रांची: माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में साहेबगंज में गंगा पर पुल और बंदरगाह बनाने का शिलान्यास अडानी समूह के कहने पर किया है. वह शनिवार को रांची के अरगोड़ा मैदान में आयोजित माकपा की जनसभा को संबोधित […]
रांची: माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में साहेबगंज में गंगा पर पुल और बंदरगाह बनाने का शिलान्यास अडानी समूह के कहने पर किया है. वह शनिवार को रांची के अरगोड़ा मैदान में आयोजित माकपा की जनसभा को संबोधित कर रहीं थीं.
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन कर आदिवासियों की जमीन हड़पने की साजिश रची है. राज्य सरकार ने अपनी वेबसाइट पर एक लाख एकड़ लैंड बैंक की घोषणा की है. यह सब गैर मजरूआ जमीन हैं, जहां आदिवासी, दलित व पिछड़े लोग रहते हैं. प्रधानमंत्री ने अपने झारखंड दौरे पर आदिवासियों की जमीन हड़पे जाने के मामले में कुछ भी नहीं कहा. झारखंड में भी मोमेंटम झारखंड का आयोजन कर निवेशकों को बुलाया गया. यह मात्र दिखावा था. सरकार ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संतालपरगना काश्तकारी अधिनियम में संशोधन कर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का काम किया है. यहां के भी बूचड़खाने बंद हो गये हैं. यह अल्पसंख्यकों के अधिकार का हनन है. उन्होंने रांची विश्वविद्यालय का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि किये जाने का भी विरोध किया.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार ने कहा है कि राज्य सरकार ने 99 फीसदी जनजातीय आबादी को जमीन का वनाधिकार पट्टा दे दिया है. सभी पट्टेधारकों को जमीन के कागजात के साथ-साथ उनके फोटोग्राफ युक्त दस्तावेज सौंपे गये हैं. सरकार की तरफ से दी गयी भूमि का वर्गीकरण और उसकी चौहदी तक अंकित है.
उन्होंने कहा कि 1978 जनवरी में त्रिपुरा में वामपंथी सरकार बनी. इसके बाद से वहां कई बदलाव आये हैं. जनजातीय आबादी के लिए आठवीं तक की शिक्षा मुफ्त की गयी. जमींदार और अन्य लोगों द्वारा हड़पी गयी आदिवासियों की जमीन के लिए मुआवजा दिया गया और विस्थापितों को सरकार की ओर से आवास दिया गया. केंद्रीय विश्वविद्यालय में जनजातीय भाषा में स्नातक और पीजी तक की पढ़ाई की सुविधा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड की भाजपा सरकार ने वन क्षेत्र में रहनेवाले लोगों की अनदेखी की है. यहां पर आदिवासियों की जमीन हड़पी जा रही है. इसका पार्टी के स्तर पर विरोध किया जायेगा. कार्यक्रम में ज्ञान शंकर मजूमदार, राजन दा समेत कई अन्य नेता मौजूद थे.