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बीएयू से डॉ आरपी सिंह रतन सेवामुक्त

रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कुलपति ने प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आरपी सिंह रतन को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त कर दिया है. डॉ रतन विवि में एक पदाधिकारी के हैसियत से कार्यरत हैं अौर पदाधिकारी की सेवानिवृत्त उम्र विवि एक्ट के अनुसार 60 वर्ष निर्धारित है. वहीं विवि एक्ट […]

रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कुलपति ने प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आरपी सिंह रतन को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त कर दिया है. डॉ रतन विवि में एक पदाधिकारी के हैसियत से कार्यरत हैं अौर पदाधिकारी की सेवानिवृत्त उम्र विवि एक्ट के अनुसार 60 वर्ष निर्धारित है.
वहीं विवि एक्ट के अनुसार शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयुसीमा 65 वर्ष निर्धारित है. इस स्थिति में डॉ रतन पांच अप्रैल 2013 में ही सेवानिवृत्त हो गये हैं. कुलपति डॉ पी कौशल के आदेश से निदेशक प्रशासन ने डॉ रतन को सेवामुक्त करने संबंधी आदेश जारी कर दिया है. अब विवि डॉ रतन से पांच अप्रैल 2013 से अब तक लिये गये वित्तीय लाभ के वापसी की कार्रवाई भी करेगा.
डॉ रतन के हस्ताक्षर से हुआ कामकाज संदेह के घेरे में
इधर विवि में चर्चा है कि पांच अप्रैल 2013 को ही सेवानिवृत्त होने की स्थिति में डॉ रतन के हस्ताक्षर से किये गये कई प्रशासनिक, शैक्षणिक व वित्तीय निर्णय संदेह के घेरे में आ गये हैं, जबकि डॉ रतन के मामले में विवि प्रशासन को लगभग चार वर्ष बाद सेवानिवृत्त की तिथि याद आना भी संदेह को जन्म देता है.
विद्वेष की भावना से की गयी है कार्रवाई : डॉ रतन
विवि प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई विद्वेष की भावना से की गयी है. यह गलत है. टीचर बैकग्राउंड के कारण ही उन्हें निदेशक प्रसार शिक्षा बनाया गया. इसमें 10 वर्ष प्रोफेसर का अनुभव था. अगर टीचर नहीं रहता, तो क्वालिफाइ ही नहीं करता. विवि द्वारा सरकार को सौंपी गयी शिक्षकों की सूची में भी मेरा नाम है. ऐसे में अचानक शिक्षक वर्ग से हटा देना समझ से परे है.
विवि प्रशासन ने पिछली प्रबंध पर्षद बोर्ड की बैठक में नियम विरुद्ध क्लास टीचर का मामला को जोड़ दिया. इससे पूर्व के कुलपति, कृषि सचिव सह कुलपति ने भी हमें शिक्षक संवर्ग माना. वहीं डीएसडब्ल्यू डॉ एनके रॉय का भी शिक्षक संवर्ग का मामला न्यायालय में लंबित है. ऐसे में समान मामलों में विवि प्रशासन द्वारा एक तरफा निर्णय कैसे ले सकता है.

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