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कुंदन पाहन सरेंडर : हाइकोर्ट पहुंचा मामला, 15 लाख का भुगतान रोकने की मांग

रांची: 15 लाख का इनामी और पूर्व माओवादी कुंदन पहान के आत्मसमर्पण को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने विभिन्न अखबारों में कुंदन के सरेंडर करने संबंधी खबरों का कतरन सोमवार को चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में प्रस्तुत किया. खंडपीठ से मामले […]

रांची: 15 लाख का इनामी और पूर्व माओवादी कुंदन पहान के आत्मसमर्पण को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने विभिन्न अखबारों में कुंदन के सरेंडर करने संबंधी खबरों का कतरन सोमवार को चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में प्रस्तुत किया. खंडपीठ से मामले में स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया. इसके बाद खंडपीठ ने मामले में केस रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मामले को जनहित यािचका में तब्दील करदिया. सुनवाई मंगलवार को होगी.
नक्सलियों को दी गयी राशि वसूली जाये : इससे पहले, सुनवाई के दौरान कुंदन पाहन का भव्य समारोह में आत्मसमर्पण कराने का मामला उठाया गया. अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी को रद्द करने की मांग की. साथ ही कुंदन को दिये गये 15 लाख रुपये के चेक के भुगतान पर रोक लगाने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि संगीन अपराध से संबंधित 128 मामलों में आरोपी कुदंन पहान को जिस तरह से आत्मसमर्पण कराया गया है, उससे समाज में गलत संदेश जा सकता है. अधिवक्ता हेमंत कुमार ने खंडपीठ को बताया कि इससे पूर्व हार्डकोर नक्सली नकुल यादव के आत्मसमर्पण करने पर उसे 15 लाख रुपये का चेक दिया गया था. उन्होंने सरेंडर पॉलिसी के तहत अब तक जितनी भी राशि नक्सलियों को दी गयी है, उसकी वसूली करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि यह जनता का पैसा है. सरेंडर के नाम पर उसका दुरुपयोग किया जा रहा है.

यह कैसा न्याय
हमें एक लाख, मारने वाले को 15 लाख रुपये : बसुंधरा देवी
तमाड़ के पूर्व विधायक दिवंगत रमेश सिंह मुंडा की पत्नी बसुंधरा देवी ने कहा कि पति की हत्या
के बाद मेरे परिवार को एक लाख रुपये दिये गये. मारनेवाले को 15 लाख रुपये का चेक मिलता है़ कुंदन को ऐसे माला पहनाया जा रहा है, जैसे वह आंदोलनकारी हो.
कुंदन को फांसी मिले
पुलिसकर्मियों के हत्यारे को गले लगा रहे अिधकारी : सुनीता
विशेष शाखा के शहीद इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की पत्नी सुनीता इंदवार ने कहा कि नक्सली कुंदन पाहन को महिमामंडित किया जाना बुरा लगता है़ कई पुलिसकर्मियों और निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करनेवाले को पुलिस अधिकारी गले लगा रहे हैं. सरकार उसे फांसी की सजा दे.
शहीद होना पसंद, हत्यारे को फूल देना मंजूर नहीं
रांची: कुंदन पाहन का भव्य समारोह में सरेंडर कराने पर पुलिसकर्मियों में आक्रोश है. पुलिसकर्मियों का कहना है कि कुंदन पाहन को जिस तरह से सरेंडर कराया गया, नेताओं की तरह उसे भाषण देने की छूट दी गयी, वह गलत है. सिपाही व हवलदार संवर्ग के पुलिसकर्मी इसे लेकर एक वाट्स एप ग्रुप पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. ग्रुप में 250 से अधिक सिपाही व हवलदार जुड़े हैं. ये सरकार और पुलिस के बड़े अधिकारियों के खिलाफ ग्रुप में ही बयान जारी कर रहे हैं. कुछ पुलिसकर्मी हाइकोर्ट में वकील रख कर इसका विरोध करने की बात कह रहे हैं. एसोसिएशन के पदाधिकारियों से विरोध स्वरूप एक दिन काला बिल्ला लगा कर काम करने का अनुरोध किया है. झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन ने भी इसका विरोध किया है. एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राकेश पांडेय ने कहा है कि हमें देश व राज्य हित में शहीद होना पसंद है. लेकिन पुलिसकर्मियों व आम जनता के हत्यारे को फूल देना पसंद नहीं. झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि यह शहादत का अपमान है. दुर्दांत नक्सली को महिमामंडित करने जैसी किसी भी घटना का विरोध करेंगे.
वाट्स एप ग्रुप पर पुलिसकर्मियों के कैसे-कैसे मैसेज (यहां हम सिर्फ पुलिसकर्मियों के पोस्ट किये गये मैसेज ही लिख रहे हैं, उनका नाम प्रकाशित नहीं किया जा रहा है)
नक्सली जवानों की हत्या कर रहे हैं और हमारे जन प्रतिनिधि और कुछ उच्च अधिकारी उन्हें संरक्षण दे रहे हैं.
पुलिसकर्मियों की मां की गोद सुनी करनेवाला, पत्नियों की मांग सुनी करनेवाला, मासूमों के सिर से पिता का साया छीननेवाले हत्यारे को फूलों की माला देकर अधिकारी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. ऐसे अधिकारियों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए.
सरकार प्रेरित कर रही है कि अब कोई जवान किसी नेता का अंगरक्षक न बने. अब ये काम इनके लिए नक्सली ही करेंगे.शहीदों के परिवार के साथ अन्याय हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि आनेवाले दिनों में नक्सलियों को सरेंडर करने के बाद पुलिस महकमा में बड़ा पद देने का प्रावधान न ला दे सरकार.
हत्यारा, लुटेरा, डकैत, बलात्कारी, देश का सबसे बड़ा अपराधी, कानून को धता बतानेवाला अपराधी, देशद्रोही को इनाम देना बड़े दुःख और शर्म की बात है. नक्सलियों से ज्यादा खतरनाक ये आला अधिकारी हैं, तो अपनी पीठ थपथपाने और पदक पाने के लिए पुलिसकर्मियों की कुर्बानी भूल जाते हैं.
हमें देश व राज्य हित में लड़ कर शहीद होना पसंद है. लेकिन पुलिसकर्मियों व आम जनता के हत्यारे को फूल देना पसंद नहीं.
राकेश पांडेय, उपाध्यक्ष, झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन
नक्सली मुख्यधारा से जुड़ें, यह अच्छी बात है. लेकिन कुंदन पाहन जैसे दुर्दांत नक्सली को महिमामंडित करने जैसी किसी भी घटना का विरोध करेंगे. यह शहादत का अपमान है.
योगेंद्र सिंह, अध्यक्ष, झारखंड पुलिस एसोसिएशन
पुलिस के हत्यारे नक्सलियों को इनाम नहीं, फांसी होनी चाहिए.
रमेश उरांव, महामंत्री, झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन

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