सरायकेला : कोल्हान के सरायकेला खरसावां में अब सोयाबीन की खेती भी होगी. इसके लिए जिला कृषि विभाग द्वारा सोयाबीन खेती के लिए विभागीय पहल शुरू कर दी है.
जिला में सूर्यमुखी, चिनिया बदाम जैसी तेलहन फसल के बाद अब सोयाबीन की खेती को भी प्रयोग के तौर पर शुरू किया जा रहा है. जिला कृषि विभाग सोयाबीन की फसल सभी नौ प्रखंड के 120 एकड़ भू भाग पर करने की तैयारी में है ताकि तेलहन के क्षेत्र में भी जिला आगे आ सके.
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी कालीपद महतो ने बताया कि सोयाबीन खेती कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिला में सिर्फ सरायकेला खरसावां में किया जा रहा है. इसकी खेती से किसानों को काफी कम लागत पर अधिक उत्पादकता के साथ मुनाफा भी अधिक होगा. उन्होंने बताया कि इस वर्ष सोयाबीन की खेती एक प्रयोग के तौर पर किया जा रहा है. इसमें जिला के प्रगतिशील किसानों को रखा गया है. सोयाबीन से तेल के साथ दूध व बडी भी बनायी जाती है. जिससे किसानों को फायदा पहुंचेगा.
एक एकड़ पर पचास हजार तक हो सकता है मुनाफा
सोयाबीन के सफल खेती से किसानों को एक एकड़ पर पचास हजार तक मुनाफा हो सकता है. सोयाबीन की खेती में एक एकड़ पर लगभग नौ से दस हजार तक खर्च होते हैं. ठीक से उत्पादकता हुई हो तो और अधिक भी मुनाफा हो सकता है.
115 दिन में तैयार होता है पौधा: सोयाबीन का पौधा 115 दिन में तैयार होकर फल भी दे देता है. सोयाबीन की खेती एकदम टांड जमीन पर होती है. जिस जमीन पर कोई भी फसल नही होता है, उस जमीन पर भी सोयाबीन की खेती होती है.
इसमें काफी कम मात्र में पानी की दरकार होती है. इसे 75 सेमी पर एक एक दाना लगा देने पर काफी अच्छा होता है. इस फसल कि खासियत है कि इसमें रोग कम ही लगता है. रोग कम लगने के कारण उत्पादकता पर प्रभाव भी नहीं पड़ता है.
प्रोटीन से भरपूर है सोयाबीन : सोयाबीन प्रोटीन से भरपूर है. इससे तेल, दूध व बडी बनता है. बडी को आम तौर पर सब्जी बना कर खाया जाता है. जबकि तेल कॉलेस्ट्रॉल मुक्त रहता है. सोयाबीन तेल की बाजार में काफी अधिक डिमांड है. प्रोटीन से भरपूर रहने के कारण यह शरीर के लिए काफी लाभदायक माना जाता है.