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पकरी बरवाडीह कोयला परियोजना में हुआ अवैध खनन और अतिक्रमण

हजारीबाग के बड़कागांव स्थित पकरी बरवाडीह कोयला परियोजना में बड़े पैमाने पर अवैध खनन और अतिक्रमण हुआ है.

हजारीबाग के बड़कागांव स्थित पकरी बरवाडीह कोयला परियोजना में बड़े पैमाने पर अवैध खनन और अतिक्रमण हुआ है. सीआइडी की जांच में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि उक्त एरिया में अवैध खनन कर कोयला की चोरी की जा रही होगी. इससे झारखंड सरकार को राजस्व का नुकसान होने के साथ-साथ पर्यावरण व वन्य जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इसमें हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल के पदाधिकारी आरएन मिश्रा द्वारा प्रयोक्ता अभिकरण एनटीपीसी और उसके एमडीओ त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्रा. लिमिटेड के अधिकारी को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी रिपोर्ट में सरकार की शर्तों और आदेशों की गलत व्याख्या कर तथ्यों को छिपाते हुए सरकार को रिपोर्ट भेजी गयी. वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री मिश्रा की रिपोर्ट से सीधा लाभ एनटीपीसी एवं उसके एमडीओ त्रिवेणी सैनिक प्रा. लिमिटेड के अधिकारी को हुआ है. इसलिए पूरे प्रकरण में पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी के साथ एनटीपीसी व उसके एमडीओ दोषी हैं. इन तीनों की मिलीभगत से सरकार को गुमराह करते हुए गलत रिपोर्ट भेजी गयी है. जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि एमडीओ त्रिवेणी सैनिक कंपनी के एजीएम अरविंद देव द्वारा निसार खान नामक व्यक्ति से मामले के शिकायतकर्ता शनिकांत उर्फ मंटू सोनी को प्रभावित कर समझौता कराने का प्रयास किया गया है. इस कारण इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि दोषियों द्वारा जांच एवं कार्रवाई को प्रभावित करने के लिए कोई भी प्रयत्न किया जा सकता है. इसलिए सरकार के स्तर से उच्चस्तरीय जांच कर कार्रवाई करने की आवश्यकता प्रतीत होती है. मामले में जांचकर्ता ने इस संबंध में सीआइडी डीजी को रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बात भी प्रकाश में आयी है कि भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के डिप्टी डीजीएफ, आइआरओ संतोष तिवारी और सहायक वन महानिरीक्षक शशि शंकर द्वारा भी एक जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार के वैज्ञानिक चरणजीत सिंह (डीएफसी डिविजन) को भेजी गयी है. इसमें कहा गया है कि एनटीपीसी द्वारा फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्त का उल्लंघन कर 156 हेक्टेयर एरिया यानी लगभग 400 एकड़ एरिया में अवैध खनन व अतिक्रमण किया गया है, जो पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा बनायी गयी रिपोर्ट से चार गुणा ज्यादा है.

दुमुहानी नाले की चौड़ाई चार से पांच मीटर कर दी गयी :

सीआइडी ने स्थल निरीक्षण के दौरान यह पाया है कि जिस दुमुहानी नाला का अवैध खनन किया गया है, उसकी वन विभाग की जांच रिपोर्ट में औसत चौड़ाई 30 मीटर बतायी गयी है. लेकिन वर्तमान में दुमुहानी नाले को डायवर्ट करने की प्रक्रिया की जा रही है. इसमें उसकी चौड़ाई चार से पांच मीटर कर दी गयी है. यानी नाले के मूल आकार को बहुत कम कर दिया गया है. इस वजह से दुमुहानी नाले के मूल स्वरूप को बचाना संभव नहीं है.

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