रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने बुधवार को राज्य के चार विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राजभवन सचिवालय को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने निर्देश दिया कि चार विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति के पूर्व कुलाधिपति व सरकार के बीच […]
रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने बुधवार को राज्य के चार विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राजभवन सचिवालय को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने निर्देश दिया कि चार विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति के पूर्व कुलाधिपति व सरकार के बीच जो विमर्श हुआ था, उसे प्रस्तुत किया जाये. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार मई की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व सरकार की अोर से अदालत को बताया गया कि कुलपतियों की नियुक्ति संबंधी फाइलें राजभवन सचिवालय के पास है. प्रार्थी की अोर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि कुलाधिपति की अोर से दाखिल किये गये प्रति शपथ पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि गठित सर्च कमेटी यूजीसी के दिशा-निर्देशों व मापदंडों के अनुरूप नहीं है.
सात मई 2014 को नीलांबर-पीतांबर विवि, सिद्दो-कान्हो विवि, कोल्हान विवि व विनोवा भावे विवि में कुलपतियों की नियुक्ति की गयी थी. इसके लिए सर्च कमेटी का गठन किया गया था. झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम-2000 व यूजीसी के गाइडलाइन की अनदेखी कर सर्च कमेटी का गठन किया गया था, जो संवैधानिक नहीं था. विवि की अोर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने अपना पक्ष रखा.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डाॅ रवींद्र नाथ भगत ने रिट याचिका दायर की है. कहा गया है कि अगस्त 2013 में कुलपति नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. प्रार्थी ने आवेदन दिया था. इंटरेक्शन मीटिंग हुई, लेकिन उन्हें बुलाया नहीं गया. इस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज करायी थी. 29 जनवरी 2014 को झारखंड हाइकोर्ट में रिट दायर कर सर्च कमेटी के गठन को उन्होंने चुनाैती दी थी. उक्त कमेटी ने यूजीसी के मापदंडों को आधार बना कर उन्हें छांट दिया, क्योंकि उनके पास 10 वर्षों के प्रोफेसर पद का अनुभव नहीं था. डाॅ भगत ने कहा कि विवि एक्ट की धारा 10(1) में योग्यता का निर्धारण किया गया है, जबकि धारा 10(2) में नियुक्ति प्रक्रिया का प्रावधान है.