यदि अवैध पाया जाता है, तो तोड़ने का भी आदेश दिया जा सकता है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने जमीन आवंटन के समय ही अोपेन स्पेस का पैसा ले लिया है.
अोपेन स्पेस का उपयोग बच्चे खेल के मैदान के रूप में करते थे. वहां पर सामुदायिक कार्यकम का भी आयोजन होता था. उक्त जमीन पर जी प्लस फोर बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है. बोर्ड की अोर से अधिवक्ता सचिन कुमार ने बताया कि कॉलोनी के अंदर कॉमर्शियल कांप्लेक्स बनना था, उसे दूसरी जगह मुख्य मार्ग पर शिफ्ट कर दिया गया है. कॉलोनी में आवासीय जी प्लस फोर बिल्डिंग बनाया जा रहा है. यह बोर्ड के ले-आउट प्लान के अनुसार ही बनाया जा रहा है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है.