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व्हीलचेयर के लिए चक्कर लगा रहा मृत्युंजय

दस वर्ष पहले मिला व्हीलचेयर हो चुका है जर्जर नि:शक्त दिव्यांग का सहारा बना बेसहारा पिता सरायकेला : सरकार द्वारा नि:शक्तों को समाज में नयी पहचान,अधिकार व बराबरी का हक दिलाने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही हैं, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण उन्हें उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. योजनाओं का […]

दस वर्ष पहले मिला व्हीलचेयर हो चुका है जर्जर

नि:शक्त दिव्यांग का सहारा बना बेसहारा पिता
सरायकेला : सरकार द्वारा नि:शक्तों को समाज में नयी पहचान,अधिकार व बराबरी का हक दिलाने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही हैं, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण उन्हें उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए दिव्यांग कार्यालयों के चक्कर लगाते-लगाते थक कर सीएमओ व पीएमओ को भी चिट्टी लिख चुके हैं, लेकिन नतीजा नहीं निकला है. ऐसा ही एक मामला सरायकेला के गेस्ट हाउस निवासी रामप्रसाद पोद्दार के दिव्यांग पुत्र मृत्युंजय पोद्दार का है. पूर्णत: असमर्थ दिव्यांग पुत्र का सहारा बने पिता एक अदद व्हीलचेयर दिलाने के लिए उसे टूटे व्हीलचेयर पर लेकर बाबुओं के दफ्तरों के चक्कर लगाने को विवश हैं. दस वर्ष पूर्व समाज कल्याण विभाग की ओर से मिला व्हील चेयर टूटकर जर्जर हो चुका है.
टूटे व्हील चेयर की मरम्मत करने में असमर्थ नि:शक्त मृत्युंजय नया व्हीलचेयर के लिए वर्षों से सीडीपीओ व अन्य कार्यालयों के चक्कर लगाकर थक चुका है. निराश मृत्युंजय 6 जून 2016 को पीएमओ व 16 सितंबर 2016 को सीएमओ को भी पत्र लिख चुके हैं, लेकिन वहां से भी अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि व्हीलचेयर के लिए वे सीडीपीओ कार्यालय में 27 अगस्त 16 को ही आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब तक नहीं मिल पाया है, जबकि दिव्यांगों को देने के लिए विभाग को मिले व्हीलचेयर सीडीपीओ कार्यालय में धूल फांक रही हैं.

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