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यह तो जनता के पैसों की बरबादी हो रही है : मेयर

डिस्टिलरी तालाब के सौंदर्यीकरण में घोर लापरवाही और अनियमितता बरती जा रही है. यह खुद नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा कह रही हैं. शुक्रवार शाम जब मेयर डिस्टिलरी तालाब का निरीक्षण करने पहुंचीं, तो कार्य की प्रगति अौर गुणवत्ता देख कर भड़क उठीं. कहा : डिस्टलरी तालाब के सौंदीर्यीकरण के नाम पर जनता के […]

डिस्टिलरी तालाब के सौंदर्यीकरण में घोर लापरवाही और अनियमितता बरती जा रही है. यह खुद नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा कह रही हैं. शुक्रवार शाम जब मेयर डिस्टिलरी तालाब का निरीक्षण करने पहुंचीं, तो कार्य की प्रगति अौर गुणवत्ता देख कर भड़क उठीं. कहा : डिस्टलरी तालाब के सौंदीर्यीकरण के नाम पर जनता के पैसाें की बरबारदी अौर बंदरबांट हो रही है. मेयर ने इसके लिए रांची नगर निगम के अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया है. साथ ही यह भी कहा कि जब ग्रीन इंडिया ने राजधानी में कभी भी अच्छा काम नहीं किया, तो फिर उसे काम क्यों दिया जा रहा है?
रांची: मेयर आशा लकड़ा शुक्रवार शाम 4:15 बजे डिस्टिलरी तालाब के सौंदर्यीकरण कार्य का जायजा लेने पहुंचीं. उनके साथ निगम के इंजीनियर, अधिकारी और सौंदर्यीकरण का काम कर रही एजेंसी ग्रीन इंडिया के ठेकेदार भी मौजूद थे. मेयर ने करीब आधे घंटे तक यहां चल रहे हर काम का जायजा लिया और गुणवत्ता को परखा.

इस दौरान मेयर ने डीप बोरिंग की लागत पर सवाल उठाया. कहा कि डीपीआर में डीप बोरिंग की लागत वास्तविक राशि से अधिक तय की गयी है. चार इंच के डीप बोरिंग की राशि के लिए 1.20 लाख रुपये तय है, लेकिन डीपीआर में इसकी लागत 2 लाख 31 हजार 790 रुपये अांकी गयी है. यह राशि वर्ष 2015 की है, उस समय तो इसकी दर और भी कम होनी चाहिए थी. इंट्री गेट और जाली लगाने के लिए 5 लाख 11 हजार 790 रुपये लिये गये हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि इस काम के लिए इतने पैसा खर्च होंगे.
सरकार को दी जायेगी इसकी सूचना : मेयर ने कहा कि हम तो जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं, इसलिए आंकड़ों का खेल समझ नहीं पायेंगे. हालांकि, इस योजना की जितनी लागत राशि दर्शायी गयी है और उसकी तुलना में जिस गुणवत्ता का काम हो रहा, वह जरूर समझते और जानते हैं. मेयर ने कहा कि पहले चरण का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है, इसलिए ग्रीन इंडिया को दूसरे चरण का काम नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे इस पूरे मामले की सूचना सरकार को देंगी.
अभी एक साल का काम है बाकी : मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि ग्रीन इंडिया कंपनी को 15 सितंबर 2015 को डिस्टिलरी तालाब के सौंदर्यीकरण का काम दिया गया था. काम पूरा करने के लिए करीब डेढ़ साल की समय सीमा निर्धारित थी, लेकिन इस दौरान काम नहीं पूरा हुआ. एजेंसी निर्धारित समय से 19 माह अधिक का समय ले चुकी है. अब भी पार्क, पाथ-वे, ड्रेन आदि का निर्माण होना बाकी है. स्थल निरीक्षण करने के बाद तो यही लगता है कि पहले चरण का काम पूरा होने में अभी एक साल का समय और लगेगा.
इस जाली को काेई बच्चा भी तोड़ देगा : मेयर ने डिस्टिलरी तालाब के पास लगायी जा रही जाली को हाथ से पकड़ कर देखा. तार की क्वालिटी को देख कर वे भड़क गयीं अौर कहा : इस जाली को तो कोई बच्चा भी तोड़ सकता है. आसपास के घरों के सीवरेज का पानी इसी पाथ-वे के बगल में बहा रह है. यह कैसे हाे रहा है, क्या कोई देखने वाला नहीं है?
…और ठेकेदार को चुप करा दिया मेयर ने
डिस्टिलरी तालाब के सौंदर्यीकरण के काम की गुणवत्ता देखकर मेयर भड़की हुई थीं. इस दौरान कई बार एजेंसी के ठेकेदार ने मेयर के सामने बोलने का प्रयास किया, लेकिन मेयर ने उन्हें चुप करा दिया. मेयर ने कहा : मैं आप से बात नहीं कर रही हूं. नगर निगम के इंजीनियर मेरे साथ हैं, मैं उनसे बात कर रही हूं. मेयर के साथ निरीक्षण के दाैरान नगर निगम के कार्यपालक अभियंता उमाशंकर राम, सहायक अभियंता गौतम और कनीय अभियंता सुधीर कुमार मौज्ूद थे.
सौंदर्यीकरण तय समय में पूरा करें : लोकायुक्त
राज्य के लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने कोकर स्थित डिस्टिलरी तालाब के साैंदर्यीकरण का कार्य तय समय में पूरा करने का निर्देश दिया है. गुणवत्ता के साथ तेजी से कार्य किया जाये. बरसात आने में अब अधिक समय नहीं बचा है. तालाब के समीप जो अतिक्रमण है, उसे भी हटाया जाये. स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की पिछले दिनों सुनवाई के दाैरान लोकायुक्त ने उक्त निर्देश रांची नगर निगम को दिया. सुनवाई के दाैरान नगर निगम, शहर अंचल व बड़गाई अंचल के अधिकारियों ने अद्यतन स्थिति की जानकारी दी. नगर निगम की अोर से बताया गया कि तालाब साैंदर्यीकरण का काम ग्रीन इंडिया को दिया गया है. कार्य 17 मार्च तक पूरा हो जाना था, लेकिन कई कारणों से कार्य अधूरा रहा. संवेदक ने कार्य पूरा करने के लिए छह माह का समय मांग रहा है. तालाब की चहारदीवारी का कार्य 15 जून तक पूरा कर लेने की बात कही गयी. अंचलाधिकारियों की अोर से बताया गया कि बड़गाईं में 15, शहर अंचल में 11 व नगर निगम में पांच अतिक्रमण के मामले चलाये जा रहे हैं. मामले की अगली सुनवाई जून माह में होगी. उल्लेखनीय है कि प्रभात खबर में कोकर डिस्टिलरी तालाब से संबंधित प्रकाशित खबरों को लोकायुक्त ने गंभीरता से लिया था. स्वत: संज्ञान से उसे परिवाद में तब्दील कर दिया था.

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