रांची : मांस विक्रेताओं और बूचड़खानों को लाइसेंस देने संबंधित जानकारी देने गये नगर आयुक्त प्रशांत कुमार से मुख्यमंत्री ने पूछा कि अब तक कितने लोगों को लाइसेंस जारी किया गया है? नगर आयुक्त ने मुख्यमंत्री को बताया कि अब तक 11 चिकेन दुकानदारों को लाइसेंस दिया जा चुका है. 55 के करीब चिकेन विक्रेताओं ने लाइसेंस के लिए आवेदन दिया है, जिसमें 25 की स्क्रूटनी हो चुकी है.
नगर आयुक्त ने कहा कि अब तक एक भी मटन व मेवशी विक्रेता को लाइसेंस नहीं दिया गया है, क्योंकि नगर निगम बोर्ड ने जो नियामवली पास की है, उसे सरकार से अनुमति नहीं मिली है. यही कारण है कि मटन व मवेशी मांस विक्रेताओं को लाइसेंस देने में दिक्कत हो रही है. इस पर मुख्यमंत्री ने नगर आयुक्त से तत्काल कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि रमजान महीने को देखते हुए तत्काल कोई रास्ता निकाला जाये. गौरतलब है कि चिकेन-मटन विक्रेता संघ के सदस्य नगर विकास मंत्री सीपी सिंह मिलकर अपनी समस्या बतायी थी. इसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह शीघ्र मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात करेंगे. संघ ने श्री सिंह को बताया था कि अवैध बूचड़खाने पर रोक लगे दो महीने हो गया, इसके बाद भी नियामावली नहीं बन पाई है. नियमावली बनाये जाने तक कोई तत्कालिक व्यवस्था होनी चाहिए.
तीन महीने और लग सकते हैं
जानकार बताते है कि मांस बेचने व बूचड़खाना खालने को लेकर बनी रही नयी नियामवली को मंजूरी मिलने में तीन महीने से अधिक का समय लगने की उम्मीद है. ऐसे में अगर सरकार मांस विक्रेताओं के लिए जल्द कोई रास्ता नहीं निकाला गया तो उनके सामने भुखमरी की स्थिति आ जायेगी. झारखंड में लाखों लोग बेराजगार हो जायेंगे.