रांची: शैक्षणिक सत्र 2014-15 आरंभ होने में अब मात्र 15 दिनों का समय बचा है, लेकिन नि:शुल्क किताब वितरण के लिए अब तक टेंडर तक फाइनल नहीं हुआ है. ऐसे में बच्चों को समय पर किताब मिलनी मुश्किल है.
मिली जानकारी के अनुसार 12 मार्च को किताब आपूर्ति के लिए टेक्निकल बिड खोला गया, जो गुरुवार को भी जारी रहा. अगर यह प्रक्रिया समय पर पूरी की गयी तो मार्च के अंत तक टेंडर फाइनल किया जा सकता है. इसके बाद किताब आपूर्ति के लिए प्रकाशक को कम से कम तीन माह का समय दिया जायेगा.
ऐसे में जुलाई से पहले बच्चों को किताब मिलने की संभावना कम हैं. शर्त के अनुसार प्रकाशकों को प्रखंड मुख्यालय तक किताब पहुंचानी होगी. शैक्षणिक सत्र 2014-15 के किताब आपूर्ति के लिए टेंडर 24 जनवरी को जारी किया गया था. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013-14 में किताब के टेंडर में हुई गड़बड़ी के कारण भारत सरकार ने प्रकाशकों की राशि भुगतान पर रोक लगा दी थी. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने इस वर्ष एनसीइआरटी से किताब लेने का निर्णय लिया, लेकिन इसमें अधिक खर्च होने के अनुमान के कारण फिर अपने स्तर पर टेंडर जारी किया गया.
आचार संहिता का पेंच
टेंडर फाइनल करने में चुनाव आचार संहिता का पेंच फंस गया है. टेंडर फाइनल करने के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना चुनाव आयोग से अनुमति लेगी. चुनाव आयोग की सहमति के बाद टेंडर फाइनल किया जायेगा.
10 वर्ष में 67 करोड़ बढ़ा बजट
राज्य में गत दस वर्षो में किताब छपाई के बजट में लगभग 67 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2005-06 में किताब पर 32 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि वर्ष 2013-14 में किताब के लिए 99 करोड़ रुपये का टेंडर हुआ था. किताब के बजट में सबसे अधिक वर्ष 2012-13 में 30 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. वर्ष 2011-12 में 45 लाख बच्चों को किताब देने के लिए 45.58 करोड़ में टेंडर फाइनल हुआ था. वहीं वर्ष 2012-13 में 75.99 करोड़ रुपये में टेंडर हुआ.
पलामू में सर्वाधिक बच्चे
वर्ष 2014-15 में पलामू में सबसे अधिक 4 लाख 30 हजार बच्चे हैं, जबकि लोहरदगा में सबसे कम 75 हजार बच्चों को किताबें दी जायेंगी. रांची में 3.10 लाख बच्चों को किताब देने की योजना है.