नेलन प्रतिदिन रात 8 बजे से 10 बजे के बीच आनंदपुर से अपने घर गोइराबेड़ा जाता था. हमलावरों को इस रूटीन का ज्ञान था. इसी का फायदा उठाते हुए हमलावरों ने घात लगाकर उनका पीछा किया.

रात 8 बजे बेटे से बात की थी नेलन ने : नेलन के छोटे बेटे तुरबेन तोपनो ने रोते हुए बताया कि सोमवार रात 8 बजे पिताजी ने फोन किया था. उन्होंने कहा था कि कल आधार कार्ड को सिमकार्ड के साथ लिंक करना है. पूरी रात वापस नहीं लौटे. सुबह उनकी हत्या की खबर मिली.
भरापूरा परिवार है नेलन का : नेलेन का छोटा बेटा तुरबेन भालुडुंगरी में रहकर चारबंदिया स्कूल में दसवीं क्लास में पढ़ता है. दो बड़ी बेटी ज्योति तोपनो मनोहरपुर व एडलीना तोपनो चाईबासा में रहकर कॉलेज की पढ़ाई करती है. नेलन का सबसे बड़ा बेटा मासकल तोपनो गुजरात के सूरत में काम करता है.
अंतिम संस्कार के लिए पुलिस ने की आर्थिक सहायता : नेलन के अंतिम संस्कार में आर्थिक सहायता के लिए आनंदपुर थाना से आनंदपुर बीडीओ को फोन किया गया. बीडीओ के फोन नहीं उठाने पर थाना से एक अधिकारी को बीडीओ के पास भेजा गया. इस बीच पुलिस ने पांच हजार की सहायता राशि परिजनों को दी. आनंदपुर बीडीओ मनोज कुमार तिवारी ने तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराने में अपनी असमर्थता जाहिर की. उन्होंने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र बनने के बाद सामाजिक सुरक्षा पेंशन उपलब्ध कराया जायेगा. नक्सली हिंसा में मारे जाने का लाभ भी मिलेगा.
एसपी से रोबोकेरा में कैंप खोलने की मांग : नेलन की हत्या को लेकर आनंदपुर पहुंचे पुलिस अधीक्षक अनीश गुप्ता से ग्रामीणों ने रोबोकेरा में सीआरपीएफ कैंप खोलने की मांग की.
सरकार जनता को सुरक्षा देने में अक्षम : जोबा : घटना की सूचना पर मनोहरपुर विधायक जोबा मांझी आनंदपुर थाना पहुंची. उन्होंने मृतक के परिजन व पुलिस से घटना की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि घटना के संबंध में कुछ कहना जल्दबाजी होगी. प्रशासनिक जांच के बाद स्पष्ट हो पायेगा. उन्होंने घटना के लिए सरकार को दोषी ठहराया. कहा, सरकार जनता को सुरक्षा देने में अक्षम है. ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए.
ग्रामीणों ने कहा, तीन गोलियों की आवाज सुनी
घटना की जानकारी मिलते ही देर रात आनंदपुर थाना प्रभारी चंदन कुमार सिंह व सीआरपीएफ के सहायक समादेष्ठा सुरेंद्र कुमार दलबल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. नेलन के परिजनों को सूचित किया गया. ग्रामीणों ने बताया कि तीन बार गोली चलाने की आवाज सुनी थी. हालांकि नेलन को दो गोली लगी है. अंदाजा है कि मोटरसाइकिल पर होने के कारण एक गोली मिस हो गयी होगी. घटनास्थल से पुलिस को एक खोखा भी मिला है.
सारंडा में सुरक्षा कैंप शुरू होने से नक्सली हिंसा घटी
सोमवार की रात गोइराबेड़ा में नेलन तोपनो की हत्या के बाद ग्रामीणों ने रोबोकेरा में कैंप स्थापना की मांग की. ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र में अपराध, नक्सली गतिविधि बढ़ी है. आनंदपुर के क्षेत्र विस्तार को देखते हुए ग्रामीणों ने उक्त मांग की है. ग्रामीणों ने लिखित रूप से कैंप लगाने की मांग की है. मालूम रहे कि लगभग एक दशक पूर्व अस्तित्व में आये आनंदपुर प्रखंड में संसाधन व इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है. इसका फायदा नक्सली उठाते रहे हैं. सात पंचायत में लगभग 88 गांव हैं. प्रखंड में एकमात्र सीआरपीएफ कैंप आनंदपुर प्रखंड मुख्यालय में है. तीन वर्ष पूर्व तक इसी सीआरपीएफ कैंप के जिम्मे विधि व्यवस्था थी. 19 साल बाद वर्ष 2015 मे आनंदपुर थाना शुरू की गयी थी.

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