बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जनजाति समाज के बीच विकास विरोधी ताकतें भ्रम और संशय की स्थिति पैदा करके समाज और राज्य का विकास रोकना चाहती हैं. इसे दूर कर विकास के मार्ग को प्रशस्त करने का काम अनुसूचित जनजाति मोरचा के कार्यकर्ताओं को बढ़-चढ़ कर करना होगा. श्री दास ने कहा कि आजादी के 70 वर्षों के बाद भी झारखंड के जनजाति समाज के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांवों में सुविधाएं नहीं पहुंच सकी, जिसे दूर करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये. राज्य सरकार गांव, गरीब, किसान, दलित और वंचितों के लिए समर्पित है. केंद्र और राज्य सरकार की अधिकांश योजनाएं इसी समाज के लिए बन रही है. उन्होंने कहा कि मोरचा के कार्यकर्ताओं की भूमिका इन योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण है. मोरचा के कार्यकर्ता गांव की जनता को बिचौलियों से मुक्त करा कर योजनाएं सीधे लाभुकों तक पहुंचायें. श्री दास ने जनजाति समाज की संस्कृति से खिलवाड़ करनेवाले ताकतों से भी समाज को सचेत रहने एवं जागृत करने का आग्रह किया. श्री दास ने कहा कि भाजपा सरकार जनजाति समाज के जल, जंगल एवं जमीन की सुरक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए वचनबद्ध है.
बैठक को संबोधित करते हुए मोरचा के प्रदेश अध्यक्ष राम कुमार पाहन ने कहा कि झारखंड का जनजाति समाज अपने हक और संस्कृति की सुरक्षा के लिए सदैव जागरूक है. मोरचा के माध्यम से भाजपा की नीतियों और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भाजपा ही सबका साथ–सबका विकास में विश्वास करती है. भाजपा तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति नहीं करती.
भाजपा ने ही अलग राज्य के गठन को साकार किया है. संपूर्ण विकास भी भाजपा की सरकार ही करेगी. बैठक का संचालन महामंत्री बिंदेश्वर उरांव एवं धन्यवाद ज्ञापन गुमला के पूर्व विधायक सह प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश उरांव ने किया. मौके पर हरेकृष्णा सिंह, गंगोत्री कुजूर, मेनका सरदार, कमलेश उरांव, सुनील फकीरा कच्छप, अशोक बड़ाइक, अशेष बारला, नकुल तिर्की, शोभा सामंत, लखन मार्डी, प्रेम सागर मुंडा, अनु लकड़ा, मोहन सिंह चेरो, लखी हेंब्रम, सुरेश मुरमू, रमेश टुडू, मनोज नगेसिया, सुमन कच्छप, नूतन पाहन, सिदाम सिंह मुंडा, जगरनाथ भगत, दिलीप हेंब्रम, बिशु टुडू समेत विभिन्न जिलों के अध्यक्ष एवं महामंत्री मौजूद थे.