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सुविधाएं चाहिए, तो देने होंगे पैसे : संजय
रू-ब-रू कार्यक्रम. चेंबर भवन में व्यापारियों आैर राज्य सरकार के बड़े अधिकारियाें के बीच विमर्श 11 साल में झारखंड से हुआ 50 लाख लोगों का पलायन 480 करोड़ रुपये बिजली खरीदने में होते हैं खर्च, मिलते हैं 220 करोड़ राजधानी में होल्डिंग से मिलते हैं 11 करोड़ रुपये, स्थापना पर खर्च है 30 करोड़ रांची […]
रू-ब-रू कार्यक्रम. चेंबर भवन में व्यापारियों आैर राज्य सरकार के बड़े अधिकारियाें के बीच विमर्श
11 साल में झारखंड से हुआ 50 लाख लोगों का पलायन
480 करोड़ रुपये बिजली खरीदने में होते हैं खर्च, मिलते हैं 220 करोड़
राजधानी में होल्डिंग से मिलते हैं 11 करोड़ रुपये, स्थापना पर खर्च है 30 करोड़
रांची : मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा है कि सुविधाओं के लिए पैसे खर्च करने होंगे. सरकार के नीतिगत बदलाव का समर्थन करना होगा. यह तय करना होगा कि झारखंड को विकसित राज्यों के बराबरी पर लाने के लिए 10 साल की योजना कैसे बनायी जाये.
यदि हम 13 प्रतिशत की सालाना दर से विकास करेंगे, तो 10 वर्षों में महाराष्ट्र और गुजरात तक पहुंच पायेंगे. झारखंड से प्रत्येक वर्ष हो रहे पांच लाख लोगों के पलायन को कैसे रोका जाये. श्री कुमार रविवार को चेंबर भवन में व्यापारियों और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित रू-ब-रू कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने मुख्य वक्ता की हैसियत से कहा कि सरकार में अच्छे और बुरे दोनों अफसर हैं. सरकार की नीतियों पर अमल नहीं हो रहा है, यह कहना गलत है. झारखंड को विकसित राज्यों की श्रेणी में कैसे लाया जाये, यह ज्यादा जरूरी है. सिर्फ सरकार को कोसने से कुछ नहीं होगा. सिस्टम में सुधार के लिए भागीदार बनना जरूरी है. उन्होंने कहा कि झारखंड की सकल घरेलू विकास दर नौ प्रतिशत है.
रोजगार देने के मामले में झारखंड फिसड्डी : रोजगार देने के मामले में झारखंड फिसड्डी राज्य है. देश के कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद दर) में झारखंड का योगदान दो प्रतिशत है.
आबादी के हिसाब से झारखंड का योगदान तीन फीसदी है. राज्य का क्षेत्रफल कुल देश के क्षेत्रफल का 2.5 फीसदी है. झारखंड में मार्जिनल रोजगार (180 दिनों तक रोजगार) 48 फीसदी लोगों को मिल रहा है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुना से ज्यादा है. फ्यूचर डेवलपमेंट राज्य का कैसे हो. इस पर अभी से सोचना होगा कि हम कृषि आधारित विकास चाहते हैं या उद्योग आधारित. हाल ही में मोमेंटम झारखंड का आयोजन हुआ था. उसमें तीन लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव आये, जिससे छह लाख लोगों को रोजगार मिल पायेगा.
एक रोजगार के अवसर सृजन करने में 50 लाख रुपये खर्च करने होंगे. झारखंड में 10 वर्षों में 10 लाख नौकरियां सृजित करने की आवश्यकता है. हम 480 करोड़ की बिजली प्रत्येक माह खरीद रहे हैं. वसूली हो रही है 220 करोड़. ऐसे में 24 गुना सात दिन की बिजली कैसे संभव है.
राजधानी की ही बातें करें, तो होल्डिंग से 11 करोड़ मिलते हैं, पर नगर निगम का स्थापना खर्च 30 करोड़ है. ऐसे में बगैर पैसे के सुविधाएं कैसे मिल पायेंगी. इस अवसर पर ऊर्जा सचिव नितिन मदन कुलकर्णी, चैंबर अध्यक्ष विनय अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष और अन्य मौजूद थे.
सामूहिकता पर विचार करें : महेश पोद्दार
राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि राज्य के विकास के लिए संपूर्णता पर विचार करना होगा. उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में छोटी इकाइयों के लिए गंदे पानी की निकासी को लेकर इफ्लूएंट प्लांट नहीं है. उद्यमी आज भी सड़क के किनारे औद्योगिक कचरा फेंकने को विवश हैं. झारखंड में लौह अयस्क खदानें बंद हैं. स्टील के क्षेत्र में मंदी है. ऑनलाइन बिजली कनेक्शन के आवेदनों पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री के सचिव सुनील वर्णवाल ने कहा कि राज्य में कोयले का व्यवसाय करनेवाले सभी व्यापारियों को निबंधन कराना होगा. इसके लिए नियम बनाये जा रहे हैं. उद्यमियों को सरकारी व्यवस्था से दिक्कत है, तो सिंगल विंडो सिस्टम में शिकायत करें. सरकार ने उद्योगों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए योजना बनायी है.
टेक्सटाइल नीति में प्रत्येक नियोजित होनेवाले व्यक्ति के बाबत नियोजकों को छह हजार रुपये दिये जायेंगे. इसके अलावा भविष्य निधि नीति के तहत भी प्रोत्साहन राशि दी जायेगी. ऑनलाइन आधार पर चीजों को लाया जा रहा है. उद्यमियों, व्यापारियों को सहूलियत मिलेगी. सरकार संवादहीनता की स्थिति भी सुधार रही है. उद्योगों की समस्याओं के लिए शिकायत प्रकोष्ठ गठित किया गया है. बावजूद इसके शिकायतकर्ता व्यक्तिगत रूप से मिल कर शिकायत करने को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने कहा कि सिंगल विंडो सिस्टम के जरिये अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जा रही है.
राज्य के ऊर्जा सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा कि ट्रांसफारमर बदलने की शिकायत अब ऑनलाइन कर दी गयी है. उपभोक्ता अब मोबाइल फोन से इसके लिए शिकायत दर्ज करा सकेंगे. नया कनेक्शन भी सेवा की गारंटी अधिनियम के तहत सात दिनों में दिया जायेगा.
हालांकि इसकी स्थिति ठीक नहीं है. तीन हजार लोगों ने नये कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था, जिनमें से 33 लोगों को कनेक्शन दिया गया. सरकार की तरफ से ऊर्जा मित्रों की बहाली की गयी है, जो बिजली बिल भी लेंगे. उन्होंने पावर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट बदलने की भी अपील की.
सभा में व्यापारियों ने कहा : झारखंड में बगैर लिफाफे का नहीं होता है कोई कामचेंबर भवन में आयोजित सभा में विभिन्न व्यावसायिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि झारखंड में बगैर लिफाफे के कोई काम नहीं होता है. उन्होंने फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से आयोजित सरकारी अफसरों के साथ बातचीत कार्यक्रम में यह बातें कही.
गिरिडीह, बोकारो, पश्चिमी सिंहभूम, जमशेदपुर, साहेबगंज और अन्य जगहों से आये व्यापारियों, उद्यमियों ने सरकार की बिक्री कर से संबंधित कई नीतियों, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के कार्यकलापों, परिवहन विभाग में जिला परिवहन पदाधिकारी की कमी, मार्केटिंग बोर्ड परिसर में सुविधाओं के लिए शुल्क की वसूली किये जाने, खनन विभाग के अधिकारियों का फरमान, उद्योग विभाग की नीतियों का अमल नहीं होने का मामला उठाया. बैठक की अध्यक्षता चेंबर अध्यक्ष विनय अग्रवाल ने की, जबकि संचालन रंजीत गाड़ोदिया ने किया.
वन विभाग की जमीन पर बने तालाब : निर्मल
गिरिडीह से आये निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि सरकार वन विभाग की जमीन पर छह-छह फिट का तालाब बनवाये. पठारी इलाकों में 40 फीट की बोरिंग राजस्थान की तरह करायी जाये. झारखंड सरकार की खनन नीति नहीं आयी है. इससे ढिबरा की नीलामी नहीं हो रही है. जीएसटी लागू होने से यह सेक्टर बरबाद हो जायेगा.
आयडा के अधिकारी बेच रहे हैं जमीन : प्रमोद कुमार
आदित्यपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि आयडा के अधिकारी जमीन बेचने का काम कर रहे हैं. एक ही जमीन को कई बार ई-बिडिंग के जरिये बेचा जा रहा है. आयडा में बसे सभी उद्योगों से एकमुश्त समझौता किया जाये. 60 हजार की राशि अब सात लाख हो गयी है.
बगैर घूस के आयडा में कुछ नहीं होता.
पर्यटन नीति में नहीं मिल रही सुविधा : प्रभाकर सिंह
सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव प्रभाकर सिंह ने कहा कि सरकार की पर्यटन नीति से यहां और बाहर के निवेशकों को सुविधा नहीं मिल रही है. निवेशकों को नियमों के अनुसार छह माह तक की छूट देने की बातें कही गयी थी. इस पर अब तक अमल नहीं किया गया.
कोयला व्यापारियों के लिए निबंधन शर्त न हो : निखिल
कोल ट्रेडर्स एसोसिएशन के निखिल टिकमानी ने खान विभाग की तरफ से कोयला व्यवसायियों के निबंधन की शर्त को समाप्त करने की मांग की. उन्होंने कहा कि कोयला व्यवसाय से 26 हजार लोग जुड़े हैं. अब सरकार ने इनका निबंधन जरूरी कर दिया है
गोचर की जमीन से नहीं होगा विकास : रंजीत
जेसिया के पूर्व अध्यक्ष रंजीत टिबड़ेवाल ने कहा कि झारखंड सरकार जिस भूमि बैंक की बातें कर रही है, वह गोचर की जमीन है. यहां उद्योग नहीं लग सकते हैं. जो उद्योगपति यहां आ रहे हैं, उनसे 7.50 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की मांग की जा रही है. उन्होंने औद्योगिक भूमि पर बहुमंजिली इमारतें बनाये जाने का भी विरोध किया.
हम एलियन नहीं, इनसान हैं : विकास सिंह
चेंबर के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि उद्योगपति एलियन नहीं इनसान हैं. उन्होंने कहा कि नौकरशाह उद्यमियों की बातों को कभी सुनना नहीं चाहते हैं. समय बदल रहा है. सरकारी नीतियों में भी बदलाव होना चाहिए. बगैर किसी योजना के कोई काम नहीं होना चाहिए.
कृषि मंडी में बढ़ायी जाये सुविधाएं : हरि कनोडिया
व्यवसायी हरि कनोडिया ने कहा कि कृषि मंडी परिसर में साफ-सफाई की सुविधा नहीं है. यहां पर सरकार शुल्क लेकरये सुविधाएं उपलब्ध कराये. नो इंट्री के फरमान से व्यवसायियों को हो रही परेशानी से भी निजात दिलायी जाये, क्योंकि दूसरे शहरों में ऐसा नहीं है.
फूड प्रोसेसिंग उद्योगों को नियमों से परेशानी : राज
बोकारो से आये राज कुमार जायसवाल ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग उद्योगों को बिक्री कर विभाग के नियमों से परेशानी हो रही है. सी फार्म नहीं दिया जा रहा है. निबंधन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इससे बिक्री कर के नियमों में फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमी उलझ गये हैं.
उद्योगों को मालिकाना हक मिले : चौधरी
जमशेदपुर से आये व्यवसायी आरके चौधरी ने कहा कि जिन उद्यमियों की इकाइयों का दस वर्ष हो गया है, उन्हें सरकार की तरफ से दी गयी जमीन पर मालिकाना हक दिया जाये. उन्होंने मेक इन इंडिया कार्यक्रम की तर्ज पर झारखंड की इकाइयों को भी बढ़ावा दिये जाने की बातें कही.
सरकार मेरा पैसा दिलवा दे : रूबी
केरला आयुर्वेद से जुड़ी रूबी ने कहा कि 2009 में स्वास्थ्य विभाग ने संस्था के साथ समझौता किया था. इसके तहत रांची, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा और खूंटी में केरला आयुर्वेद के केंद्र खोले गये. पर जो खर्च संस्था की ओर से किये गये, उसकी राशि अब तक नहीं मिली. सरकार अब कह रही है कि समझौता गलत था.
खनिजों पर दोहरा रॉयल्टी समाप्त हो : रायपत
रियल इस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन के चंद्रकांत रायपत ने कहा कि लघु खनिजों पर दोहरे रॉयल्टी की व्यवस्था समाप्त हो़ सरकार ने अप्रैल 2017 से मैटेरियल पर भी कर लेना शुरू कर दिया है, जिससे सड़क निर्माण से जुड़े लोगों को परेशानी होगी. उन्होंने शहर में जमीन के सर्किल रेट को कम करने की मांग की.
रीफ्रैक्टरियों को नहीं मिल रहा रॉ मेटेरियल : बजरंग
चिरकुंडा से आये बजरंग जालान ने कहा कि रीफ्रैक्टरियों को रॉ मेटेरियल नहीं मिल रहा है. पहले चिरकुंडा को रीफ्रैक्टरी हब बोला जाता था. अब कोल कंपनियां अपने ओवरबर्डन भी उद्यमियों को नहीं दे रही हैं. सरकार पहल करते हुए रीफ्रैक्टरी के लिए ओवरबर्डेन की खदान उपलब्ध कराये.
बस ऑनर्स एसोसिएशन के अरुण बुधिया ने कहा कि झारखंड में सिर्फ चार डीटीओ ही कार्यरत हैं. ऐसे में वाहन व्यवसाय से जुड़े लोगों को दिक्कत होती है़ सरकार टेस्टिंग केंद्रों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने, दुर्घटनाग्रस्त वाहनों का निरीक्षण करने की शक्तियां प्रदान करे. धनबाद में 21 हजार रुपये लेकर दिये जानेवाले भारी वाहनों के लाइसेंस के लिए दो किश्त तय करे.
चेंबर के पूर्व अध्यक्ष सज्जन सर्राफ ने कहा कि झारखंड सरकार कंपोजिट ड्रग लाइसेंस निर्गत करे. उन्होंने कहा कि राज्य में लाइसेंस निर्गत करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग नहीं होती है. एलोपैथी और होमियोपैथी के लिए एक ही लाइसेंस निर्गत हो. लाइसंेस निर्गत करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग नहीं होने से दवाईयों की खुलेआम कालाबाजारी होती है़
जेसिया के विनोद तुलस्यान ने कहा कि उद्योग विभाग में समस्याएं सुननेवाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन उद्योगों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, उसके लिए नियमों का जिक्र नहीं किया गया है. ऐसे में व्यापारियों को काफी परेशानी होगी. उद्योग धंधे से जुड़े व्यापारियों की बातें सुनने के लिए शिकायत प्रकोष्ठ भी नहीं है. ऐसे में उनके हित की कौन बात करेगा.
क्रशर एसोसिएशन के जी भगत ने कहा कि राज्य सरकार ने लघु खनिजों के लिए भी अब ऑक्शन सिस्टम शुरू कर दिया है. इसकी वजह से पुराने लीज का नवीकरण लटक गया है. तीन हजार पत्थर की खदान बंद हो चुके हैं. इससे राज्य के उद्योग-धंधों के विकास पर असर पड़ रहा है. यही हाल रहा, तो व्यापारियों को व्यवसाय के लिए दूसरे राज्यों का रूख करना होगा.
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