खरसावां : मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् मधुसूदनम्, मंगलम् पुंडरी काख्य, मंगलम् गरुड़ध्वज, माधव माधव बाजे, माधव माधव हरि, स्मरंती साधव नित्यम, शकल कार्य शुमाधवम् … जैसे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गुरुवार को पवित्र देवस्नान पूर्णिमा पर महाप्रभु जगन्नाथ का महास्नान कराया गया. खरसावां के प्रसिद्ध हरिभंजा जगन्नाथ मंदिर में पुरोहितों ने महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभदा व सुदर्शन की मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह स्थित रत्न बेदी से पोहंडी कर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्नान पंडप तक लाया गया. करीब दो घंटे तक पूजा-अर्चना व हवन के बाद स्नान यात्रा का आयोजन किया गया.
स्नान यात्रा में 108 कलश पानी से प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को स्नान कराया गया. इस दौरान भक्त जय जगन्नाथ के उदघोष लगा रहे थे. भक्तों के शंखध्वनि से पूरा वातावरण भक्तिमय बना हुआ था. पारंपरिक वाद्य यंत्र भी बजाये गये. देव स्नान पूर्णिमा पर आयोजित इस धार्मिक कार्यक्रम में स्नान प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के दर्शन को बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे. स्नान पूर्णिमा पर प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभदा के दर्शन को काफी पुण्य व फलदायी माना जाता है. मौके पर पुरोहित पं प्रदीप दाश, भरत त्रिपाठी आदि उपस्थित थे. स्नान यात्रा के बाद भक्तों में प्रसाद वितरण हुआ.
15 दिनों तक भक्तों को नहीं देंगे दर्शन: परंपरा के अनुसार अत्याधिक स्नान कर भगवान बीमार हो गये हैं. उपचार के लिए उन्हें मंदिर के अणसर गृह में रखा गया है. अब 15 दिनों तक प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का अलग-अलग तरह के जड़ी-बुटियों से उपचार किया जायेगा. इन 15 दिनों में किसी को भी प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के दर्शन नहीं होंगे. अणसर गृह में रहने के दौरान ही रथ यात्र के लिए चतुर्था मूर्ति की रंगाई-पुताई का काम किया जाता है.
13 को नेत्र उत्सव पर नव यौवन रूप के होंगे दर्शन : रथ यात्रा के एक दिन पूर्व 13 जुलाई को नेत्र उत्सव के दिन प्रभु जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देंगे. इस दिन प्रभु जगन्नाथ समेत चतुर्था मूर्ति के नव यौवन रूप के दर्शन होंगे. नेत्र उत्सव के दिन प्रभु का भव्य श्रृंगार किया जायेगा. इसके बाद नौ दिवसीय रथ यात्र उत्सव शुरू होगा. 14 जुलाई को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा विश्राम करने के लिए अपनी मौसी के घर जायेंगे.
प्रभु जगन्नाथ को 35 कलश पानी से स्नान कराया गया
हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर परिसर में चतुर्था मूर्ति को 108 कलश पानी से स्नान कराना गया. प्रभु जगन्नाथ को 35 कलश, बड़े भाई बलभद्र को 42 कलश, बहन सुभद्रा को 20 कलश व सुदर्शन को 11 कलश पानी से स्नान कराया गया. गुरुवार को कलश यात्रा निकाल कर सोना नदी से 108 कलश पानी लाया गया था. इसके अलावे अगुरु, चंदन, गाय का घी, दूघ, दही, मधु, हल्दी आदि का लेप भी लगाया गया. स्नान यात्रा के बाद चतुर्था मूर्ति को अणसर गृह में रखा गया. अब अगले 15 दिनों तक भक्त मंदिर के बाहर से ही चतुर्था मूर्ति का दर्शन करेंगे.