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खर्च नहीं हो रही पंचायतों के विकास की राशि
रांची : राज्य के पंचायती राज विभाग ने विभिन्न पंचायतों को विकास कार्य के लिए अब तक करीब 1105 करोड़ रुपये दिये हैं. तीन किस्तों में मिली यह रकम 14वें वित्त आयोग से अनुदान के रूप में पंचायतों को सीधे उपलब्ध करायी गयी है. पर इसमें से सिर्फ 461 करोड़ रुपये ही विकास कार्यों पर […]
रांची : राज्य के पंचायती राज विभाग ने विभिन्न पंचायतों को विकास कार्य के लिए अब तक करीब 1105 करोड़ रुपये दिये हैं. तीन किस्तों में मिली यह रकम 14वें वित्त आयोग से अनुदान के रूप में पंचायतों को सीधे उपलब्ध करायी गयी है. पर इसमें से सिर्फ 461 करोड़ रुपये ही विकास कार्यों पर खर्च किये गये हैं. यह राशि दो वित्तीय वर्ष 2015-16 व 2016-17 के दौरान तीन किस्तों में पंचायतों को मिली रकम का महज 43 फीसदी हैं. जो पैसे बचे हैं, उनके ब्याज सहित अभी कुल 898 करोड़ रुपये है़ं इधर, पंचायतों को चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तथा 14वें वित्त अायोग के अनुदान की चौथी किस्त भी जारी हो रही है.
किस मद में होने हैं खर्च, क्यों नहीं हो सकी : पंचायतों को पूरी बजट राशि जलापूर्ति, स्वच्छता (शौचालय व अन्य), सिवरेज व कचरा प्रबंधन, स्ट्रीट लाइटिंग, गांव-पंचायत की सड़कों, गली, नाली, फुटपाथ की मरम्मत सहित समुदाय से जुड़ी चीजों (तालाब, बाजार, आंगनबाड़ी भवन व अन्य) की देखभाल व मरम्मत तथा तकनीकी व प्रशासनिक जरूरतों पर खर्च करनी है. पर पंचायत प्रतिनिधियों ने सीधी खरीद व कमीशन से जुड़ी चीजों पर ज्यादा जोर दिया है. जैसे सोलर स्ट्रीट लाइट, पानी का टैंकर, फर्नीचर व अन्य. सड़क व गली निर्माण के एकमात्र बड़े काम को छोड़ दें, तो पंचायतों ने सोलर स्ट्रीट लाइट खरीदने पर सर्वाधिक करीब 96 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. एक जिले की पंचायतों ने अौसतन चार करोड़ रुपये स्ट्रीट लाइट खरीदने पर खर्च किया है. जलापूर्ति मद में भी खर्च का एक बड़ा हिस्सा पानी टैंकर खरीदने पर हुआ है. कम खर्च की वजह पंचायतप्रतिनिधियों में जानकारी व जागरूकता का अभाव भी है.
पंचायतों को 14वें वित्त आयोग
से मिली रकम (करोड़ में)
जिला पंचायत रकम अब तक खर्च (%)
रांची 305 73.65 45.82 (62)
खूंटी 86 21.86 12.51 (57)
गढ़वा 189 50.70 9.48 (19)
पलामू 283 71.65 30.84 (43)
लातेहार 115 30.86 9.69 (31)
चतरा 154 41.74 5.84 (14)
हजारीबाग 257 64.46 34.44 (53)
कोडरमा 109 24.34 10.99 (45)
गिरिडीह 358 92.54 48.73 (53)
धनबाद 256 56.68 16.49 (29)
बोकारो 249 58.12 25.88 (45)
रामगढ़ 125 28.72 13.37 (47)
देवघर 194 48.64 …..(…)
गोड्डा 201 49.50 19.70 (40)
साहिबगंज 166 40.97 21.79 (53)
पाकुड़ 128 33.86 32.03 (95)
दुमका 206 51.26 24.05 (47)
जामताड़ा 118 28.96 12.08 (42)
लोहरदगा 66 16.95 4.78 (28)
गुमला 159 43.51 23.92 (55)
सिमडेगा 94 25.76 9.48 (37)
प. सिंहभूम 217 59.44 19.72 (33)
सरायकेला 132 35.17 22.94 (65)
पू. सिंहभूम 231 55.35 21.94 (40)
कुल 4398 1104.81 461.30
(देवघर जिले की पंचायतों का खर्च अनुपलब्ध है)
पंचायतों को मिलेंगे छह हजार करोड़ से अधिक
त्रिस्तरीय पंचायती राज निकायों को वित्तीय वर्ष 2015-16 से अगले पांच वर्षों (2019-20) तक विकास कार्यों तथा बुनियादी जरूरतों के लिए छह हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि मिलेगी. यह रकम राज्य के सभी 4398 पंचायतों के लिए होगी. आयोग ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि वित्तीय वर्ष (2016-17) से कार्य प्रदर्शन के आधार पर अलग से अनुदान भी मिलेगा. इसके लिए पंचायतों को निष्पादित कार्यों व उन पर हुए खर्च की अॉडिट (अंकेक्षण) रिपोर्ट अनिवार्य रूप से सरकार को उपलब्ध करानी होगी. पर झारखंड की पंचायतों की अॉडिट अभी दूर की बात है.
किस वर्ष कितनी रकम
वित्तीय वर्ष बुनियादी अनुदान कार्य निष्पादन अनुदान कुल (करोड़ में)
2015-16 652.83 0.00 652.83
2016-17 903.96 118.57 1022.53
2017-18 1044.45 134.18 1178.63
2018-19 1208.24 152.38 1360.62
2019-20 1632.59 199.53 1832.12
कुल 5442.07 604.66 6046.73
कर्म खर्च का कारण है मुिखया में जानकारी का अभाव
कम खर्च का सबसे बड़ा कारण मुखिया में जागरूकता व जानकारी का अभाव है. हमारा विभाग पंचायत प्रतिनिधियों को उनके कार्यों व कर्तव्यों को समझाने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है. मुखिया तथा पंचायत सचिवों का प्रशिक्षण पूरा हो गया है. अभी-अभी जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष हैदराबाद से प्रशिक्षण लेकर लौटे हैं. पंचायती राज के अन्य प्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षित किया जाना है. विभागीय अधिकारियों को भी कहा गया है कि वे पंचायत में हो रहे कार्य की माॅनिटरिंग करें. इन सबके बाद खर्च धीरे-धीरे बढ़ेगा.
नीलकंठ सिंह मुंडा, ग्रामीण विकास मंत्री
िवभाग इस्टीमेट बना दे, तो काम में आ सकती है तेजी
इस्टीमेट (प्राक्कलन) बनाने में परेशानी है. इंजीनियर की कमी के कारण एेसा होता है. विभाग की समीक्षा बैठक में कई लोगों ने ग्रामीण विकास सह पंचायती राज मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा को इस बात से अवगत कराया था. विभाग यदि मॉडल इस्टीमेट बना दे, तो काम में तेजी अा सकती है. तोरपा पंचायत को करीब 10 लाख रुपये मिले थे, जिसमें से चार-पांच लाख रुपये खर्च करने बाकी हैं.
विनीता नाग, मुखिया, तोरपा
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