उत्तराखंड की त्रसदि को लेकर विचार गोष्ठी, वक्ताओं ने कहा
साहिबगंज : शहर के चौक बाजार स्थित राजस्थान इंटर कॉलेज में रविवार को ‘उत्तराखंड की विनाश लिला व साहिबगंज की सबक’ पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता आशकरण गोप ने की. श्री गोप ने कहा कि मनुष्य व जंगल का अन्योनाश्रय संबंध है. जंगल है तो हमारा अस्तित्व है.
इससे छेड़-छाड़ से हमारा ही अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा. वन की रक्षा हमें हर हाल में करनी है. तभी हम इस तबाही से बच सकते है. उन्होंने कहा कि वृक्षा रोपन व पहाड़ों के उत्खनन रोकने के से ही साहिबगंज सुरक्षित रह सकता है. प्राकृतिक आपदा का सबसे बड़ा खतरा शहर के रिफ्यूजी कॉलोनी व झारना कॉलोनी के लोगों को है.
अधिवक्ता जनार्धन साह ने कहा कि पर्यावरण विभाग को साहिबगंज की जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाना होगा, ताकि लोग जागरूक हो सकें. दारा पासवान ने कहा कि पहाड़ को तोड़ने के लिए किये जा रहे विस्फोट से पहाड़ कमजोर होता जा रहा है. आगे चलकर यह खतरनाक साबित हो सकता है. इसके साथ ही गंगा के तल को गहरा करना होगा ताकि गंगा के बहाव में रूकावट नहीं हो.
गंगा के गाद की सफाई प्रशासन को करानी होगी तभी साहिबगंज सुरक्षित रह सकता है. भू-गर्भ शस्त्री प्रो रंजीत सिंह ने कहा कि पत्थर उद्योग द्वारा किस तरह से पत्थर तोड़े जाते हैं इस पर विचार होना चाहिए. हाल के दिनों में तीन बार साहिबगंज में भूकंप के झटके महसूस किये गये.
जो ये संकेत देता है कि हमारा क्षेत्र सुरक्षित नहीं है. कांगेसी नेता अनुकूल चंद मिश्र ने कहा कि अंगरेजों के जमाने के नालों को बंद किया जा रहा है. प्रशासन उन नालों पर भवन निर्माण कर रहा है. जो कतई सही नहीं है. पत्थर उद्योग में मशीन रहित उत्खनन पर जोर देने की जरूरत है. तभी खनन की रफ्तार में कमी आ सकती है.
प्रदीप साह ने कहा कि शहर में मौसम व भूकंप विभाग पूरी तरह फेल है. इस ओर प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है. तभी साहिबगंज की जनता सुरक्षित रह सकती है. इस अवसर पर जस प्रकाश, जोगिंद्र सिंह, कृष्णा नंद महावर, मुरलीधर ठाकुड़, भागवती पांडे,पुनम किरण चौधरी, गोपाल श्रीवास्तव, प्रेमलता टुडू, सियाराम यादव, प्रेमनाथ तिवारी, वकील मंडल, अब्दुल सुमन आदि मौजूद थे.