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सरेंडर के समय किये वादे नहीं किये गये पूरे

रांची : आत्मसमर्पण करने के समय किये गये वादे अब तक पूरे नहीं किये जा सके. सरेंडर और पुनर्वास नीति को लेकर राज्य पुलिस और खुफिया विभाग में मतभेद है. यह बातें पत्र के माध्यम से सरेंडर कर चुके 25 लाख के इनामी नक्सली बड़ा विकास उर्फ बालकेश्वर ने कही. हजारीबाग ओपेन जेल में बंद […]

रांची : आत्मसमर्पण करने के समय किये गये वादे अब तक पूरे नहीं किये जा सके. सरेंडर और पुनर्वास नीति को लेकर राज्य पुलिस और खुफिया विभाग में मतभेद है. यह बातें पत्र के माध्यम से सरेंडर कर चुके 25 लाख के इनामी नक्सली बड़ा विकास उर्फ बालकेश्वर ने कही. हजारीबाग ओपेन जेल में बंद बड़ा विकास ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, गृह सचिव, डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है. साथ ही प्रेस बयान जारी किया है. उसने लिखा है कि 14 जुलाई 2016 को उसने लातेहार में डीजीपी के समक्ष सरेंडर किया था. उस समय किये गये वादे नौ माह बाद भी पूरे नहीं किये गये.
नक्सलियों से भी उसके परिवार को खतरा है. इस कारण उसने 18 फरवरी को जेल अधीक्षक को आवेदन देकर अपने परिवार को ओपेन जेल में रखने की इजाजत मांगी थी, जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका. पत्र में बड़ा विकास ने लिखा है कि सरेंडर करने से पहले आला अधिकारियों ने कहा था कि पुनर्वास नीति का लाभ मिलेगा और मुकदमों को वापस लेने की कोशिश की जायेगी. वहीं दूसरी ओर मुकदमे वापस लेने की जगह नये-नये मामले में (झूठा मुकदमा) प्रोडक्शन वारंट जारी कर ओपेन जेल में उसे भेजा जा रहा है.
उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. बड़ा विकास ने कहा कि इससे तो अच्छा होता कि वह उधर (जंगल में संगठन के साथ) ही मर जाता. ओपेन जेल में पाबंदी लगी है. पत्नी और बच्चों को मिलने नहीं दिया जा रहा है. 22 मार्च को बड़ा विकास के भाई, गांव के मुखिया समेत अन्य लोगों ने गृह सचिव से मिल कर ओपेन जेल में उसके परिवार को रखने की मांग की थी.

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