सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की अपील को मंजूर करते हुए फैसला दिया है कि लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाला से संबंधित अलग-अलग मामले में केस चलेगा. नौ माह के भीतर विशेष कोर्ट को सुनवाई की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.
नयी दिल्ली/रांची. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चारा घोटाला मामले में झारखंड हाइकोर्ट के करीब ढाई साल पुराने फैसले को रद्द करते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने को मंजूरी दी. पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और पूर्व आइएएस अधिकारी सजल चक्रवर्ती पर भी इन धाराअों के तहत मुकदमा चलेगा. न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश अमिताव राय की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रत्येक अपराध के लिए पृथक सुनवाई होनी चाहिए. खंडपीठ ने निचली अदालत को इस मामले की सुनवाई नौ महीने में पूरी करने का आदेश भी दिया है. इस तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब लालू प्रसाद समेत चारा घोटाले के करीब 45 अभियुक्तों के खिलाफ अलग-अलग केस चलता रहेगा.
लालू समेत अन्य आरोपियों पर 120 बी (आपराधिक साजिश), 409 (अमानत में खयानत), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 धोखाधड़ी के लिए जालसाजी और इसके अलावा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)सीडी और 13(2)जैसी गंभीर धाराओं के तहत भी मुकदमा चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में झारखंड हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अदालत को फैसला देते वक्त यह देखना चाहिए कि एक तरह के मामले में आरोपियों के पक्ष में दिया गया फैसला एक समान हो. झारखंड हाइकोर्ट ने नवंबर, 2014 में लालू प्रसाद को राहत देते हुए ये गंभीर धाराएं हटाते हुए कहा था कि लालू के खिलाफ चारा घोटाले के दूसरे मामले में इन्हीं धाराओं के तहत मुकदमा चल चुका है. ऐसे में दोबारा इन्हीं धाराओं के तहत अन्य मुकदमा नहीं चल सकता है. वहीं सीबीआइ का यह कहना था कि दोनों मामले अलग-अलग हैं. दोनों मामलों में अलग साजिश रची गयी, अलग कोषागार से साजिश करके पैसे निकाले गये. इसलिए दोनों मामले अलग-अलग चलने चाहिए. झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
चारा घोटाला बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में पशुपालन विभाग की ओर से विभिन्न जिलों से फर्जी तरीके से 900 करोड़ रुपये की निकासी से जुड़ा है. लालू की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने इस केस को खारिज करने की मांग की. सीबीआइ की तरफ से पेश एसजी रंजीत कुमार ने कहा कि लालू के खिलाफ छह अलग -अलग मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक मामले में वह दोषी करार दिये गये है. मामला हाइकोर्ट में लंबित है.
सीबीआइ निदेशक को फटकार
देर से अपील के लिए कौन जिम्मेवार?
सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील में देरी के लिए सीबीआइ की खिंचाई करते हुए कहा कि जांच एजेंसी के निदेशक को इस अहम मामले को देखना चाहिए था. मामले की तह तक जाने के लिए किसी अधिकारी को लगाना चाहिए था. इसकी जिम्मेवारी तय होनी चाहिए. पीठ ने कहा, इस असहनीय देरी से सीबीआइ के मकसद पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. साथ ही झारखंड हाइकोर्ट को भी कानून के तय नियमों का पालन नहीं करने पर लताड़ लगायी. दरअसल, झारखंड हाइकोर्ट ने नवंबर, 2014 में लालू पर लगे घोटाले की साजिश रचने और आइपीसी 420 ठगी, 409 क्रिमिनल ब्रीच आॅफ ट्रस्ट और प्रिवेंशन आॅफ करप्शन के आरोप हटा दिये थे. इस फैसले के आठ महीने बाद सीबीआइ ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ जुलाई, 2015 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी.
नवंबर, 2014
झारखंड हाइकोर्ट
एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने घोटाले की साजिश रचने और भादवि 420ठगी, 409 क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट और प्रिवेंशन आफ करप्शन के आरोप हटा दिये थे.
आठ मई, 2017
सुप्रीम कोर्ट
झारखंड उच्च न्यायालय के निष्कर्षों में समरूपता होनी चाहिए थी. मामले में विभिन्न आरोपियों पर अलग-अलग राय नहीं देनी चाहिए. चारा घोटाले के प्रत्येक मामले में अलग-अलग मुकदमा चलेगा.
कोर्ट का निर्णय ऐतिहासिक : राय
निर्णय ऐतिहासिक है. लालू जी चाहते थे कि एक ही तरह के अलग-अलग मुकदमों को एक मान कर सुनवाई हो. सुप्रीम कोर्ट ने इसे नहीं माना. -सरयू राय, झारखंड सरकार के मंत्री
जगन्नाथ मिश्र
आरसी 64ए/96, आरसी 38/96,आरसी 68ए/96 और आरसी 47 ए/96 मामले में केस चलेगा.
सजल चक्रवर्ती
झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ चारा घोटाले के 20ए/96, आरसी 68/96 में मुकदमा चलेगा.
लालू प्रसाद व जगन्नाथ मिश्र पर चार-चार और सजल चक्रवर्ती पर चलेंगे दो मुकदमे
रांची: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र और पूर्व आइएएस सजल चक्रवर्ती के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. इससे अब लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र के खिलाफ आरसी 64ए/96, आरसी 38/96,आरसी 68ए/96 और आरसी 47 ए/96 में मुकदमा चलेगा. जबकि झारखंड के सेवानिवृत मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती के खिलाफ 20ए/96, आरसी 68/96 में मुकदमा चलेगा.न्यायमूर्ति न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अदालत ने सीबीआइ की याचिका पर सुनवाई के बाद 20 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र और सजल चक्रवर्ती के मामले में झारखंड हाइकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को निरस्त कर दिया. साथ ही अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया.
लालू व जगन्नाथ ने दायर की थी याचिका: चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले आरसी 20ए/96 में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र को पांच-पांच साल की सजा होने के बाद दोनों अभियुक्तों ने झारखंड हाइकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं. लालू प्रसाद की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्हें आरसी 20ए/96 में सजा सुनायी जा चुकी है. उनके खिलाफ चल रहे आरसी 64ए/96 में भी वही आरोप है, जो आरसी 20ए/96 में है. कानूनन एक तरह के अलग-अलग मामलों में बार-बार सजा नहीं सुनायी जानी चाहिए.
जगन्नाथ मिश्र की थी दलील : डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र की ओर से हाइकोर्ट में दायर याचिका में यह दलील दी गयी थी कि समान अपराध के लिए एक से अधिक बार सजा नहीं दी जा सकती. डॉ मिश्र ने अपने खिलाफ चल रहे आरसी 64ए/96, आरसी 38/96,आरसी 68ए/96 और आरसी 47ए/96 में इसी आधार पर राहत देने की मांग की थी. वहीं, सजल चक्रवर्ती ने आरसी 51 ए/96 में सजा होने के बाद 20ए/96 और 68ए/96 मेें राहत की मांग की थी.
हाइकोर्ट ने इन तीनों अभियुक्तों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद वर्ष 2014 में अपना फैसला सुनाया था. हाइकोर्ट ने आरसी 64ए/96 में लालू प्रसाद के खिलाफ कुछ ही धाराओं (आइपीसी की धारा 511 और 201) में ट्रायल चलाने की अनुमति दी थी. वहीं, डॉक्टर मिश्र को सभी मामलों में और सजल चक्रवर्ती को आरसी 20ए/96 और 68ए/96 में पूरी राहत दे दी थी. इससे सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में सजल चक्रवर्ती के खिलाफ एक और डॉक्टर मिश्र के खिलाफ चार मामलों में सुनवाई बंद हो गयी थी.
सीबीआइ गयी थी सुप्रीम कोर्ट : सीबीआइ ने हाइकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार से अनुमति ले कर 2015 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से यह दलील दी गयी थी सभी मामलों में कुछ समानताएं हैं. पर हर मामले में घटना स्थल, ट्रेजरी सहित अन्य चीजें अलग अलग हैं. इसलिए हर मामले की सुनवाई अलग अलग होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ की अपील याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनी और 20 अप्रैल को सुनवाई पूरी हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
लालू के आवास पर पसरा रहा सन्नाटा
पटना. लालू प्रसाद के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर सुबह से ही सन्नाटा पसरा हुआ था. फैसला आने के पूर्व सुबह 10 बजे पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी लालू प्रसाद से मिलने उनके आवास पहुंचे. 9.30 बजे फतुहा विधायक रामानंद यादव भी पहुंच चुके थे. लालू प्रसाद के आवास के बाहर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ओवी वैन के साथ पहुंच चुकी थी. पत्रकार उनके आवास के बाहर फैसले पर लालू प्रसाद की प्रतिक्रिया के लिए इंतजार कर रहे थे. कोर्ट का फैसला आते ही अंदर से यह सूचना दी गयी कि वह इस मामले पर मीडिया से कोई बात नहीं करेंगे. जब तक आदेश को देख नहीं लिया जाता है, तब तक कुछ कहना संभव नहीं है. इधर, लालू प्रसाद से मिल कर बाहर निकले के बाद शिवानंद तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार की सेहत पर कोई असर पड़नेवाला नहीं है. महागंठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने लक्ष्य को पूरा करेगा. दोपहर 1.50 बजे पटना हाइकोर्ट से दो वकील लालू प्रसाद से मिलने पहुंचे. मीडिया वालों के यह पूछने पर कि क्या लालू प्रसाद ने उन्हें बुलाया है, ‘ना’ में जवाब देते हुए वे अंदर चले गये.
21 साल पुराने मामले में कब क्या हुआ
जनवरी 1996 : उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तर में छापामारी कर कुछ ऐसे दस्तावेज हासिल किये थे, जिनसे यह पता चला था की फर्जी चारा कंपनियों से आपूर्ति दिखा कर कोषागार से राशि की निकासी की गयी. उसके बाद से ही संताल परगना-छोटानागपुर क्षेत्र में 950 करोड़ का पशुपालन घोटला उजागर हुआ.
11 मार्च 1996 : पटना हाइकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया.
27 मार्च 1996 : सीबीआई ने चाइबासा कोषागार से अवैध निकासी की प्राथमिकी दर्ज की.
23 जून 1997 : सीबीआई ने आरोप-पत्र दािखल किया, जिसमें लालू प्रसाद को आराेपी बनाया गया.
5 अप्रैल, 2000 : विशेष सीबीआई अदालत में आरोप तय किया.
5 अक्तूबर 2001 : सुप्रीम कोर्ट ने नया राज्य बनने के बाद इस मामले को झारखंड स्थानांतरित कर दिया.
फरवरी, 2002 : रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई.
13 अगस्त 2013 : सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की लालू प्रसाद की मांग खारिज की.
17 सितंबर 2013 : विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
30 सितंबर 2013 : बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र तथा 45 अन्य को सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दोषी ठहराया.
3 अक्तूबर 2013 : सीबीआई अदालत ने लालू यादव को पांच साल के कारावास की सजा सुनायी. इसके अलावा उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. लालू यादव को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, रांची भेजा गया.
फैसला स्वागतयोग्य : सरयू राय
दुमका : चारा घोटाले मामले में लालू प्रसाद पर दायर कई मुकदमों में अलग-अलग अभियोजन चलाने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार को दिये गये निर्णय को झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने ऐतिहासिक बताया. उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला भारतीय दंड संहिता की भावना के अनुरूप है. सरयू राय ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि चारा घोटाला की सीबीआइ जांच कराने के लिए मेरे और अन्य साथियों द्वारा वर्ष 1996 में दायर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ जांच की गयी. जहां-जहां घोटाले हुए वहां-वहां के लिए अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गयी. राय ने कहा कि कोर्ट यह निर्णय भविष्य के लिए वैसे लोगों के मामले में बड़ा सबक होगा जो अपराध कर चैन की नींद सोते हैं. लालू प्रसाद चाहते थे कि एक ही तरह के अलग-अलग दायर मुकदमों को एक मान कर एक साथ सुनवाई हो. सुप्रीम कोर्ट ने यह बात नहीं मानी और अपना फैसला सुनाया.
किस मामले में क्या आरोप
आरसी 68ए/96 : चाइबासा कोषागार से 33 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 47 ए/96: डोरंडा कोषागार से एक करोड़ की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 64 ए/96 : देवघर कोषागार से 96 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 38ए/96 : दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप