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जामताड़ा के ‘ब्रेन’ पर रिसर्च करेगा अमेरिका, Cyber Crime के लिए बदनाम है झारखंड का यह जिला

jamtara brain research: साइबर क्राइम के लिए बदनाम झारखंड के जामताड़ा में रहने वाले बेरोजगार और कम पढ़े-लिखे युवाओं के ‘ब्रेन’ पर अब अमेरिका रिसर्च करना चाहता है. ब्रेन मैपिंग के जरिये देश के पढ़े-लिखे आम लोगों से लेकर राजनेता और यहां तक कि इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में दक्ष लोगों को भी यहां के युवा कैसे अपने झांसे में ले लेते हैं, अमेरिकी एक्सपर्ट इस पर रिसर्च करना चाहते हैं.

रांची : साइबर क्राइम के लिए बदनाम झारखंड के जामताड़ा में रहने वाले बेरोजगार और कम पढ़े-लिखे युवाओं के ‘ब्रेन’ पर अब अमेरिका रिसर्च करना चाहता है. ब्रेन मैपिंग के जरिये देश के पढ़े-लिखे आम लोगों से लेकर राजनेता और यहां तक कि इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में दक्ष लोगों को भी यहां के युवा कैसे अपने झांसे में ले लेते हैं, अमेरिकी एक्सपर्ट इस पर रिसर्च करना चाहते हैं.

जामताड़ा के एसपी दीपक कुमार सिन्हा ने कहा है कि उन्हें जानकारी मिली है कि साइबर क्राइम पर रिसर्च कर रही अमेरिका की एक टीम जामताड़ा के साइबर क्रिमिनल्स पर रिसर्च करना चाहती है. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी टीम भारत आती है, तो जामताड़ा में उनको रिसर्च में पूरी मदद की जायेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि आधिकारिक रूप से अभी उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं दी गयी है.

दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली में राज्यों के पुलिस महानिदेशक स्तर की एक बैठक हुई. इसी दौरान कहा गया कि अमेरिका भी इस बात से हैरान है कि आखिर कम पढ़े-लिखे लोग कैसे आइटी के एक्सपर्ट बन जाते हैं. यहां तक कि आइटी एक्सपर्ट को भी ये लोग चूना लगा देते हैं. साइबर क्राइम का अध्ययन कर रही टीम जामताड़ा के साइबर अपराधियों के कारनामों से चकित है.

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इसलिए ये लोग इस बात का पता लगाना चाहते हैं कि आखिर इन युवाओं के दिमाग में ऐसा क्या स्पेशल है, जो उन्हें इतना शातिर साइबर क्रिमिनल बनाता है. दूसरी तरफ, साइबर क्राइम की राजधानी जामताड़ा के लोगों को इस बात पर फख्र हो रहा है कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश उसके जिला के युवाओं पर रिसर्च करना चाहता है.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि जामताड़ा पहले भी अपराध का केंद्र रहा है. यहां के लोग रेल यात्रियों को नशीला पदार्थ खिलाकर उन्हें लूटते थे. सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में इन अपराधियों ने अपना फील्ड बदल लिया. इन्होंने जोखिम लेने की बजाय मोबाइल फोन और लैपटॉप को अपना हथियार बनाया और आम लोगों से लेकर राजनेता एवं बड़े-बड़े पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों तक को मिनटों में लूटना शुरू कर दिया.

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साइबर क्राइम का कारोबार इतना फैल गया कि खास इलाके में कुछ ही दिनों में झोपड़ियों की जगह अट्टालिकाएं खड़ी हो गयीं. खासकर करमाटांड़ और नारायणपुर में. इसी जिले में सियाटांड़ गांव भी है, जहां के 90 फीसदी युवा साइबर क्राइम से जुड़े हैं. इनका क्रिमिनल रिकॉर्ड है. एक ओटीपी के जरिये लोगों से हजारों, कभी लाखों रुपये तक उड़ा लेते हैं.

Posted By : Mithilesh Jha

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