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जयपाल सिंह स्टेडियम व बारी पार्क को बचाने की मुहिम

रांची : राजधानी के प्रबुद्ध एवं समाजसेवी नागरिकों ने हाथों में बैनर लिये बुधवार को चिलचिलाती धूप में अब्दुल बारी पार्क से जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम तक मानव श्रृंखला बनायी. हाथों में जयपाल सिंह स्टेडियम व बारी पार्क को बचाने का स्लोगन लिखा तख्ता लिये हुए थे. तख्ता पर लिखे स्लोगन के माध्यम से सरकार […]

रांची : राजधानी के प्रबुद्ध एवं समाजसेवी नागरिकों ने हाथों में बैनर लिये बुधवार को चिलचिलाती धूप में अब्दुल बारी पार्क से जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम तक मानव श्रृंखला बनायी. हाथों में जयपाल सिंह स्टेडियम व बारी पार्क को बचाने का स्लोगन लिखा तख्ता लिये हुए थे.

तख्ता पर लिखे स्लोगन के माध्यम से सरकार को बारी पार्क में रवींद्र भवन के निर्माण को अविलंब रोकने व जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम को खेल के मैदान में पुन: तब्दील करने की मांग की.
शांतिपूर्ण तरीके से प्रबुद्ध नागरिकों ने सरकार तक अपनी आवाज को पहुंचाने का प्रयास किया. झारखंड सरकार से यह मांग की गयी कि राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य को बरबाद होने से बचाया जाये. साधारण जनता को सांस लेने की बची हुई जगहों को कंक्रीट की दीवार बना कर अवरूद्ध नहीं किया जाये.
प्रबुद्ध नागरिकों ने हाथों में लिये तख्ता पर स्लोगन लिखा था: प्रकृति का करो सम्मान तभी देश का बनेगा सम्मान. पकृति का खजना है बारी पार्क बचाना है. सड़क के किनारे खड़े लोगों द्वारा आने-जाने वाले लोगों को पंपलेट्स का वितरण किया जा रहा था. मानव श्रृंखला में शामिल लोग अंत में जयपाल सिंह स्टेडियम में एकत्र हुये एवं सभा का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने अपने-अपने विचार रखे.
मानव श्रृंखला में प्रमुख रूप से पूर्व चेंबर अध्यक्ष विकास सिंह, पवन शर्मा, पूनम आनंद, आदित्य विक्रम जायसवाल, पूर्व पुलिस अधिकारी आरएन सिंह, प्रमोद सारस्वत, केके पोद्दार, अरुण खेमका, केके साबु, आरपी साही, दीपक मारू, योगेंद्र ओझा, अंजय, अजय भंडारी, अभिमन्यु मोदी एवं विकास कुमार आदि मौजूद थे.पंपलेट में ये है संदेशपंपलेट में यह बताया गया है कि सड़कों के बार-बार चौड़ीकरण करने, फुटपाथ पर टाइल्स लगाने से प्राकृतिक सौदर्य को खतरा बढ़ता जा है.
सदर अस्पताल, हटिया डैम, कांके डैम, हिरनी फॉल आदि के पास ऊंची-ऊंची बिल्डिंग बनाने से शहर में लोगों को टहलने व घुमने के लिए स्थान नहीं बचा है. ऐसे में हम सब को मिल कर बारी पार्क को बचाने की आवश्यकता है. सरकार से यह मांग की गयी है कि राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य को बरबाद होने से रांची छात्र भी सड़क पर उतर कर करेंगे आंदोलन छात्र नेता तनुज खत्री ने बताया कि जब से हम पैदा लिये है, बारी पार्क व जयपाल सिंह स्टेडियम को देखते आये है.
सरकार साजिश के तहत शहर के प्रमुख स्थानों पर खाली पड़े जमीनों पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना रही है. आंदोलन का नयी रुपरेखा बनायी जायेगी. हम शहर के प्रबुद्ध लोगों के साथ है. छात्रों को नेता होने के नाते हमारी जिम्मेदारी भी बनती है कि युवाओं के खेलने के मैदान को बचाया जाये. अगर जरुरत हुई तो रांची के छात्र सड़क पर उतरेंगे. आंदोलन किया जायेगा.
बारी पार्क को बचाने के लिए हस्ताक्षर अभियान बारी पार्क एवं जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम को बचान के लिए हस्ताक्षर अभियान भी शुरु किया गया. इसमें शहर के प्रबुद्ध लोगों ने हस्ताक्षर कर पार्क को बचाने का संदेश दिया. हस्ताक्षर अभियान से आम आदमी को भी जोड़ा जायेगा, जिससे अधिक से अधिक लोगों की भागिदारी हो सकें.
जनजागरण के लिए सोशल मीडिया का उपयोगबारी पार्क को बचाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग भी किया जायेगा. वाट्सअप, फेसबुक, ट्यूटर आदि पर बारी पार्क व जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम को बचाने का सहयोग करने की अपील की जायेगी. इसके लिए एक वेबसाइट savebaripark.org तैयार किया गया है. शहर के प्रबुद्ध लोग इस पर अपना सुक्षाव दे सकते है. इस अभियान में जुड़ भी सकते है.क्या कहना है लोगों का भूतहा तालाब को भर कर जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम बनाया गया. सन् 1998 में यहां पहला उद्योम मेला लगाया गया था.
बच्चे यहां खेलने आते थे. सुबह लोग टहलते थे, लेकिन अब यहां ऊंची इमारत बनायी जा रही है. बारी पार्क में रवींद्र पार्क में तीन हजार की क्षमता वाला हॉल बनाया जा रहा है. ऐसे में यहां तो सांस लेने की जगह नहीं मिलेगी. सरकार को इसे अविलंब हटा कर नयी रांची में शिफ्ट कर देना चाहिए. विकास सिंह, पूर्व चेंबर अध्यक्ष सरकार तक हमें अपनी आवाज पहुंचानी होगी. अपनी बातों को रखना होगा कि जो खेल का मैदान उसे तो बचाया जाये. बारी पार्क एवं जयपाल सिंह स्टेडियम से रांची की पहचान है. कंक्रीट की दीवारें खड़े हो जाने रांची की वास्तविक तसवीर ही बदल जायेगी.
मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से मिल कर जानकारी देनी होगी. पवन शर्मा, पूर्व चेंबर अध्यक्ष जयपाल सिंह स्टेडियम व बारी पार्क से ही रांची का नाम जुड़ा हुआ है. कुछ ही स्थान बचा है, जिसे बचाने की जरुरत है. खेल के मैदान होंगे तो यहां बच्चे व बड़े शुद्ध हवा के लिए आ सकेंगे. आम आदमी की भी यही चाहता है कि स्टेडियम पहले की तरह ही रहे.

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