सरायकेला-खरसावां जिला में कृषि विभाग दे रही है राजमा की खेती को बढावा
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230 हेक्टे में पहली बार हो रही राजमा की खेती
सरायकेला-खरसावां जिला में कृषि विभाग दे रही है राजमा की खेती को बढावा खरसावां : सरायकेला-खरसावां जिले में इस बार बड़े पैमाने पर राजमा की खेती हो रही है. कृषि विभाग राजमा खरीफ में मूंगफली व सोयबीन की खेती को बढ़ावा देने के बाद अब राजमा की खेती के लिए विभाग किसानों को प्रोत्साहित कर […]
खरसावां : सरायकेला-खरसावां जिले में इस बार बड़े पैमाने पर राजमा की खेती हो रही है. कृषि विभाग राजमा खरीफ में मूंगफली व सोयबीन की खेती को बढ़ावा देने के बाद अब राजमा की खेती के लिए विभाग किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. इसके तहत जिले में पहली बार जिले के नौ प्रखंडों में 50-50 हेक्टेयरों का कलस्टर बना कर कुल 230 हेक्टेयर पर राजमा की खेती हो रही है. प्रारंभिक चरण में बेहतर परिणाम भी मिल रहे हैं. प्रति हेक्टेयर 25 से लेकर 30 क्विंटल राजमा की उपज होती है.
यहां की मिट्टी भी राजमा की खेती के लिए उपयुक्त साबित हो रही है. विशेष फसल योजना के तहत जिले में पहली बार राजमा की खेती को लेकर किसानों भी काफी उत्साहित हैं. राजमा की खेती से किसानों को काफी लाभ होगा. साथ ही जिले के ऊपरी भूमि की खेती को लेकर सदुपयोग भी हो पायेगा. कृषि विभाग की ओर से किसानों को अनुदान पर राजमा बीज उपलब्ध कराया है. मालूम हो कि राजमा (फेसियोलस वल्गेरिस) को फ्रेंच बीन भी कहा जाता है.
इसकी फलियां किडनी के आकार जैसी होती है, इसलिए इसे किडनी बीन के नाम से भी जाना जाता है. मटर एवं बरबटी की तरह राजमे की खेती भी द्विउद्देश्य यानी सब्जी एवं दाना के लिए की जाती है. स्वाद और सेहत के लिहाज से राजमा की फलियां लोग बेहद पसंद करते है. अधिक मांग होने की वजह से बाजार में इसकी बीन्स महंगे बिकती हैं.
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