उड़िया भाषा के विकास व संरक्षण को लेकर साहित्य सम्मेलनी आयोजित
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मातृभाषा में दे बच्चों को शिक्षा
उड़िया भाषा के विकास व संरक्षण को लेकर साहित्य सम्मेलनी आयोजित सरायकेला : उड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति के विकास व संरक्षण को लेकर मंगलवार को श्रीपीठ के कवि कुटिर में साहित्य सम्मेलनी का आयोजन किया गया. मौके पर बतौर मुख्य अतिथि संवाद साहित्य की संयोजिका डॉ शुभश्री लेंका ने कहा कि उड़िया भाषा के […]
सरायकेला : उड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति के विकास व संरक्षण को लेकर मंगलवार को श्रीपीठ के कवि कुटिर में साहित्य सम्मेलनी का आयोजन किया गया. मौके पर बतौर मुख्य अतिथि संवाद साहित्य की संयोजिका डॉ शुभश्री लेंका ने कहा कि उड़िया भाषा के विकास व संरक्षण को लेकर वे प्रयासरत हैं. वे अपने संवाद साहित्य के माध्यम से सरायकेला व उड़िया भाषा साहित्य के विकास में हरसंभव सहयोग दिया जायेगा.
अतनु कवि ने कहा कि मातृभाषा शिक्षा दान का उत्कृष्ट माध्यम है. श्री कवि ने कहा कि उड़िया भाषा व विकास के संरक्षण में कवि कुटिर ऐतिहासिक माध्यम साबित होगा. जहां से उड़िया भाषा की एकमात्र पत्रिका पलाश का विमोचन हो रहा है. सम्मेलनी को अधिवक्ता काशीनाथ कर, सुशील षाड़ंगी, मनोज दल बेहरा, अजीत पानीग्राही व शिवलाल महांती संबोधित करते हुए उड़िया भाषा व विकास के संरक्षण को लेकर समाज की एकजुटता पर बल दिया गया.
संवाद साहित्य घर गठित
सम्मेलनी के दौरान श्रीपीठ में संवाद साहित्य घर की स्थापना की गयी. इसमें प्रो अतनु कवि को सभापति, नरेश चंद्र महापात्र को उपसभापति, पंचानन राउत को सचिव, आलोक साहू को कोषाध्यक्ष, प्रो अतुल सरदार व रजत पटनायक को सह सचिव, सुशील षाड़ंगी व भोलानाथ महांती को सह कोषाध्यक्ष बनाया गया. साहित्य घर में में प्रशांत पटनायक, काशीनाथ साहू,असीम कवि, मुरलीधर षाड़ंगी, चंद्रशेखर दुबे, ममनबोध मिश्रा, झरना कवि, दशरथ प्रधान, सुजीत हाजरा, सूर्यनारायण पति, राजेश पति व अजय साहू को सक्रिय सदस्य के रूप में रखा गया.
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