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कुचाई में हल्दी की बंफर खेती, 20 टन से अधिक पैदावार

मेरमजंगा: के ग्रामीणों द्वारा तैयार किये गये हल्दी के गांठ, हल्दी के गांठ को पावडर बना कर सुखेते ग्रामीण तथा अपने खेतों में तैयार किये हल्दी के गांठ को दिखाते ग्रामीण संवाददाता खरसावां / कुचाई बुरीबुड़ा के पहाडि़यों की तलहटी पर स्थित कुचाई के गोमियाडीह पंचायत में इस वर्ष हल्दी की बंफर पैदावार हुई है. […]

मेरमजंगा: के ग्रामीणों द्वारा तैयार किये गये हल्दी के गांठ, हल्दी के गांठ को पावडर बना कर सुखेते ग्रामीण तथा अपने खेतों में तैयार किये हल्दी के गांठ को दिखाते ग्रामीण संवाददाता खरसावां / कुचाई बुरीबुड़ा के पहाडि़यों की तलहटी पर स्थित कुचाई के गोमियाडीह पंचायत में इस वर्ष हल्दी की बंफर पैदावार हुई है.

हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त माने जाने वाले इस क्षेत्र में जैविक पद्धति से हल्दी की खेती करायी गयी थी. ढलान जमीन व किसानों के मेहनत के बल पर यहां बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती हुई थी. क्षेत्र में करीब 20 टन हल्दी के उत्पादन होने की बात कही जा रही है. किसान अब हल्दी के गांठ को जमीन से निकाल कर इसे पावडर बनाने का कार्य कर रहे है. किसानों को बेहतर बाजार के साथ अच्छी कीमत भी मिल रही है.

यहां की हल्दी लेने के लिए दूसरे शहरों से व्यापारी भी पहुंच रहे है. इस साल पांच सौ हेक्टेयर जमीन में हल्दी की खेती कराने की तैयारी चल रही है. गोमियाडीह पंचायत के ईचाडीह, सेलायडीह, मेरमजंगा, जेनालगांग-बाडेडीह, गोमियाडीह, कुदाडीह, बांडु, हातनाबेड़ा, बुरी-बुड़ा कांडेरांगो, लोओबेड़ा, डोंगामार्चा समेत आसपास के गांवों में की गई हल्दी की खेती से लोगों को अच्छी आमदनी हुई है. क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को कृषि के लिए बारिश के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. गांव के किसान ने बताया कि हल्दी की खेती के लिए काफी कम पानी की आवश्यकता होती है और बारिश की पानी से ही खेती की जा सकती है.

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