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निजी स्कूलों में शिक्षा के नाम पर लूट!

उधवा : सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये लाखों खर्च कर रही है. नि:शुल्क व बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा सुनिश्चित कराने का प्रयास हो रहा है. वहीं दूसरी ओर उधवा प्रखंड क्षेत्र में लगभग एक दर्जन से […]

उधवा : सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये लाखों खर्च कर रही है. नि:शुल्क व बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा सुनिश्चित कराने का प्रयास हो रहा है. वहीं दूसरी ओर उधवा प्रखंड क्षेत्र में लगभग एक दर्जन से अधिक बिना मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों का संचालन हो रहा है.
इन विद्यालयों में नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. जिसे लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक साहिबगंज ने आदेश जारी कर स्कूल बंद करने के संबंध में शो-कॉज किया है. बावजूद इसके प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न निजी विद्यालयों में नामांकन जारी है. निजी विद्यालयों में नामांकन कराने में 2000 से 3000 रुपये लिया जा रहा है. बच्चों के महीने की फीस भी कम नहीं है. छात्रावास की सुविधा के लिये 2000 से 3000 रुपये प्रतिमाह देना पड़ता है. पुस्तकें और अन्य सामग्री के नाम पर तो लूट मची है.
विद्यालय चलें चलायें अभियान हो सकता है प्रभावित : सरकार लाखों रुपये खर्च कर विद्यालय चलें चलायें अभियान चला रही हैं. जिसमें सभी सरकारी विद्यालयों में नये सत्र में बच्चों का नामांकन किया जाना है. खासकर वैसे बच्चे जो स्कूल छोड़ चुके हैं. उन्हें भी प्रोत्साहित करते हुए विद्यालयों की दहलीज तक पहुंचाना है. इसके साथ-साथ बच्चों के ठहराव के लिये सरकार प्रयासरत है. परंतु कुछ गैर सरकारी विद्यालय जो बिना मान्यता के ही संचालित किये जा रहे हैं. ऐसे विद्यालयों में भी बच्चों का नामांकन कर रहे हैं. ऐसे में अभियान प्रभावित हो सकती है.
निजी विद्यालय एक व्यवसाय
स्कूलों के संचालक निजी विद्यालय के आड़ में खूब कमा रहे हैं. स्कूल फीस महंगी, किताबें, पोशाक व अन्य शुल्क के नाम पर बच्चों के अभिभावक से पूरा पैसा तो वसुलते हैं पर विद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षकों को कम वेतन पर रखते हैं. यही कारण है कि प्रखंड क्षेत्र में संचालित विभिन्न निजी विद्यालयों में अप्रशिक्षित शिक्षकों से काम लिया जा रहा है.
इन विद्यालयों से पूछा स्पष्टीकरण
चिल्ड्रेन प्रिपर्टी सेंटर स्कूल उधवा, आरकेजी इंगलिश स्कू अमानत, सरस्वती शिश विद्या मंदिर उधवा, सरस्वती शिशु विद्यालय मंदिर, कटहलबाड़ी, आदर्श विद्यापीठ, श्रीधर, ऑल सुफियान इंगलिश स्कूल उधवा, के एंड के ऑक्सफोर्ड स्कूल उधवा, देव देहरादून पब्लिक स्कूल, उधवा, आरपी एकेडमी उधवा, पीपी राइजिंग किंडर गार्डन प्राणपुर.
झूठी प्रतिष्ठा बनाने के चक्कर में अधिकार खो रहे लोग
समाज में झूठी प्रतिष्ठा बनाने के चक्कर में कुछ अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन निजी विद्यालयों में कराते हैं व विद्यालय द्वारा निर्धारित अनाप-शनाप स्कूल फीस जमा करने को मजबूर हो जाते हैं. इसमें गरीब व मध्यम वर्ग को लोग खासे हैं. परंतु बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना किसे नहीं भाता. लेकिन सच तो यह है कि उन्हें मालूम ही नहीं कि जिस विद्यालय में उनके बच्चे पढ़ रहे हैं वह उस विद्यालय का मान्यता ही नहीं है.

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