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बस कर्मियों की मनमानी से परेशानी
परिवाहन विभाग मौन , प्रशासन भी नहीं उठा रहा कोई कदम सिमडेगा : डीजल के दाम में लगभग 10 रुपये की कमी की गयी है. बावजूद बस किराया में कोई कमी नहीं हुआ है. सिमडेगा से विभिन्न शहरों को जाने वाली बसों में बस कर्मियों द्वारा मनमाने ढंग से किराया वसूल किया जाता है. परिवहन […]
परिवाहन विभाग मौन , प्रशासन भी नहीं उठा रहा कोई कदम
सिमडेगा : डीजल के दाम में लगभग 10 रुपये की कमी की गयी है. बावजूद बस किराया में कोई कमी नहीं हुआ है. सिमडेगा से विभिन्न शहरों को जाने वाली बसों में बस कर्मियों द्वारा मनमाने ढंग से किराया वसूल किया जाता है. परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित दर से बस कर्मियों को कोई लेना-देना नहीं है.
परिवहन विभाग भी पूरी तरह मौन है तथा प्रशासन भी कोई कदम नहीं उठा रहा है. हालांकि बस किराया को कम करने के लिए लगातार आवाज उठायी जा रही है. किंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इस संबंध में प्रिंस चौक निवासी प्रकाश जायसवाल का कहना है कि दो रुपये भी डीजल का दाम बढ़ता है तो बस कर्मी तुरंत किराया बढ़ा देते हैं, किंतु डीजल का दाम कम होने पर बस कर्मी चुप्पी साध लेते हैं. उनका कहना है कि जिस प्रकार किराया बढ़ाया गया है
उसी अनुपात में किराया कम भी किया जाना चाहिए.
तारकेश्वर भारती कहते हैं कि किराया कम करने मांग लगातार जारी है. किंतु बस कर्मी अपनी मनमाने किराया वसूलने में लगे हैं. शहरी क्षेत्र निवासी नवीन मातनहेलिया कहते हैं कई जिलों में किराया कम कर दिया गया है. किंतु सिमडेगा में किराया कम नहीं किया जा रहा है. किराया में कमी आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए.
भट्ठीटोली निवासी शकील अख्तर ने कहा कि बस कर्मियों की मनमानी से ही किराया कम नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मालवाहक वाहनों में जब किराया कम कर दिया गया है तो फिर बस किराया कम क्यों नहीं किया जा रहा है. राकेश बंसल कहते हैं जनता की कमजोरी के कारण ही बस कर्मियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है.
इसके विरोध में जनता को सामने आना चाहिए. रामनिवास अग्रवाल का कहना है कि परिवहन विभाग के मिली भगत से ही बस किराया कम करने की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है. इसके लिए आम लोगों को आगे आना चाहिए. राजकुमार गुप्ता, नारायण बंसल, किशन शर्मा नीरज कुमार आदि का कहना है कि बस किराया को कम कराने के लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए. जनता किराया कम करने की मांग कर रही है, किंतु जनप्रतिनिधि मौन बैठे हैं.
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