आग की लपट तेज होने के कारण वह अपने पति राजदेव, पुत्र व पुत्री को झोंपड़ी से निकाल नहीं पायी. लपटें कम होने पर पति व दोनों बच्चे गंभीर रूप से झुलसे मिले. वह उन्हें उसी हालत में ईंट भट्ठा के मुंशी मंगल उरांव के साथ रिम्स ले गयी. जहां इलाज के दौरान 14 मई को दिन में पुत्र व रात में पति व पुत्री की भी मौत हो गयी. 15 मई को तीनों के शव का अंत्यपरीक्षण कर ग्राम कुड़ेकी, थाना महासमुंद, जिला महासमुंद (छत्तीसगढ़) भेज दिया गया. इधर, ईंट भट्टा के मालिक रबुल अंसारी ने संपर्क करने पर बताया कि वह मृतक बच्चों का नाम नहीं जानता. उसने झुलसे लोगों को रिम्स भिजवाया था. शव को भी उनके घर तक भिजवा दिया.
इसके अलावा वह और क्या करता? बताया जाता है कि मामले की जानकारी पुलिस को है. हालांकि खबर लिखे जाने तक मामले में किसी ने प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी है. सूत्रों के मुताबिक मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है. इसलिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.