खरसावां : कई रोगों में देशी चिकित्सा व्यवस्था आयुव्रेद काफी कारगर साबित होती है, परंतु खरसावां कुचाई में आयुव्रेदिक चिकित्सकों की कमी से देशी चिकित्सा व्यवस्था दम तोड़ रही है. एक चिकित्सक पर खरसावां कुचाई के चार आयुव्रेदिक चिकित्सालयों का जिम्मा है.
ऐसे में इन केंद्रों में इलाज कैसे होता होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. खरसावां के जोरडीहा व बुरुडीह के साथ–साथ कुचाई के आयुव्रेदिक चिकित्सालय में चिकित्सक की पदस्थापना नहीं है. सिर्फ कुचाई के राजकीय आयुव्रेदिक चिकित्सालय में ही चिकित्सक की पदस्थापना की गयी.
डॉ आइए फारुकी के ऊपर जोरडीहा, बुरुडीह व दलभंगा आयुव्रेदिक चिकित्सालय का अतिरिक्त प्रभार है. ऊपर से जिला व राज्य स्तर पर बैठकों में भी सप्ताह में एक दो दिन जाना पड़ता है. ऐसे में उक्त चिकित्सक को इस चिकित्सालयों का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसे में प्रतिदिन सभी चिकित्सालयों में रोगियों का इलाज करना संभव नहीं हो पाता है. चिकित्सकों की कमी के संबंध में विभाग को भी जानकारी अक्सर दी जाती है, परंतु अब तक पदस्थापना नहीं हो सकी है. इन केंद्रों में सकारात्मक पक्ष यह है कि पहले तो इन चिकित्सालयों में दवा की भी घोर कमी रहती थी, परंतु कुछ–कुछ दवा भी मिलने लगी है.