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रांची विवि अब रिसर्च लैब से लैंड तक जायेगा : वीसी

रांची : रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा है कि विवि के विद्यार्थी रिसर्च लैब से निकल कर लैंड (जमीन) तक जायेंगे. रिसर्च वर्क में ग्रामीणों के विचार का आचार-प्रदान होना चाहिए. कुलपति शुक्रवार को स्नातकोत्तर वनस्पतिशास्त्र विभाग, बायोटेक्नोलॉजी विभाग व केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में स्नातकोत्तर […]

रांची : रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा है कि विवि के विद्यार्थी रिसर्च लैब से निकल कर लैंड (जमीन) तक जायेंगे. रिसर्च वर्क में ग्रामीणों के विचार का आचार-प्रदान होना चाहिए. कुलपति शुक्रवार को स्नातकोत्तर वनस्पतिशास्त्र विभाग, बायोटेक्नोलॉजी विभाग व केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में स्नातकोत्तर वनस्पतिशास्त्र विभाग के सभागार में आयोजित दो दिवसीय जागरूकता कार्यशाला में बोल रहे थे.
कुलपति ने कहा कि विवि की पहचान रिसर्च वर्क से भी होती है. इसलिए इसका दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है. झारखंड एक ट्राइबल एरिया है. यहां के गांवों में अभी भी कई नयी टेक्नोलॉजी नहीं पहुंच पायी है. शिक्षक व शोधकर्ता इस बात पर ध्यान दें कि गांवों के किसानों तक नयी टेक्नोलॉजी कैसे पहुंचे. उनका शोध तभी सार्थक होगा, जब यहां के किसान उनके शोध के महत्व को समझें अौर उनके शोध को आगे बढ़ायें. कुलपति ने कहा कि शिक्षक मेजर अौर माइनर प्रोजेक्ट लें. नैक टीम के सदस्यों ने भी यहां के शिक्षकों से मेजर व माइनर प्रोजेक्ट बढ़ाने की बात कही है.
नार्थ इस्ट विवि के पूर्व कुलपति डॉ एके रॉय ने कहा कि शोधकार्यों का फायदा सीधे ग्रामीण किसानों को मिले तथा इससे उनके आर्थिक शक्ति में इजाफा हो. इसके लिए विवि के शोधार्थी व शिक्षक को जागरूक करने की आवश्यकता है. बीएन मंडल विवि, मधेपुरा के कुलपति डॉ एके रॉय ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास में सहभागी बनना ही बायोटेक्नोेलॉजी का आधार है. इसके लिए आवश्यक है कि ग्रामीण भारत को टेक्नोलॉजी का सीधा फायदा पहुंचाया जाये. उन्होंने कहा कि विवि में सबसे बड़ी चुनौतीशिक्षकों व आधारभूत संरचना का अभाव है. विद्यार्थियों की कक्षा में उपस्थिति कम है. रिसर्च प्रोजेक्ट की मांग घट रही है.
इससे पूर्व आगंतुकों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ शशि कुमार सिन्हा ने किया. कार्यक्रम के संयोजक व रांची विवि मानव संसाधन विकास केंद्र के निदेशक डॉ अशोक कुमार चौधरी ने कार्यशाला का महत्व बताया. उन्होंने कहा कि विवि में पहली बार प्रोजेक्ट के लिए शिक्षकों व विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. संचालन डॉ हनुमान शर्मा ने किया. पीजी बॉटनी की छात्राअों ने स्वागत गीत व कुलगीत प्रस्तुत किया. मौके पर डॉ अरुण निनावे, डॉ एसयू अहमद, डॉ ज्योति कुमार, डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ आनंद कुमार ठाकुर सहित कई लोग उपस्थित थे.
रिसर्च प्रोजेक्ट से लोगों को सीधा फायदा : डॉ निनावे
कार्यशाला के दूसरे सत्र में डीबीटी के सलाहकार डॉ अरुण निनावे ने बताया कि डीबीटी स्पांसर्स प्रोजेक्ट में झारखंड-बिहार की सहभागिता बहुत कम है. जबकि काम करने का स्कोप सर्वाधिक है. झारखंड जनजातीय क्षेत्र है, जहां जीव-जंतुअों की विविधता है. रिसर्च प्रोजेक्ट से यहां के लोगों को सीधे फायदा होगा व स्वरोजगार के साधन बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि डीबीटी का लक्ष्य है कि शोध कार्यों की उपलब्धियों को ग्रामीण व पिछड़े इलाकों तक पहुंचाया जाये. उन्होंने कहा कि विवि को 20 रिसर्च प्रोजेक्ट भारत सरकार द्वारा दिये जायेंगे. कार्यक्रम में 10 शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये, जिस पर विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी. इन शोध पत्र को डीबीटी नयी दिल्ली भेजा जायेगा. चयनित शोध पत्र के शोधार्थी को प्रोजेक्ट अवार्ड दिया जायेगा.

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