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होटवार जेल के 30 कैदी अमृत कृषि का ले रहे हैं प्रशिक्षण
रांची : बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार, रांची के 30 कैदी अमृत कृषि का प्रशिक्षण ले रहे हैं. उन्हें उन्नत खेती व जैविक खाद से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है़ बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के तीन विशेषज्ञ उन 30 कैदियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. विशेषज्ञों में सिद्धार्थ जायसवाल, डॉ सीएम सिंह तथा डॉ एमएस […]
रांची : बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार, रांची के 30 कैदी अमृत कृषि का प्रशिक्षण ले रहे हैं. उन्हें उन्नत खेती व जैविक खाद से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है़ बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के तीन विशेषज्ञ उन 30 कैदियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. विशेषज्ञों में सिद्धार्थ जायसवाल, डॉ सीएम सिंह तथा डॉ एमएस यादव शामिल हैं. यह कोर्स छह महीने का है़ प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षु कैदियों की जो टीम बनायी गयी है, उनमें सभी 30 कैदी सजायाफ्ता हैं. छह महीने प्रशिक्षण लेने के बाद वे कैदी ही प्रशिक्षक (ट्रेनर) बन जायेंगे़ उसके बाद वे अन्य कैदियों को प्रशिक्षण देंगे़ समय-समय पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की भी राय ली जायेगी़
जेल में हो रही खेती में भी अमृत कृषि का प्रयोग किया जायेगा, जिससे कि जेल में उपजायी जा रही सब्जी की पैदावार बढ़ायी जा सके़ अमृत कृषि का प्रयोग कर जेल सब्जी के लिए आत्मनिर्भर हो जायेगा़ कैदियों के लिए सब्जी बाहर से खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी़ इससे सरकार के लाखों रुपये के राजस्व की बचत होगी़ इतना ही नहीं सब्जी की अधिक पैदावार होगी, तो उसे बाहर के लोगों के लिए भी उपलब्ध कराया जायेगा़ आम लोग जेल के बाहर से सब्जी खरीद सकेंगे़
जेल से निकल कर रोजगार के लिए नहीं भटकेंगे
सजा काट कर निकलने वाले कैदियों के लिए अमृत कृषि काफी लाभदायक साबित होगा़ उनकी सामाजिक व आर्थिक उपयोगिता बढ़ेगी. वह अमृत कृषि के माध्यम से आर्थिक रूप से समृद्ध हो पायेंगे. उन्हें रोजगार के लिए नहीं भटकना पड़ेगा. वे ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षण भी देंगे और अपनी खेती भी करेंगे़
क्या है अमृत कृषि : अमृत कृषि जैविक कृषि का एक प्रारूप है. गोबर, गोमूत्र, गुड़ व जल के मिश्रण से पहले अमृत जल बनाया जाता है़ उस जल को खेती में प्रयोग किया जाता है, जिससे अधिक पैदावार होती है.
अमृत जल से की जाने वाली खेती का नाम अमृत कृषि दिया गया है़ अमृत कृषि से फसल उपजाने से उत्पादन लागत में कमी आती है, जबकि उत्पादकता में वृद्धि होती है. विशेषज्ञों का कहना है अमृत जल के माध्यम से की गयी खेती स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है.
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