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डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम कर जांच के लिये ब्लड सैंपल रांची भेजा

मौत के कारणों का पता नहीं, अधिकारियों की मौजूदगी में दफनाया गया शव खरसावां/सीनी : सरायकेला वन क्षेत्र अंतर्गत हूदू पंचायत के बलदेवपुर (पानारोल) गांव के पास स्थित जंगल में एक जंगली हथिनी की अज्ञात कारणों से मौत हो गयी. 12 फीट लंबी हथिनी की उम्र 30 से 35 साल बतायी जा रही है. घटना […]

मौत के कारणों का पता नहीं, अधिकारियों की मौजूदगी में दफनाया गया शव

खरसावां/सीनी : सरायकेला वन क्षेत्र अंतर्गत हूदू पंचायत के बलदेवपुर (पानारोल) गांव के पास स्थित जंगल में एक जंगली हथिनी की अज्ञात कारणों से मौत हो गयी. 12 फीट लंबी हथिनी की उम्र 30 से 35 साल बतायी जा रही है.

घटना की जानकारी मिलने के पश्चात बुधवार को वन विभाग के अधिकारियों ने घटना स्थल पर पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी ली. काफी ग्रामीण भी वहां पहुंचे थे.

इसके बाद पशु चिकित्सक डॉ संतोष अग्रवाल व डॉ नरेंद्र सिंह की दो सदस्यीय टीम ने मृत हथिनी का पोस्टमार्टम किया. हथिनी के शरीर में किसी तरह के घाव या चोट का निशान नहीं मिला. अधिकारियों के मुताबिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही कारण पता चल पायेगा. हथिनी के शरीर से पांच बोतल खून निकाल कर सैंपल के रूप में जांच के लिए रांची भेजा गया है. पोस्टमार्टम के बाद हथिनी को जंगल में ही बड़े आकार का गड्ढा खोदकर दफना दिया गया. दफनाने से पूर्व स्थानीय लोगों ने फूल-अगरबत्ती से उसकी पूजा भी की.

घटना की जानकारी मिलने पर घटनास्थल पर पहुंचे क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक सुनील कुमार गुप्ता, वन संरक्षक वेंकेटश्वरलू, वन प्रमंडल पदाधिकारी ए एक्का, वन क्षेत्र पदाधिकारी सुरेश कुमार व केके साह समाचार लिखे जाने तक वहीं मौजूद थे.

कोट

हथिनी की मौत के कारणों को पता नहीं चल सका है. मृत हथिनी के शरीर से पांच बोतल ब्लड लेकर जांच के लिये रांची भेजा गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा. हाथियों की सुरक्षा पर विभाग विशेष ध्यान दे रहा है. वे गांव की ओर रुख न करें, इसके लिए उन्हें जंगल में पानी, भोजन की सुविधा देने पर विभाग विशेष ध्यान दे रहा है.

– ए एक्का, वन प्रमंडल पदाधिकारी, सरायकेला-खरसावां

20 दिन पूर्व खरसावां में हुई थी एक हथिनी की मौत

ठीक 20 दिन पूर्व नौ नवंबर को भी खरसावां वन क्षेत्र के सिदमाकुदर गांव में एक हथिनी की मौत हुई थी. इस हथिनी को मिलाकर चालू वित्तीय वर्ष में सरायकेला वन प्रमंडल में मरने वाली हथिनियों की संख्या दो हो गयी है. नौ नवंबर की घटना में भी हथिनी की मौत की वजह का पता नहीं चल सका है.

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