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प्रभात खबर ने झारखंड की 26 महिलाओं को दिया अपराजिता सम्मान

घर की तरह ही देश चलाने के लिए भी जरूरी है महिला-पुरुष की हिस्सेदारी रांची: प्रभात खबर द्वारा आयोजित अपराजिता सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा : महिलाएं देश की आधी आबादी हैं. आज कल महिलाओं के सशक्तीकरण की बात होती है, पर हम तो पहले से सशक्त हैं. हमारे […]

घर की तरह ही देश चलाने के लिए भी जरूरी है महिला-पुरुष की हिस्सेदारी
रांची: प्रभात खबर द्वारा आयोजित अपराजिता सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा : महिलाएं देश की आधी आबादी हैं. आज कल महिलाओं के सशक्तीकरण की बात होती है, पर हम तो पहले से सशक्त हैं. हमारे यहां महिलाओं को पूजा जाता है. वेदों में लिखा है कि जहां महिलाओं का सम्मान होता है, देवता वहीं बसते हैं. हमारे देश में हर सुबह लोग देवी की अाराधना करते हैं. उनसे शक्ति, शांति व सुख मांगते हैं. हां बीच में थोड़े समय के लिए महिलाओं को नजरअंदाज किया गया था, पर अब ऐसा नहीं है. इसके लिए हमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को धन्यवाद देना चाहिए. वह हमेशा कहते थे कि दुर्बल महिलाओं को सशक्त करके ही राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है. उन्होंने स्वयं सहायता समूह का कंसेप्ट दिया. समूह के जरिये महिलाओं को एकता की ताकत दी. आज देखिए, हर जगह महिला या सखी मंडल दिखायी देगी. जैसे घर चलाने के लिए महिला व पुरुष दोनों की हिस्सेदारी की आवश्यकता होती है, वैसे ही देश चलाने के लिए भी महिला व पुरुष दोनों की भागीदारी जरूरी है. आज हर क्षेत्र में महिलाएं नाम कर रही हैं. कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स से लेकर ओलिंपिक में भारत का मान बढ़ाने वाली साक्षी मलिक तक महिलाएं हैं. झारखंड जैसे राज्य में 70 फीसदी महिलाएं गांवों में बसती हैं. उनमें प्रतिभा की कमी नहीं है. परंतु अभावों और संसाधन की कमी के कारण उनकी प्रतिभा को सम्मान नहीं मिल पाता है. अपने उत्थान के लिए महिलाएं खुद आगे आ रहीं हैं. वह रोल माॅडल बन रही हैं. सशक्त महिलाओं को अपने जैसे ही रोल माॅडल बनाने होंगे. उनको अपनी प्रतिभा लोगों के बीच बांटनी होगी. दूसरे के चेहरों पर मुस्कान लाना होगा.

राज्यपाल ने कहा : वर्ष 2000 में अलग राज्य गठित होने के बाद भी झारखंड में लोगों के बारे में नहीं सोचा जा सका. परंतु अब स्थितियां बदल रहीं हैं. राज्य सरकार को धन्यवाद. अब काम हो रहा है. सरकार जोर-शोर से अपने काम में लगी है. हमें आगे बढ़ते रहना होगा. लोगों को समझाना होगा कि शिक्षा ही कुरीतियों से लड़ सकती है. शिक्षा बहुत जरूरी है. राज्यपाल ने कहा : दहेज के कारण परिवार तबाह हो रहे हैं. समाज बर्बाद हो रहा है. मैं खुद को किस्मत वाली मानती हूं कि मैं ऐसे समाज में जन्मी, जहां दहेज प्रथा नहीं है. महिलाओं को लेकर लोगों के सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. आदिवासी समाज की महिलाएं स्वतंत्र तो हैं, लेकिन वह साधन व शिक्षा विहीन हैं. यही उनके आगे बढ़ने में बाधक है. झारखंड के पास सब कुछ है, फिर भी महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है. हमें पता करना होगा कि हालात क्यों ऐसे हैं? हमें चीजें ठीक करनी होगी. श्रीमती मुरमू ने आयोजन के लिए प्रभात खबर की सराहना करते हुए कहा कि सम्मानित होनेवाली अपराजिताओं के योगदान की प्रशंसा की.
नारी सशक्तीकरण समय की मांग : राजबाला
सम्मान समारोह में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा : राज्य सरकार नारी सशक्तीकरण को गरीबी से लड़ने का हथियार बनाना चाहती है. इसी कड़ी में 70,000 सखी मंडल बनाये गये हैं. मनरेगा में योजनाओं की मापी का कार्य सखी मंडल करती हैं. 50,000 सखी मंडलों को इस काम में लगाया गया है. इन सखी मंडलों में शामिल पांच लाख से अधिक महिलाएं सालाना 6000 रुपये कमा रहीं हैं.

अपराजिताओं को सम्मानित करते हुए श्रीमती वर्मा ने कहा : किसी भी समुदाय, समाज, राज्य या देश के विकास का सूचना वहां की महिलाओं की शिक्षा, रोजगार व सामाजिक स्थिति होती है. महिलाएं ही समाज का निर्माण करती हैं. अच्छे समाज के लिए महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी जरूरी है. समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी में कमी होने से ठहराव आता है. वह ठहराव विकास के लिए अच्छा नहीं होता. ठहराव नहीं होने देने के लिए हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी. आज आधी आबादी हर क्षेत्र में पिछड़ी हुई है. हमारी केवल एक-तिहाई आधी आबादी आय करती हैं. केवल 10 फीसदी महिलाओं को संसाधनों की उपलब्धता है. परंतु काम में आधी आबादी की हिस्सेदारी दो-तिहाई हो जाती है. बात केवल भारत की नहीं है, वैश्विक स्तर पर भी आधी आबादी की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है. हम लिंग अनुपात की लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं. नारी सशक्तीकरण समय की मांग है. हालांकि इसकी प्रक्रिया लंबी और कठिन है. पर शुरुआत हो चुकी है. नारी सशक्तीकरण का अर्थ महिलाओं को पहचान व ताकत का एहसास कराना है. मुख्य सचिव ने आयोजन के लिए प्रभात खबर की सराहना करते हुए कहा कि अपराजिताओं के चेहरे की चमक प्रेरणा देती है. उनको सम्मानित करने का मौका मिलना गर्व की बात है.

प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा : प्रभात खबर ने नवरात्र में होनेवाली देवी पूजा को ही आगे बढ़ाते हुए नारी शक्ति को सम्मान देने का कार्यक्रम आयोजित किया है. यह प्रगति में महिलाओं के योगदान को सम्मान है. इसके पहले प्रभात खबर के एमडी कमल कुमार गोयनका ने अतिथियों का स्वागत किया. धन्यवाद ज्ञापन व्यवसाय प्रमुख विजय बहादुर ने किया. कार्यक्रम का संचालन राजश्री ने किया.
गायिका कविता सेठ ने अपनी गायिकी से समारोह को चार चांद लगाया
न तेरा खुदा कोई और है…
रांची: न तेरा खुदा कोई और है… न मेरा खुदा कोई और है, ये जो रास्ता है जुदा-जुदा मामला कोई और है…..जैसे सूफी गीत व संगीत का जादू चला रिम्स ऑडिटोरियम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में. मौका था प्रभात खबर द्वारा महिलाओं के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम अपराजिता का. ऑडिटोरियम में एसी की ठंडी हवाओं के बीच बैठे दर्शकों के सामने मशहूर गायिका कविता सेठ ने जैसे सूफी गाने प्रस्तुत करना शुरू किया, उसके आकर्षण से शायद ही कोई बच सका. देर शाम तक कविता सेठ की रूहानी आवाज ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा. उनकी बेहतरीन अावाज का जादू ही कुछ ऐसी था कि कार्यक्रम के अंत में दर्शकों ने वंस मोर..वंस मोर कहने से खुद को नहीं रोक पाये.
हम्द के साथ की शुरुआत खुदा की हुई इबादत : कविता सेठ ने कार्यक्रम की शुरुआत हम्द यानी खुदा की इबादत के साथ की. उन्होंने अपने गीत कि-बदल रहा है शब शहर में खुदा वही है, है जिसका जलवा नजर में खुदा वही है… की प्रस्तुति दी. गायिका की रूहानी आवाज धीरे-धीरे लोगों के दिल में उतरने लगी. सूफी गीतों की प्रस्तुति के दौरान कविता सेठ गानों की ताल, लय, मूल विद्या के बारे भी बताते जा रहीं थीं. उनका ऐसा करना हर गाने को दर्शकों के जेहन में उतार रही थी. इसके बाद से उन्होंने लगातार एक से बढ़ कर एक सूफी गानों की पेशकश की.

उन्होंने हजरत अमीर खुसरो की रचना छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना लड़ाइके…. की जैसे ही प्रस्तुति दी. हजरत अमीर खुसरो के इस कलाम पर तबला और वायोलिन का बेहतरीन सामंजस्य देखने को मिला.
मातृ फिल्म के गाने से मां को किया याद : कार्यक्रम में कविता सेठ ने अपने उन तमाम गानों को गाया, जिसे उन्होंने फिल्मों में गाया है. शुरुआत उन्होंने रवीना टंडन की आने वाली फिल्म मातृ के गाने अपनी बांहों में मुझको लपेटे हुए, तन से आंचल की सूरत को लपेटे हुए की प्रस्तुति दी. इसके बाद आने वाली फिल्म बेगम जान का गाना रे मुन तोरे ऐसी पड़ी है कि पुराना जमाना नया हो गया है. इसके बाद मोरा पिया मो से बोलत नाही…समेत कई गाने गाये.

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