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बैंकों का विलय देश हित में नहीं : डॉ वी चिदंबरा

बैंक अॉफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन की झारखंड इकाई की वार्षिक आम बैठक रांची : फेडरेशन ऑफ बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ वी चिदंबरा कुमार ने कहा है कि बैंकों का विलय देश हित में नहीं है. बड़े बैंकों द्वारा कमजोर बैंकों का अधिग्रहण किये जाने से आम लोगों की समस्याएं कम नहीं […]

बैंक अॉफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन की झारखंड इकाई की वार्षिक आम बैठक
रांची : फेडरेशन ऑफ बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ वी चिदंबरा कुमार ने कहा है कि बैंकों का विलय देश हित में नहीं है. बड़े बैंकों द्वारा कमजोर बैंकों का अधिग्रहण किये जाने से आम लोगों की समस्याएं कम नहीं होंगी. उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार की एक साजिश है, जिससे विदेशी बैंकों को भारत में आने में सहूलियत होगी. बैंक अॉफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन की झारखंड इकाई की 15वीं वार्षिक आम बैठक का उदघाटन करते हुए डॉ चिदंबरा ने कहा कि केंद्र को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 64 हजार करोड़ का लाभांश दे रहे हैं.
बैंकों की तरफ से 1.34 लाख करोड़ का कर भी दिया जा रहा है. पर इन बैंकों की तरफ से मांगे जा रहे 10 हजार करोड़ रुपये भी केंद्रीय वित्त मंत्रालय नहीं देना चाहता है. यह राशि कुल लाभांश और कर भुगतान का मात्र 67वां हिस्सा है. केंद्रीय अनुदान दिये जाने से कमजोर बैंकों की स्थिति सुधरेगी और सामाजिक समरसता का मार्ग प्रशस्त होगा.
उन्होंने कहा कि अनुदान के नाम पर वित्त मंत्रालय बैंकिंग यूनियनों के साथ समझौता करने की शर्त रख रहा है, जो गलत है.फेडरेशन के महासचिव सुनील कुमार ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में बैंकों का योगदान अधिक रहा है. जन-धन खातों को खोलने में बैंक ने केंद्र सरकार की मदद की. एक जन-धन खाते के रख-रखाव में बैंकों को 67 रुपये देने पड़ रहे हैं. निजी बैंक सिर्फ सरकारी शेयर खरीद कर हमें चुनौती दे रहे हैं. निजी बैंकों का कोई सामाजिक सरोकार नहीं है. उन्होंने कहा कि बैंकों के निजीकरण और विलय जैसी चुनौतियों के लिए एकजुट होना होगा.
मुंबई और गोवा इकाई के महासचिव एमबी त्रिपाठी ने भी कहा कि मिल कर सभी चुनौतियों का सामना करना होगा. ओड़िशा इकाई के मनोरंजन दास ने कहा कि वर्तमान स्थिति से निबटने के लिए अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. व्यापारिक सत्र में संतोषी अमी केरकेट्टा ने अध्यक्षीय भाषण दिया. झारखंड इकाई के महासचिव सुनील लकड़ा ने सचिवीय प्रतिवेदन प्रस्तुत कर लेखा-जोखा का ब्योरा दिया. कार्यक्रम में हरविंदर सिंह के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें सम्मानित किया गया.
बैंक पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के फायदे के लिए नहीं : बैंक ऑफ इंडिया अधिकारी संघ के महासचिव सुनील लकड़ा ने कहा है कि बैंक पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के फायदे के लिए नहीं है.
उन्होंने कहा कि बैंक के अधिकारी अपनी वेतन बढ़ोत्तरी के लिए नहीं, बल्कि देश को विकास पर ले जाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुल कार्यशील मुनाफा का ही एक अंश हम मांग रहे हैं, पर सरकार कमजोर बता कर निजी सेक्टर के बैंकों को मैदान में लाकर हमें चुनौतियां दे रही हैं. रिजर्व बैंक के जितने भी गर्वनर रहे हैं, सभी कोलंबिया विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा एयरटेल, वोडाफोन, पेटीएम जैसे संगठनों को बैंकिंग का लाइसेंस दिये जाने का विरोध किया.

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