सरायकेला : भाषा संस्कृति के विकास के लिए सरकार प्रत्यनशील है. इसी के तहत सरकार सूबा के अधिकांश जनजातीय भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देकर संरक्षण दे रही है, ताकि भाषा संस्कृति का विकास हो सके.
उक्त बातें आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने स्थानीय पाठागार में आयोजित कोल गुरु लोको बोदरा की जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में हम अपनी भाषा संस्कृति को भुलते जा रहे हैं. अगर यही स्थिति रही, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा अस्तित्व ही मिट जायेगा.
कोल गुरु लोको बोदरा ने वारंड्ग क्षिति लिपि का अविष्कार कर हमारी भाषा को संरक्षित करने का प्रयास किया है, उनके प्रयास को सार्थक करते हुए हम अपने बच्चों को वारंड्ग क्षिति लिपि से ही शिक्षा देने का संकल्प लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा की भाषा संस्कृति के विकास के लिए कल्याण विभाग द्वारा सरायकेला व राजनगर के कई गांवों में कल्चरल भवन का निर्माण किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि जिला के मानकी, मुंडा, मांझी, महाल को लेकर सरकार गंभीर है. इन्हें जल्द ही मानदेय दिया जायेगा. अतुल सरदार ने कहा कि समाज के विकास के लिए युवाओं को आगे आना पड़ेगा.
सभा को रूईदाश लेयांगी, सुमन मुर्म, रामदास टुडु, अनिल सुरेन, दीपक गोडसेरा, सीताराम तियु, बिनु तियु आदि ने संबोधित किया. इस मौके पर सोनाराम बानसिंह, दीपक गोडसेरा, बीजु केराई, ब्रजमोहन पुरती आदि उपस्थित थे. इस मौके पर नृत्य दलों को पुरस्कृत किया गया, जिसमें प्रथम स्थान पर कस्तूरबा गांधी अवासीय विद्यालय, द्वितीय स्थान पर एनआर उवि स्कूल पुरस्कृत किये गये.