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एफसीआइ ने लक्ष्य से अधिक धान की खरीदारी की : अमित

रांची : भारतीय खाद्य निगम झारखंड के महाप्रबंधक अमित भूषण ने कहा कि निगम ने खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में धान की खरीदारी लक्ष्य से अधिक की है. साथ ही 35 हजार एमटी धान की अधिप्राप्ति की है. इस साल निगम को पलामू क्षेत्र में धान अधिप्राप्ति करने को कहा गया था. निगम ने वहां […]

रांची : भारतीय खाद्य निगम झारखंड के महाप्रबंधक अमित भूषण ने कहा कि निगम ने खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में धान की खरीदारी लक्ष्य से अधिक की है. साथ ही 35 हजार एमटी धान की अधिप्राप्ति की है. इस साल निगम को पलामू क्षेत्र में धान अधिप्राप्ति करने को कहा गया था.
निगम ने वहां तीन जिलों में 35 हजार एमटी धान की खरीदारी की है. करीब 6000 किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा बोनस का लाभ मिला है. उन्होंने कहा कि निगम ने न्यूनतम समर्थन मूल्य व बोनस का भुगतान समय से किया है. अब तक करीब 51 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है. शेष भुगतान शीघ्र किया जायेगा. श्री भूषण ने यह जानकारी गुरुवार को पत्रकारों को दी.
श्री भूषण ने कहा कि धान अधिप्राप्ति के बाद निगम द्वारा राज्य की एजेंसियों को पूरी लागत का भुगतान किया जाता है. केंद्र निगम के माध्यम से सारा खर्च वहन करता है. उन्होंने कहा कि जहां अन्य राज्यों में 90 से 100 फीसदी तक की अधिप्राप्ति राज्य की एजेंसियां करती है, वहीं झारखंड में मात्र 30 फीसदी ही राज्य सरकार द्वारा खरीद की गयी है.
श्री भूषण ने बताया कि निगम द्वारा चयनित निजी पार्टी एनसीएमएसएल द्वारा दक्षिणी छोटानागपुर व कोल्हान के आठ जिलों में धान की खरीदारी की गयी है. करीब एक लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गयी है. इस क्षेत्र में करीब 16 हजार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य व बोनस का फायदा मिला है. वहीं राज्य सरकार द्वारा चयनित एजेंसी नाकोफ पूरी तरह विफल रही. रामगढ़ को छोड़ कर पूरी उत्तरी छोटानागपुर व संताल परगना क्षेत्र में 57 हजार एमटी धान की अधिप्राप्ति की जा सकी है. उन्होंने कहा कि इन इलाकों में धान की अच्छी फसल के बाद भी यह स्थिति समझ से परे है. उन्होंने कहा कि जहां राज्य सरकार खरीद रही है, वहां केंद्र नहीं खुल रहे हैं. न तो खरीदारी हो रही है और न ही भुगतान. शिकायतों का निवारण भी नहीं हो रहा है. केवल केंद्रीय एजेंसी या भारतीय खाद्य निगम की कमी निकाली जा रही है.
राज्य विफल, आरोप निराधार
श्री भूषण ने कहा कि धान अधिप्राप्ति में राज्य सरकार पूरी तरह विफल है. भारत सरकार के उपक्रम के खिलाफ किसी व्यक्ति विशेष द्वारा आरोप लगाना व बिना किसी जांच के ही निष्कर्ष निकाल लेना कि निगम धान अधिप्राप्ति का काम सुचारू रूप से नहीं कर रही है, पूरी तरह निराधार है.
ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार की मिलीभगत से मिलर व ट्रेडर्स को करोड़ों का अनुचित लाभ पहुंचाया गया है. राज्य सरकार ने खुद भी आशा के मुताबिक धान की खरीदारी नहीं की और न ही निगम को खरीद में सहयोग किया.

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