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साहिबगंज में गाद से धीमी हुई गंगा की धार

साहिबगंज : प्रदेश में अकेला जिला साहिबगंज है जहां से होकर गंगा बहती है. साहिबगंज में गंगा 83 किमी के दायरे में फैली है . फिर भी प्रदेश सरकार इसकी अनदेखी कर रही है. जिले के लाखों लोगों की आस्था मां गंगा से जुड़ी है. साहिबगंज गंगा में पिछले 2 से 3 सालों में तेजी […]

साहिबगंज : प्रदेश में अकेला जिला साहिबगंज है जहां से होकर गंगा बहती है. साहिबगंज में गंगा 83 किमी के दायरे में फैली है . फिर भी प्रदेश सरकार इसकी अनदेखी कर रही है. जिले के लाखों लोगों की आस्था मां गंगा से जुड़ी है. साहिबगंज गंगा में पिछले 2 से 3 सालों में तेजी से गाद, मिट्टी, रेत जमा होने से गंगा की धारा धीमी पड़ गयी है. साहिबगंज में गंगा रामपुर दियारा होकर आती है. जहां पर रेत, मिट्टी, गाद की मोटी परत जम गयी है. जिससे शहर में गंगा का आना मुश्किल हो गया है. दियारा क्षेत्र से शहर में आने वाले तीन किमी का दायरा पूरी तरह से मिट्टी, गाद, रेत की मोटी चादर बिछ गयी है.

इसे हटाने के लिए कई समितियां आवाज उठा रही है और क्षेत्र में काम भी कर रही है. गंगा मां हर दिन लाखों लोगों की प्यास बुझाती है. गंगा का पानी प्रदूषित होने से दियारावासी खेती में सिंचाई करने से डरने लगे हैं. फिर भी मां गंगा के प्रति आस्था व विश्वास के कारण कुछ लोग बेझिझक इस प्रदूषित पानी को पीते भी हैं. खेती में सिंचाई भी करते है. आस्था की डुबकी लगाते है. गंगा की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी है. गंगा के नाम पर कई तरह की समिति बनी जैसे गंगा महासभा, गंगा समग्र, गंगा सेवा समिति, गंगा महासभा, गंगा समग्र, गंगा सेवा समिति, गंगा विचार मंच जैसी समिति बनी. इसके बाद भी गंगा से रेत, गाद, मिट्टी नहीं हट सकी. झारखंड सरकार की ओर से गंगा से गाद, मिट्टी, रेत हटाने का कोई कार्य नहीं किया गया है. जिलेवासी गौतम साहा, हरेराम ओझा, मालती देवी, प्रशांत यादव, राहुल पासवान, गायत्री देवी, नेहा गुप्ता, रेयशि कुमारी, वर्षा अग्रवाल, मधु कुमारी, सुनीता देवी,

पीयूष कुमार, मदन पासवान, छोटू कुमार, विजय कुमार साह सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि गंगा के नाम पर करोड़ों, अरबों खर्च हो रहे हैं. रिजल्ट कुछ भी नहीं. प्रदेश सरकार स्थानीय जनप्रतिनिधि गंगा पर सिर्फ राजनीति करते हैं. गंगा से गाद, मिट्टी, रेत हटाने की प्रदेश सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया वरना जिले से अब तक गंगा रूठी नहीं रहती. आज अनदेखी का नतीजा है गंगा जिले से विलुप्त हो गयी है. गंगा दशहरा आज, स्नान करने से 10 तरह के पापों से मिलेगी मुक्ति.

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन गंगा का धरती पर हस्त नक्षत्र में अवतरण हुआ था. पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है.
क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा
हिंदू पुराणों के अनुसार ऋषि भागीरथ के पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए उन्हें बहते हुए निर्मल जल की आवश्यकता थी. इसके लिए उन्होंने मां गंगा की कड़ी तपस्या की. ताकि मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हो सके. परंतु मां गंगा की धारा तेज होने के कारण वह उनकी इस इच्छा को पूर्ण नहीं कर पायी. परंतु उन्होंने कहा कि अगर भगवान शिव मुझे अपनी जटाओं में समा कर पृथ्वी पर मेरी धारा प्रवाह कर दे तो यह संभव हो सकता है. उसके पश्चात उन्होंने मां गंगा के कहे अनुसार शिव जी की तपस्या की ओर उनसे गंगा को अपनी जटाओं में समाहित करने के लिए प्रार्थना की. जिसके बाद गंगा मां ब्रह्मा जी के कमंडल में समा गयीं और फिर ब्रह्मा जी ने शिव जी की जटाओं में गंगा को प्रवाहित कर दिया. जिसके बाद शिव ने गंगा की एक छोटी सी धारा पृथ्वी की ओर प्रवाहित कर दी.
जिसके बाद भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित कर उन्हें मुक्ति दिलायी. जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी उस दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी. तभी से इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाने लगा. माना जाता है मां गंगा अपने साथ पृथ्वी पर संपन्नता और शुद्धता लेकर आयीं थी. तब से आज तक गंगा पृथ्वी पर मौजूद हैं.

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