हालांकि मंगलवार को जारी अधिसूचना में सुभाषचंद्र जाट को एसडीपीओ बेरमो के पद पर पदस्थापित कर दिया गया है. नियमानुसार फिल्ड ट्रेनिंग के दौरान आइपीएस अधिकारी नेशनल पुलिस एकेडमी (एनपीए) के प्रशिक्षु होते हैं, न कि राज्य के अधिकारी. फिल्ड ट्रेनिंग से लौटने के बाद एनपीए में आइपीएस को फेज-दो की ट्रेनिंग लेनी होती है. फेज-दो की ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद ही आइपीएस की पोस्टिंग एएसपी या एसडीपीओ के पद पर किये जाने का प्रावधान है.
जानकारी के मुताबिक फील्ड ट्रेनिंग छह माह से अधिक की होती है. तीन माह तक किसी थाना में थाना प्रभारी के पद पर पदस्थापित किया जाता है. फिर इंस्पेक्टर ऑफिस, डीएसपी ऑफिस, डीसी ऑफिस, पुलिस लाइन, आर्म्ड पुलिस (जैप) और कोर्ट में एक-एक सप्ताह अटैच रह कर फिल्ड ट्रेनिंग पूरा करना होता है. फिल्ड ट्रेनिंग पूरा करने के बाद आइपीएस वापस नेशनल पुलिस एकेडमी लौटते हैं. वहां से पास आउट होने के बाद राज्य में आते हैं. तब राज्य सरकार उन्हें एएसपी या एसडीपीओ के पद पर पोस्टिंग करती है.
जानकारी के मुताबिक एनपीए, हैदराबाद में ट्रेनिंग के बाद तीनों आइपीएस फरवरी माह में झारखंड आये थे. तीनों आइपीएस को अभी चाईबासा, जमशेदपुर व हजारीबाग में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में फिल्ड ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था. तीनों की ट्रेनिंग शुरू होती, उससे पहले ही उन्हें रांची में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में ड्यूटी पर लगा दिया गया. एक सप्ताह बाद जब तीनों अपने-अपने जिले में लौटे, तब कुछ दिन बाद उन्हें लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव में ड्यूटी में 15 दिन के लिए भेज दिया गया. सितंबर माह में तीनों आइपीएस की फिल्ड ट्रेनिंग समाप्त होनी थी, जिसके बाद सभी दुबारा नेशनल पुलिस एकेडमी लौटते. फिल्ड ट्रेनिंग में मिले नंबर एनपीए की ट्रेनिंग में मिले नंबरों में भी जुड़ता है. इस तरह जब इन तीनों आइपीएस ने फिल्ड ट्रेनिंग की ही नहीं है, तो इसका नंबर भी उन्हें नहीं मिल पायेगा और अपने बैच में इनकी सीनियरिटी पर भी असर पड़ेगा.