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श्रद्धालुओं ने जयघोष के साथ खींचा रथ

खरसावां. भाई और बहन के साथ मौसी बाड़ी से श्रीमंदिर पहुंचे प्रभु जगन्नाथ खरसावां में श्रद्धा व उल्लास के साथ निकली बहुरा रथ यात्रा अस्था की डोर खींचने के लिए दुबारा पहुंचे हजारों श्रद्धालु खरसावां : हरिभंजा में प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा सोमवार को धूमधाम के साथ संपन्न हो गयी. भक्तों के समागम, […]

खरसावां. भाई और बहन के साथ मौसी बाड़ी से श्रीमंदिर पहुंचे प्रभु जगन्नाथ

खरसावां में श्रद्धा व उल्लास के साथ निकली बहुरा रथ यात्रा
अस्था की डोर खींचने के लिए दुबारा पहुंचे हजारों श्रद्धालु
खरसावां : हरिभंजा में प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा सोमवार को धूमधाम के साथ संपन्न हो गयी. भक्तों के समागम, भगवान जगन्नाथ के जयघोष, शंखध्वनि व पारंपरिक हुल-हुली के बीच सोमवार को भाई-बहन के साथ प्रभु जगन्नाथ अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर से अपने श्रीमंदिर लौट आये. इसके साथ ही श्रद्धा व उल्लास के साथ इस वर्ष का रथ यात्रा उत्सव संपन्न हो गया. ओड़िशा के पुरी की तर्ज पर हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में भी रथ यात्रा के सभी धार्मिक रस्मोरिवाज पूरे किये गये.
हजारों भक्तों ने खींची आस्था की डोर : हरिभंजा के गुंडिचा मंदिर से पुरोहितों द्वारा चारों मूर्तियों, प्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा एवं सुदर्शन को रथ पर आरूढ़ कराया गया. इसके पश्चात बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष को खींच कर गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर तक पहुंचाया. मौके पर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया. इस दौरान रथ से भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में लड्डू, कटहल समेत कई तरह के फल फेंके जा जा रहे थे, जिसे झपटने के लिए भक्त आतुर दिखे.
महाप्रभु को चढ़ाया गया छप्पन भोग
श्रीमंदिर के सामने रथ पहुंचने पर महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा को छप्पन भोग (56 प्रकार के मिष्टान्न) भोग अर्पित किये गये. साथ ही अधरपणा नामक रस्म भी निभायी गयी. इन रस्मों को पूरा करने के बाद उनकी रथ पर ही आरती उतारी गयी. इसके पश्चात चारों मूर्तियों को रथ से श्रीमंदिर तक पहुंचाया गया. मंदिर के भीतर चतुर्था मूर्ति की रत्न सिंहासन में बैठा कर पूजा अर्चना की गयी तथा आरती उतारी गयी.
प्रभु का हुआ भव्य शृंगार : बहुरा यात्रा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा का भव्य शृंगार किया गया. तीनों मूर्तियों को यात्रा के लिए भव्य रूप से सजाया गया, जिसके बाद भगवान की वापसी यात्रा आरंभ हुई.
पुन: एक साल बाद निकलेंगे महाप्रभु : भगवान जगन्नाथ इसके बाद फिर एक साल बाद पुन मंदिर से बाहर निकलेंगे. प्रभु जगन्नाथ की बहुरा यात्रा के साथ ही आस्था, मान्यता व परंपराओं की प्रतीक रथ यात्रा संपन्न हो गयी. अब श्रीमंदिर में ही पूरे एक साल तक प्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र एवं देवी सुभद्रा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जायेगी. फिर एक एक साल बाद रथ यात्रा पर ही भक्तों को दर्शन देने के लिए महाप्रभु श्रीमंदिर से बाहर निकलेंगे.
रथ यात्रा के दौरान हुआ भजन कीर्तन : रथ यात्रा के दौरान भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया. रथ चलने से पूर्व बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मृदंग व झाल ले कर भजन कीर्तन किया. इस दौरान लाउड स्पीकर से प्रभु जगन्नाथ सहस्रनाम, गीतगोविंदम्, श्रीमद् भागवत समेत प्रभु जगन्नाथ की विभिन्न लीलाओं से संबंधित भजन बजते रहे.
मेला का आयोजन : रथ यात्रा के दौरान मेले का भी आयोजन किया गया. मेले में बडी संख्या में लोग पहुंचे तथा वहां जम कर खरीददारी भी की.
ग्रामीण क्षेत्रों में भी निकली बहुरा रथ यात्रा : सरायकेला-खरसावां जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सोमवार को बहुरा रथ यात्रा निकाली गयी. प्रभु आठ दिनों तक मौसी के घर में रहने के बाद श्रीमंदिर वापस लौंटे. खरसावां के अलावा दलाइकेला, गालूडीह, बंदोलौहर, चाकड़ी, मुंडादेव, जोजोकुड़मा में बहुरा रथ यात्रा आयोजित हुई.

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