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चंपारण सत्याग्रह से महात्मा गांधी बेहद सशक्त होकर उभरे

रांची : रांची विवि के डीन डॉ आइके चौधरी ने कहा है कि चंपारण सत्याग्रह से सामान्य व्यक्ति भी जुड़े हुए हैं. इनलोगों के ऊपर ब्रिटिश सरकार द्वारा जबरदस्ती थोपे गये तीन कट्ठे नील की खेती यानि की तीन कठिया की समस्या उस समय के पत्र- पत्रिकाअों में छप रहे थे. डॉ चौधरी शुक्रवार को […]

रांची : रांची विवि के डीन डॉ आइके चौधरी ने कहा है कि चंपारण सत्याग्रह से सामान्य व्यक्ति भी जुड़े हुए हैं. इनलोगों के ऊपर ब्रिटिश सरकार द्वारा जबरदस्ती थोपे गये तीन कट्ठे नील की खेती यानि की तीन कठिया की समस्या उस समय के पत्र- पत्रिकाअों में छप रहे थे. डॉ चौधरी शुक्रवार को रांची वीमेंस कॉलेज इतिहास विभाग के तत्वावधान में गांधी चंपारण सत्याग्रह अौर टाना भगत आंदोलन पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे.

डॉ चौधरी ने कहा कि पूर्व बंगाल में भी 1858-59 में इसी नील की खेती को लेकर आंदोलन हो चुका था, जिसे दबा दिया गया था. इस बार चंपारण में गांधी जी का साथ डॉ राजेंद्र प्रसाद, जेबी कृपलानी, ब्रजकिशोर प्रसाद, महादेव देसाई, मजहरबल हक आदि ने दिया.स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ एके चट्टोराज ने कहा कि इस आंदोलन ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम की एक मजबूत कड़ी स्थापित की, जो बंगाल के नील आंदोलन के प्रतिक्रिया स्वरूप थी. इस आंदोलन ने महात्मा गांधी को एक सशक्त लीडर के रूप में स्थापित किया.

कथाकार रणेंद्र ने बताया कि चिंगरी, विष्णपुर से लोक नायक बने जतरा उरांव व मोहन दास करमचंद से महात्मा गांधी बने दोनों व्यक्ति दो अक्तूबर को पैदा हुए. गांधी के लिए चंपारण का नीलहा आंदोलन व तरह-तरह के टैक्स अौर हर्जाने से त्रस्त जनता के बीच जाना एक नये आंदोलन का प्लेटफार्म था.

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