खरसावां : ‘मंजिलें उन्हें मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है…’ इस पंक्ति को सच कर दिखाया है सरायकेला-खरसावां की खेल प्रतिभाओं ने. यहां की माटी खिलाड़यों के लिए काफी उर्वर साबित हो रही है. सरायकेला -खरसावां जिला ने अब तक देश को 31 अंतरराष्ट्रीय व डेढ़ सौ से भी अधिक राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज दिये हैं. फुटबॉल, हॉकी,तैराकी व एथलेटिक्स के क्षेत्र में भी जिला के प्रतिभागी राष्ट्रीय स्तर तक स्थान बना रहे हैं.
पिछले छह वर्षों में कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में जिला के खिलाड़ियों ने झारखंड के साथ-साथ देश का नाम रौशन किया है. तीरंदाजी के क्षेत्र में शोहरत के साथ साथ रोजगार के भी बेहतर अवसर उपलब्ध हो रहे हैं, इस कारण युवाओं का रुझान भी इस खेल की ओर काफी
देखा जा रहा है. कई खिलाड़ियों को तो सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर नौकरी भी मिल चुकी है. जिला से अब तक 45 खिलाड़ियों को देश के अलग-अलग संस्थानों में नौकरी भी मिल चुकी है. राष्ट्रमंडल खेलों में दो-दो गोल्ड मेड़ल जीत कर चर्चा में आयी पद्मश्री व अर्जुना एवार्डी तीरंदाज
दीपिका कुमारी ने भी तीरंदाजी का पहला पाठ खरसावां मैदान से ही सीखा था. इन तीरंदाजों ने निस्संदेह अंतरराष्ट्रीय मंच पर जिला के साथ झारखंड को गौरवान्वित किया है.
जिला के अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज : पलटन हांसदा, मंगल हो, काली चरण बेसरा, बब्बन कुमार, जामुदा सोय, आश्रिता केरकेट्टा, संजय स्वांसी, सुमित मिश्र, बबिता विसोई, रेंसो पुरती, सुमनतला मुर्मू, ज्योति कुमार, नीलम कुमारी, रवि सरदार, राज गोविंद स्वांसी, विनोद स्वांसी, सकरो बेसरा, सीतारानी टुडू, पद्मा सरदार, शहंशाह बुड़िउली, रजनी पात्रो, सतीश सरदार, ज्योति बानरा, सकरो बेसरा आदि.
राष्ट्रीय स्तरीय एथलीट व तैराक :
कुजरी गागराई, उदयराज सोय, जय सिंह सामड, मनसा भूमिज, जगमोहन हेंब्रम, समीर सामड, भोलानाथ सामड, गोलाराम बोदरा, सावन होनहागा, मोलाराम सोय, मनेय बानरा, आशा सोय, ललिता लकड़ा, नागुरी गागराई, सुनीता गागराई, सानिया सोय आदि.