शकील अख्तर
रांची : झारखंड के ट्रिपल आइटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी) के पहले अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला एक साल से केंद्र सरकार के पास लटकी हुई है. राज्य सरकार ने केंद्र के निर्देश पर अध्यक्ष के लिए पांच नाम प्रस्तावित किये थे. इनमें से किसी एक को अध्यक्ष के रूप में नामित करना है
राज्य सरकार ने टीवी नरेंद्रन ( टाटा स्टील), गौतम अडाणी (अडानी ग्रुप, गजेंद्र चंदेल (ग्लोबल टाटा मोटर्स), अनिल अग्रवाल (वेदांता ग्रुप) और शशि रूईया (एस्सार ग्रुप) का नाम प्रस्तावित किया है. अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से ट्रिपल आइटी का काम प्रभावित है.
केंद्र सरकार ने वर्ष 2015-16 में झारखंड के लिए ट्रिपल आइटी की घोषणा की थी. इसे पीपीपी मोड पर बनाया जाना है. केंद्र की घोषणा के बाद राज्य सरकार ने ट्रिपल आइटी के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया. पीपीपी मोड पर बननेवाले इस ट्रिपल आइटी की कुल लागत 128 करोड़ रुपये है.
निर्धारित फार्मूले के तहत केंद्र सरकार को लागत का 50 प्रतिशत व राज्य सरकार को 35 प्रतिशत राशि देनी है. जबकि शेष 15 प्रतिशत में निजी कंपनियों की भागीदारी होगी. घोषणा के बाद राज्य सरकार ने निजी कंपनियों के ट्रिपल आइटी के निर्माण में भागीदार बनने के लिए बातचीत शुरू की. कई दौर की बैठकों के बाद सीसीएल ने पांच प्रतिशत, टाटा मोटर्स और टीसीएस ने पांच-पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी पर सहमति जतायी.
गवर्निंग बॉडी की पहली बैठक में इस पर सहमति दी गयी. केंद्र सरकार ने एनआइटी जमशेदपुर को ट्रिपल आइटी का निदेशक सलाहकार (मेंटर डायरेक्टर) नियुक्त किया. फिर राज्य सरकार ने रांची के सांगा में ट्रिपल आइटी के लिए जमीन दी. साथ ही अस्थायी व्यवस्था के तहत एनआइटी जमशेदपुर में ट्रिपल आइटी शुरू करने का फैसला किया. इसके तहत जुलाई 2016 से एनआइटी जमश्दपुर में पढ़ाई शुरू की गयी.
राज्य सरकार ने इसके लिए एनआइटी जमशेदपुर को नौ करोड़ रुपये दिये. 21 जनवरी 2016 को गवर्निंग बॉडी की पहली बैठक में अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए पांच नाम केंद्र सरकार को भेजने पर सहमति हुई. इसके बाद राज्य सरकार ने इन नामों को केंद्र सरकार के पास भेजा. पर केंद्र सरकार ने अब तक इनमें से किसी एक को अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया है.
अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से गवर्निंग बॉडी की दूसरी बैठक नहीं हो पा रही है. इससे ट्रिपल आइटी के नये परिसर के निर्माण सहित उससे जुड़े अन्य मुद्दों पर फैसला करना संभव नहीं हो रहा है. इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने अप्रैल 2017 के अंतिम सप्ताह में केंद्र को रिमाइंडर भेज कर अध्यक्ष नियुक्ति के मामले पर शीघ्र फैसला करने का अनुरोध किया है.