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विश्वविद्यालय कर्मियों का वेतन अब सीधे खाते में भेजा जायेगा
रांची : राज्य के विश्वविद्यालय अंतर्गत कॉलेजों के प्राचार्य प्रथम माह के प्रथम सप्ताह में अगले माह के वेतन व पेंशन भुगतान की राशि की आवश्यकता पूर्ण विवरणी के साथ विश्वविद्यालय को भेजेंगे और विश्वविद्यालय से अगले माह के प्रथम सप्ताह में यह राशि संबंधित महाविद्यालयों के बैंक एकाउंट में जमा करा दी जायेगी. विविकर्मियों […]
रांची : राज्य के विश्वविद्यालय अंतर्गत कॉलेजों के प्राचार्य प्रथम माह के प्रथम सप्ताह में अगले माह के वेतन व पेंशन भुगतान की राशि की आवश्यकता पूर्ण विवरणी के साथ विश्वविद्यालय को भेजेंगे और विश्वविद्यालय से अगले माह के प्रथम सप्ताह में यह राशि संबंधित महाविद्यालयों के बैंक एकाउंट में जमा करा दी जायेगी. विविकर्मियों के लिए इसी तरह की व्यवस्था होगी. राज्य के विकास आयुक्त सह योजना एवं वित्त विभाग अपर मुख्य सचिव अमित खरे ने यह आदेश जारी किया है.
श्री खरे ने गुरुवार को रांची विवि के कुलपति डॉ आरके पांडेय अौर वित्तीय सलाहकार सुविमल मुखोपाध्याय के साथ विवि कर्मियों के वेतन भुगतान तथा पेंशन भुगतान की प्रक्रिया को लेकर बैठक की. श्री खरे ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए मुख्यमंत्री (वित्त मंत्री) के अनुमोदन के बाद यह निर्देश दिया गया है कि सभी कॉलेजों की यह जिम्मेवारी होगी कि शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों के सभी भुगतान आरटीजीएस/एनइएफटी (रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट/नेशनल इलेक्ट्रोनिक फंड ट्रांसफर) द्वारा सीधे खाते में भेजे जायेंगे.
विवि के विभागवार शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों के सभी भुगतान भी विवि के बैंक खाते से आरटीजीएस/ एनइएफटी द्वारा सीधे शिक्षकों/कर्मियों तथा पेंशनरों के खाते में भेज दिये जायेंगे. इस संदर्भ में रांची विवि के कुलपति डॉ आरके पांडेय ने बताया कि विवि व कॉलेज के लगभग एक हजार 687 कर्मियों में से कई कर्मी अभी भी चतुर्थ/पंचम वेतनमान प्राप्त कर रहे हैं. उनकी सेवा नियमितिकरण का मामला भी जस्टिस एसबी सिन्हा आयोग में लंबित है. साथ ही उनके द्वारा यह भी बताया गया कि रांची विवि द्वारा दो हजार 119 पेंशनरों का भी भुगतान होता है, जो न केवल राज्य में एवं राज्य के बाहर रहते हैं. जबकि कुछ पेंशनर विदेश में भी रहते हैं.
जिनका यूनिक आइडी प्राप्त करने में कठिनाई है. इसके अलावा कर्मियों के पीएफ, ग्रुप इंश्यूरेंस एवं वेलफेयर फंड का अलग-अलग प्रबंधन विवि स्तर पर किया जाता है. जिसमें लेखा नियंत्रण में दिक्कतें आयेंगी. रांची विवि के साथ ही कोल्हान विवि व विनोबा भावे विवि द्वारा भी इस प्रकार की दिक्कतें बतायी गयी हैं.
श्री खरे ने कहा कि निश्चित रूप से जहां एक ओर डीबीटी आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर विवि अधिकारियों द्वारा बतायी गयी समस्याएं भी प्रासंगिक है, उनका निराकरण भी आवश्यक है. श्री खरे ने आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही उपाय निकालने का प्रयास किया जायेगा.
मालूम हो कि उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा पूर्व में वित्त विभाग की सहमति से अधिसूचना निर्गत की गयी थी, जिसमें पीएल खाता से राशि की निकासी कर राशि को विवि द्वारा अपने पास नगद रूप में अथवा बैंक खाते में स्थानांतरित नहीं करने का उल्लेख किया गया था.
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