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झारखंड के भाजपा नेताओं की मेहनत नहीं आयी कामअसरदार साबित हुए मुख्यमंत्री रघुवर दासझारखंड के संगठन मंत्री को दिनारा ने लगाया किनाराझारखंड के नेताओं के जिम्मे थी 87 विधानसभा, अधिकांश में हारेवरीय संवाददाता, रांचीबिहार चुनाव में लगे झारखंड प्रदेश भाजपा नेताओं की मेहनत काम नहीं आयी. हालांकि मुख्यमंत्री रघुवर दास असरदार साबित हुए हैं. उन्होंने […]

झारखंड के भाजपा नेताओं की मेहनत नहीं आयी कामअसरदार साबित हुए मुख्यमंत्री रघुवर दासझारखंड के संगठन मंत्री को दिनारा ने लगाया किनाराझारखंड के नेताओं के जिम्मे थी 87 विधानसभा, अधिकांश में हारेवरीय संवाददाता, रांचीबिहार चुनाव में लगे झारखंड प्रदेश भाजपा नेताओं की मेहनत काम नहीं आयी. हालांकि मुख्यमंत्री रघुवर दास असरदार साबित हुए हैं. उन्होंने चुनाव में दो दर्जन से अधिक सभाएं की, जिसमें से आधी सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में सफल रहे. उन्होंने कई विधासभाओं में पिछड़ों के वोट को भाजपा के लिए गोलबंद किया. इन्होंने पटना समेत कई जगहों पर रोड शो किया. परिवर्तन यात्रा में हिस्सा लिया. हालांकि झारखंड की ब्रांडिंग बिहार में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पायी. पूरी तरह से पिछड़ा वोट बैंक में सेंधमारी नहीं कर पाये. प्रदेश भाजपा का पूरा ब्रिगेड बिहार में लगा था. सारे मंत्री, विधायक और छोटे-बड़े पदाधिकारी की फौज डटी थी. झारखंड के नेताओं को बिहार की 87 विधानसभाओं में जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. नेता तीन माह से कैंप कर रहे थे. बूथ मैनेजमेंट देख रहे थे. इसमें से अधिकांश विधानसभाओं में पार्टी प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा. भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह दिनारा विधानसभा से चुनाव लड़े, लेकिन जदयू के जय कुमार सिंह से पराजित हुए. प्रदेश भाजपा की प्रतिष्ठा दिनारा सीट पर लगी थी. यहां पर मुख्यमंत्री रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, सांसद सुनील सिंह, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, शिक्षा मंत्री नीरा यादव समेत आधा दर्जन से अधिक विधायकों ने सभाएं की. इसके बावजूद श्री सिंह 2611 मतों से पराजित हुए. पूर्व मुख्यमंंत्री अर्जुन मुंडा ने भी डेढ़ दर्जन से अधिक सभाएं की, लेकिन इसका भी कोई खास असर नहीं देखने को मिला.11 विधानसभाओं में दिखा मुख्यमंत्री का असरबिहार प्रदेश भाजपा ने पिछड़ों के वोट बैंक को एकजुट करने को लेकर रणनीति बनायी थी. इसके तहत मुख्यमंत्री रघुवर दास की दो दर्जन से अधिक चुनावी सभाएं तय की गयी. आधे से अधिक विधानसभाओं में मुख्यमंत्री की सभाओं का असर देखने को मिला. जहां मुख्यमंत्री ने सभाएं की, वहां की 11 सीटों पर एनडीए के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. मुख्यमंत्री ने राजपट्टी, औराई, बथनाहा, पटना साहिब, पीपरा, रक्सौल, गड़खा, मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ, झाझा, सूर्यगढ़ा, लखीसराय, बांका, दिनारा, महराजगंज, अमनौर, महनार, सासाराम, भोजपुर, नालंदा, छपरा, जमुई, बांकीपुर में चुनावी सभाएं की थीं.बाबूलाल का दिखा असरझाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने महागंठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में पांच चुनावी सभाएं की. इसमें से तीन में महागंठबंधन के प्रत्याशियों को जीत मिली. जबकि दो सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी विजयी हुए. बाबूलाल ने धमदाहा, मनिहारी, कोढ़ा, कटिहार, बगहा में चुनावी सभा की थी.जीत नहीं दिला पाये हेमंतझामुमो ने बिहार चुनाव में 29 प्रत्याशियों को खड़ा किया था. इसमें सिर्फ सात प्रत्याशियों को ही पार्टी का सिंबल मिल पाया था. पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से एक दर्जन से अधिक सभाएं की. लेकिन पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में सफल नहीं हो पाये. हालांकि पार्टी का मानना है कि इनके वोट प्रतिशत में वृद्धि हुई है.————————————————————————————————————————————–प्रभारी के साथ बैठे कांग्रेसी, लोहरदगा पर बनी रणनीतिप्रभारी ने सभी को चुनावी अभियान में जुटने का दिया निर्देश, बताया प्रतिष्ठा का सीटवरीय संवाददाता, रांचीकांग्रेस आने वाले दिनों में लोहरदगा में पूरी ताकत झोंकेगी़ प्रभारी बीके हरि प्रसाद ने प्रदेश के नेताओं-कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार में जुटने को कहा है़ कांग्रेस नेताओं का कहना था कि लोहरदगा प्रतिष्ठा की सीट है़ इसमें पार्टी का जनाधार रहा है़ पार्टी नेताओं ने लोहरदगा चुनाव के समीकरण और गंठबंधन के बाबत भी चर्चा की़ रविवार को कांग्रेस भवन में पार्टी के जिलाध्यक्षों, सांसद, विधायक सहित पदाधिकारियों की बैठक बुलायी गयी थी़ इसमें पंचायत चुनाव और पार्टी के अंदर अनुशासन को लेकर भी चर्चा हुई़ प्रभारी का कहना था कि पंचायत चुनाव में योग्य उम्मीदवार को जिताये़ं प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत का कहना था कि हम राष्ट्रीय पार्टी है़ं चुनाव आयोग के निर्देश का पालन करेंगे़ इसके साथ ही अपना सामाजिक दायित्व निभायेंगे़ सांप्रदायिक सौहार्द्र का माहौल बनाया जायेगा़ ऐसी ही ताकतों को आगे बढ़ायेंगे और ग्रास रूट में लोकतंत्र को मजबूत किया जायेगा़ विधायक दल के नेता आलमगीर आलम का कहना था कि राज्य की जनता सुखाड़ और महंगाई से त्रस्त है़ किसान पलायन कर रहे है़ं बैठक में पूर्व विधायक डॉ सरफराज अहमद, तिलकधारी सिंह, विधायक निर्मला देवी, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, केएन त्रिपाठी, बन्ना गुप्ता, राज राजेंद्र प्रताप देव, अवध बिहारी सिंह, अनादि ब्रह्म, शमशेर आलम, चंचल चटर्जी, आलोक कुमार दुबे, अशोक चौधरी, सुरेंद्र सिंह, रमा खलखो, साबीर खान, शिवकुमार, चंद्रशेखर शुक्ला, लाल मनोज नाथ शाहदेव, लाल किशोर नाथ शाहदेव, आशिफ अंसारी सहित कई नेता शामिल हुए़नहीं पहुंचे बलमुचु-धीरजप्रभारी के साथ बैठक में प्रदेश संगठन की ओर से पार्टी के सांसद-विधायकों को भी बुलाया गया था़ बैठक में सांसद प्रदीप बलमुचु और धीरज साहू नहीं पहुंचे़ बलमुचु खेमा के कई नेता बैठक से दूर रहे़ पूर्व सांसद रामेश्वर उरांव भी बैठक में नहीं आये थे़————————————————————————————————————————————–हेमंत से मिले हरिप्रसाद व सुखदेव, मांगा समर्थनरांची . लोहरदगा चुनाव को लेकर कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद और प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने रविवार को झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से मुलाकात की. साथ ही लोहरदगा चुनाव को लेकर समर्थन मांगा. इनके बीच लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए बीके हरिप्रसाद ने कहा कि लोहरदगा चुनाव में झामुमो से मदद करने का आग्रह किया गया है. कांग्रेस हमेशा से गंठबंधन के पक्ष में रही है. झारखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान भी गंठबंधन को लेकर पहल की गयी, लेकिन आम सहमति नहीं बन पायी. अगर यहां भी महागंठबंधन होता तो परिणाम बदल सकता था. इस संबंध में हेमंत सोरेन ने कहा कि अभी लोहरदगा चुनाव की घोषणा नहीं हुई है. पार्टी अपने स्तर से तैयारी कर रही है. गंठबंधन को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है.————————————————————————————————————————————–जनता ने सिखाया सबक, पैसे से नहीं मिलती जीत : हेमंतवरीय संवाददाता, रांचीपूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिहार चुनाव में महागंठबंधन की जीत पर हर्ष जताया है. साथ ही जीत पर नीतीश कुमार समेत महागंठबंधन के नेताओं को बधाई दी है. पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री सोरेन ने कहा कि बिहार की जनता ने साबित कर दिया है कि पैसे के बल पर जीत नहीं मिल सकती है. जनता के स्वभिमान व अधिकार का स्थान पैसा नहीं ले सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पैसे के बल पर चुनाव जीतने की रणनीति बनायी थी. बिहार की जनता को सवा लाख करोड़ रुपये का सपना दिखा कर बरगलाने की कोशिश की. 5000 करोड़ से अधिक रुपये चुनावी सभाओं और रैलियों में खर्च किया, लेकिन गरीब, दलित मतदाता अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए इन्हें नकार दिया. बिहार में महागंठबंधन की जीत से परिवर्तन की नयी राह खुली है. उन्होंने कहा कि झारखंड में एनडीए के रथ को रोकने की शुरुआत की थी. झामुमो ने इसको लेकर पहल भी की थी, लेकिन बात नहीं बन पायी. शायद यह हम लोगों की चूक हो सकती है. इस अवसर सुप्रियो भट्टाचार्य, विनोद पांडेय समेत पार्टी के कई पदाधिकारी उपस्थित थे.————————————————————————————————————————————–मामला कोर्ट में हो, फिर भी विभागीय कार्यवाही चलायेंरांची . सरकारी सेवकों के विरुद्ध मामला न्यायालय में हो, तो भी विभागीय कार्यवाही चलेगी. वहीं विभागीय कार्यवाही के तहत उन्हें दंड भी दिया जा सकेगा. पूर्व में मामला न्यायालय में चलने की स्थिति में विभागीय कार्यवाही का संचालन नहीं होता था. अक्सर ऐसे मामले सामने आ रहे थे. इसके बाद कार्मिक विभाग ने इस मामले को क्लीयर किया. साथ ही सभी विभागों को पत्र जारी कर इससे अवगत कराया है. यह लिखा गया है कि अगर सरकारी सेवक के विरुद्ध अपराधिक वाद चल रहा है, तो विभागीय कार्यवाही का संचालन करें. यानी सरकारी सेवा संहिता के तहत कर्मियों पर आरोप तय किये जायें. यह उदाहरण देकर बताया गया है कि सरकारी सेवक आचरण के खिलाफ काम करने, कर्तव्य में लापरवाही बरतने, निष्ठा से संबंधित आरोप तय किये जायें और इसके तहत ही दंड दिये जायें. कार्मिक ने यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के तहत लिया है.————————————————————————————————————————————–मनरेगा की मजदूरी एक साल में बढ़ी तीन रुपयेविलंब से भुगतान के कारण मजदूर काम से हो रहे हैं दूररांची . मनरेगा की मजदूरी एक साल में मात्र तीन रुपये बढ़ी है. एक साल पहले इसकी मजदूरी 158 रुपये थी, जिसे बढ़ा कर 161 रुपये किया गया है. मात्र तीन रुपये मजदूरी बढ़ाने को मजदूर पर्याप्त नहीं मान रहे हैं. उनका कहना है कि अभी भी मजदूरी की बाजार दर, मनरेगा की मजदूरी से काफी अधिक है. इसका नतीजा है कि मजदूर मनरेगा के काम में रुचि नहीं ले रहे हैं.मनरेगा के क्षेत्र में विशेषज्ञ के रूप में काम करनेवाले व सोशल अॉडिट वालों का कहना है कि मनरेगा में मजदूरों से काम तो कराया जा रहा है, पर उन्हें भुगतान महीनों बाद भी हो रहा है. ऐसे में उनके सामने खाने-पीने की आफत हो जाती है. इस मामले को अर्थशास्त्री व मनरेगा काउंसिल के ज्यां द्रेज ने भी उठाया है. उन्होंने सरकार के सामने मनरेगा की मजदूरी व विलंब से भुगतान के मामले को रखा है. साथ ही कहा है कि मनरेगा के सफल नहीं होने का यह एक बड़ा कारण है.————————————————————————————————————————————–मुख्य अभियंता व अभियंता प्रमुख के लिए नहीं मिल रहे इंजीनियरग्राकाविफंसा हुआ है 1000 करोड़ का टेंडरप्रमुख संवाददाता, रांचीग्रामीण कार्य विभाग को मुख्य अभियंता व अभियंता प्रमुख के इंजीनियर नहीं मिल रहे हैं. इन पदों के लिए मुख्य अभियंता स्तर के इंजीनियर की जरूरत है, पर विभाग ने अभी प्रभारी व्यवस्था के तहत अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार वासुदेव को यह पद दिया है. फिलहाल मुख्य अभियंता व अभियंता प्रमुख के पद पर स्थायी रूप से पोस्टिंग नहीं होने के कारण सारा टेंडर फंसा हुआ है. टेंडर का निष्पादन नहीं हो रहा है. इससे करीब एक हजार करोड़ के ग्रामीण सड़कों का टेंडर फंसा हुआ है. इन योजनाअों पर आनन-फानन में टेंडर निकाला गया था, ताकि उसका निष्पादन हो जाये. अब इन पदों के लिए वरीय अभियंताअों की सेवा मिलने के बाद ही उन्हें पदस्थापित किया जा सकेगा.बढ़ानी पड़ रही है तिथिविभाग को अब टेंडर की तिथि बढ़ानी पड़ रही है. जब तक इन पदों पर स्थायी अभियंता नहीं आयेंगे, यह मामला लटका रहेगा. ऐसे में विभाग ने कई जगहों के टेंडर की तिथि बढ़ा भी दी है.क्यों हुई है यह स्थितिविभाग ने यहां के अभियंता प्रमुख अशोक प्रसाद साह को हटा दिया है. उनकी सेवा पथ निर्माण विभाग को वापस कर दी गयी है. उन्हें पथ विभाग ने प्रभारी मुख्य अभियंता के पद पर प्रमोशन दिया था. वरीयता सूची में सामान्य कोटि से वह दूसरे स्थान पर हैं. ऐसे में विभाग ने उन्हें वरीय मानते हुए उनकी पोस्टिंग अभियंता प्रमुख सह मुख्य अभियंता के रूप में की थी, पर विभाग ने उन्हें प्रशासनिक कारणों से हटा दिया है.————————————————————————————————————————————–नौ पदों पर बहाली के लिये जिडको ने जारी किया विज्ञापनरांची. झारखंड अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (जिडको) ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर समेत नौ पदों पर बहाली के लिये विज्ञापन जारी किया है. प्रोजेक्टर डायरेक्टर (तकनीकी), प्रोजेक्टर डायरेक्टर (इकोनॉमिक्स एंड अकाउंट्स), डिप्टी जेनरल मैनेजर (वर्कर्स प्लानिंग), प्रिक्योरमेंट एक्सपर्ट, स्ट्रक्चरल इंजीनियर, कंपनी सेक्रेटरी, प्राइवेट सेक्रेटरी, स्टेनोग्राफर कम टाइपिस्ट के पदों पर नियुक्ति की जायेगी. आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 27 नवंबर है.————————————————————————————————————————————–हम जनता के फैसले का सम्मान करते हैं : मुंडारांची . झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने बिहार विधानसभा चुनाव नतीजे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हम जनता के फैसले का सम्मान करते हैं. मुझे उम्मीद है कि नयी सरकार जनता के लिए बेहतर काम करेगी.————————————————————————————————————————————–बिहार जाकर लड़े, और जीते भीझारखंड के चार प्रत्याशियों ने बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कीवरीय संवाददाता, रांचीझारखंड से बिहार जाकर चुनाव लड़नेवाले प्रत्याशियों में से चार की बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हुई है. रांची के रातू रोड के रहनेवाले व्यवसायी अमित कुमार टुन्ना ने सीतामढ़ी के रीगा विधानसभा से अपना परचम लहराया है. वह वहां कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के मोहित लाल प्रसाद को 22856 वोट से पराजित किया. वहीं रांची के ही सुनील चौधरी जदयू के टिकट पर बेनीपुर से जीते हैं. उन्होंने भाजपा के गोपालजी ठाकुर को 26443 वोट से पराजित किया. वह कशिश डेवलपर्स के संचालक हैं.मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह झारखंड में मजदूर यूनियन से जुड़े हुए थे. उन्होंने धुर्वा स्थित एचइसी सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई की थी. बनियापुर से भी वह विधायक रहे हैं. इस बार उन्होंने जदयू के टिकट पर एकमा से चुनाव लड़ा था. इसमें उन्होंने भाजपा उम्मीदवार कामेश्वर सिंह को हराया.जदयू के टिकट पर फुलवारी सुरक्षित सीट से जीतने वाले श्याम रजक भी लंबे समय तक झारखंड में रहे हैं. वह सुबोधकांत सहाय के काफी करीब थे. यहां उन्होंने छात्र राजनीति भी की है. जनता पार्टी के समय वह सुबोधकांत के साथ रांची में राजनीति करते थे. काफी समय तक वह डोरंडा में वन विभाग के क्वार्टर में रहे. राजद बनने के बाद वह बिहार चले गये थे. वहां चुनाव जीतने के बाद वह मंत्री भी बने.————————————————————————————————————————————–हुल्लड़ ब्रिगेड को था मोदी का समर्थन, फ्लॉप रहा मॉडल : बाबूलालवरीय संवाददाता, रांचीझाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बिहार विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को बधाई दी है़ श्री मरांडी ने कहा है कि बिहार की जनता ने महागंठबंधन को भारी बहुमत से जीता कर पूरे देश को संदेश दिया है़ महागंठबंधन ने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा़ बिहार का चुनाव परिणाम देश की राजनीति को नयी दिशा देगी़ पहली बार देश के प्रधानमंत्री ने किसी राज्य के चुनाव में इतनी सभा की होगी़ भाजपा नरेंद्र मोदी के सहारे चुनाव लड़ रही थी़ जनता ने नरेंद्र मोदी की नीतियों को खारिज कर दिया है़ चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा निचले स्तर पर चली गयी थी़ ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रही थी, जो नहीं होना चाहिए़ मोदी ने लोकसभा में किये गये वादे को पूरा नहीं किया़ पूरे देश में भाजपा की हुल्लड़ ब्रिगेड़ सांप्रदाायिक तनाव फैला रही है़ देश में भय का माहौल बन गया है़ इस हुल्लड़ बिग्रेड को मोदी का मौन समर्थन था़ मोदी का मॉडल पूरी तरह फ्लॉप रहा़ श्री मरांडी ने कहा कि हमारी पार्टी की कोशिश होगी कि तानाशाही ताकत के खिलाफ एकजुट हो़ हमने शुरू से ही इसका प्रयास किया है़ संवाददाता सम्मेलन में विधायक दल के नेता प्रदीप यादव, केके पोद्दार और संतोष कुमार भी मौजूद थे़झाविमो कार्यालय में बंटी मिठाई, फोड़े पटाखेरांची . झाविमो के नेता-कार्यकर्ता बिहार के चुनाव परिणाम को लेकर उत्साहित हैं. भाजपा की करारी शिकस्त को लेकर खुशियां मनायी़ झाविमो कार्यालय में मिठाइयां बंटी़ झाविमो कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े़————————————————————————————————————————————–जेपीएससी की ओर से रिजेक्ट 618 अभ्यर्थियों के मामले की जांच का आदेशजेपीएससी ने रिजेक्ट करते हुए उनका रिजल्ट जारी नहीं कियाकार्मिक विभाग को मामले में समुचित कार्रवाई कर 15 दिनों के अंदर मुख्यमंत्री सचिवालय को रिपोर्ट करने का निर्देशरांची. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पांचवीं सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में जेपीएससी द्वारा 618 अभ्यार्थियों को तकनीकी कारणों से अस्वीकृत किये जाने के मामले की जांच का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री जन शिकायत कोषांग के उप सचिव मनोहर मरांडी ने इस बारे में कार्मिक विभाग के सचिव को पत्र लिखा है. कार्मिक विभाग को मामले में समुचित कार्रवाई कर 15 दिनों के अंदर मुख्यमंत्री सचिवालय को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है. मालूम हो कि जेपीएससी की मुख्य परीक्षा में लगभग दो हजार अभ्यार्थी शामिल हुए थे. उनमें से 618 अभ्यार्थियों को जेपीएससी ने रिजेक्ट करते हुए उनका रिजल्ट जारी नहीं किया. अस्वीकृत किये गये अभ्यार्थियों ने इसका विरोध किया. उन्होंने मुख्यमंत्री के जन शिकायत कोषांग में आवेदन कर मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है. मामले में अस्वीकृत किये गये अभ्यार्थियों ने जेपीएससी पर मनमानी का आरोप लगाते हुए विरोध जताया है. अभ्यार्थयों का कहना है कि प्रश्नपत्र वितरण में की गयी देरी का खामियाजा परीक्षार्थियों को चुकाना पड़ रहा है.———————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————-

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