9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Happy Children’s Day 2020: झारखंड में क्यों मर रहा बच्चों का बचपन, बाल दिवस पर पढ़िए समाज का स्याह चेहरा

Happy Children's Day 2020, Jharkhand News, Children's Day 2020: स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बच्चों को लेकर एक सपना देखा था. आज चाचा नेहरू का वो सपना धूमिल हो चुका है. देश और समाज बच्चों को खुशहाल बचपन नहीं दे पाया. उल्टे उनका बचपन छीनने में लग गया. बचपन को सबसे पहले घर के लोगों ने छीना. किताबों के बोझ तले बच्चों को दबा दिया. माता-पिता ने अपने सपनों का बोझ उन मासूम कंधों पर डाल दिया, जिसने अभी ठीक से दुनिया देखी भी नहीं.

Happy Children’s Day 2020: स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बच्चों को लेकर एक सपना देखा था. आज चाचा नेहरू का वो सपना धूमिल हो चुका है. देश और समाज बच्चों को खुशहाल बचपन नहीं दे पाया. उल्टे उनका बचपन छीनने में लग गया. बचपन को सबसे पहले घर के लोगों ने छीना. किताबों के बोझ तले बच्चों को दबा दिया. माता-पिता ने अपने सपनों का बोझ उन मासूम कंधों पर डाल दिया, जिसने अभी ठीक से दुनिया देखी भी नहीं.

घर से बाहर निकलने पर इन बच्चों के साथ ज्यादती करनी शुरू की समाज ने. समाज का एक वर्ग बचपन के साथ खिलवाड़ कर रहा है. बच्चों का शोषण कर रहा है. अलग-अलग रूप में बच्चे आज शोषित हो रहे हैं. कोई बाल श्रम करने के लिए मजबूर है, तो किसी को यौन शोषण का शिकार होना पड़ रहा है. देख सभी रहे हैं, लेकिन इसके खिलाफ आवाज कोई नहीं उठा.

सबसे ज्यादा क्रूरता नवजात शिशुओं को झेलनी पड़ रही है. बचपन की अलग-अलग समस्याओं पर राजनीतिक स्तर से लेकर सामाजिक स्तर तक आवाज उठती है, लेकिन नवजात की चाही-अनचाही हत्या के मुद्दे पर आज कोई बात नहीं करता. जैसे-जैसे हमारा समाज विकसित होता जा रहा है, हमारी सोच संकुचित होती जा रही है और इसका खामियाजा बच्चों को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ रहा है.

Also Read: Children’s Day 2020: पंडित नेहरू, डॉ कलाम के बाद क्या कोई बन पाया बच्चों का चाचा…

नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद फेंक देने की सैकड़ों घटनाएं होती हैं, लेकिन थाना में इसकी रिपोर्ट बहुत कम दर्ज होती है. यहां तक कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) में भी इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. कुछ सामाजिक संस्थाएं इसकी लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन उन्हें शासन और प्रशासन की ओर से बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिल रहा है.

एनसीआरबी के आंकड़ों की बात करें, तो वर्ष 2018 में झारखंड में मानव तस्करी की 373 घटनाएं सामने आयीं. यह संख्या देश के किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा है. इनमें से 314 लड़कियां थीं, जो नाबालिग थीं. इनमें से मात्र 158 को ही बचाया जा सका. अशिक्षा और गरीबी की वजह से मानव तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. समाज में जागरूकता के अभाव के चलते इन पर रोक नहीं लग पा रही है.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बहुत बुरा हाल है झारखंड का. झारखंड के 90 फीसदी बच्चों को पोषक आहार तक नहीं मिलता. राज्य की 3.3 करोड़ की आबादी में 1.3 करोड़ लोग गरीब हैं. यही वजह है कि पीढ़ी दर पीढ़ी कुपोषण का दंश झेल रहे हैं और इसकी वजह से बचपन खतरे में रहता है.

Also Read: झारखंड में पोषण युक्त भोजन की कीमत 194 रुपये, एनर्जी फूड की 92 रुपये, इंटरनेशनल NGO का सर्वे

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 2014-15 (NHFS-4) के आंकड़ों पर गौर करें, तो पता चलेगा कि राज्य के 45.3 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. 10 में 9 बच्चों को पोषक आहार नहीं मिलता. जब बच्चों को पोषक आहार नहीं मिलेगा, तो वह बीमार रहेगा और बीमार बचपन कभी खेलता-कूदता नजर नहीं आयेगा. ऐसा बचपन कभी खुशहाल नहीं हो पायेगा.

कुपोषण की वजह से ही 5 साल से कम उम्र के बच्चों का वजन कम रह जाता है. बच्चे बौने रह जाते हैं. यानी समय के साथ उनकी लंबाई नहीं पढ़ती है. 45.3 फीसदी बच्चों का वजन उनकी लंबाई के अनुपात में कम है. राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे बच्चों का औसत 38.4 फीसदी है. इतना ही नहीं, झारखंड के 47.8 फीसदी बच्चों का वजन उनकी उम्र के हिसाब से सामान्य से काफी कम है.

Also Read: झारखंड के 90% बच्चों को नहीं मिलता पोषक आहार, 3.3 करोड़ में 1.3 करोड़ लोग गरीब, कैसे खत्म हो पीढ़ियों से चला आ रहा कुपोषण?

मासूमियत, चंचलता, भोलापन, सादगी और सच कहने वाले बच्चों की निर्भीकता अब खत्म होती जा रही है. अभिभावकों की बच्चों को शीघ्र बड़ा बनाने की तलब ने उनका बचपन छीन लिया है. हमें बाल दिवस (Children’s Day) पर इन समस्याओं पर गंभीर चिंतन करने की जरूरत है, ताकि बच्चों का बचपन सुरक्षित रह सके.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें