नयी दिल्ली/रांची:. केंद्र सरकार ने हैवी इंजीनियरिंग काॅरपोरेशन लिमिटेड (एचइसी) की 675.43 एकड़ जमीन झारखंड सरकार को हस्तांतरित करने को शुक्रवार को मंजूरी दे दी. इससे घाटे में चल रही इस कंपनी को 742.98 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिलेगी. इस सौदे से मिलनेवाली राशि का इस्तेमाल कंपनी के कर्मियों से जुड़े सांविधिक बकायों के […]
नयी दिल्ली/रांची:. केंद्र सरकार ने हैवी इंजीनियरिंग काॅरपोरेशन लिमिटेड (एचइसी) की 675.43 एकड़ जमीन झारखंड सरकार को हस्तांतरित करने को शुक्रवार को मंजूरी दे दी. इससे घाटे में चल रही इस कंपनी को 742.98 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिलेगी. इस सौदे से मिलनेवाली राशि का इस्तेमाल कंपनी के कर्मियों से जुड़े सांविधिक बकायों के भुगतान में किया जायेगा.
पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसका फैसला किया गया. जमीन के हस्तांतरण से झारखंड सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए जमीन भी मिल सकेगी.
100 एकड़ जमीन जीआरडीए को
एचइसी से मिलनेवाली 675.43 एकड़ जमीन में स्मार्ट सिटी के लिए 541 एकड़ रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन को दी जायेगी. 100 एकड़ जमीन जीआरडीए को दी जायेगी. शेष जमीन भू-राजस्व विभाग को मिलेगी. बताया गया कि सबसे पहले एचइसी से जमीन लेकर रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन के नाम रजिस्ट्री की जायेगी. इसके बाद स्मार्ट सिटी के विस्तृत मास्टर प्लान के लिए कंसलटेंट की नियुक्ति की जायेगी. मास्टर प्लान में ही तय होगा कि कहां पर क्या बनना है. कहां रेसिडेंशियल एरिया बनना है और कहां कॉमर्शियल कांप्लेक्स बनेंगे. सिवरेज ड्रेनेज से लेकर स्मार्ट वाटर सप्लाई तक के मास्टर प्लान बनाये जायेंगे.
क्या होगा स्मार्ट सिटी में
– सबसे पहले झारखंड अरबन प्लानिंग मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के निर्माण होगा. अरबन सिविक टावर व कन्वेंशन सेंटर का निर्माण भी होगा.
– अरबन सिविक टावर में ही स्मार्ट सिटी का कार्यालय होगा.
– सोलर बेस्ड स्मार्ट ग्रिड का निर्माण होगा
– स्मार्ट सिटी का जीअाइएस बेस्ड मास्टर प्लान बनेगा
– इसमें नॉलेज बेस्ड व स्किल बेस्ड टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर भी खोले जायेंगे.
– कॉमर्शियल टावर बनेंगे, जहां विभिन्न कंपनियों के कॉरपोरेट ऑफिस होंगे
रांची को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना पूरा होगा. एचइसी को मिलनेवाली राशि से काफी लाभ होगा. बकाया का भुगतान कर सकेगी.
– रघुवर दास, मुख्यमंत्री
केंद्र के दिशा-निर्देश पर राशि खर्च की जायेगी. राशि का उपयोग आधुनिकीकरण में हो, ताकि कंपनी दोबारा लाभ में आ सके.
-अभिजीत घोष, सीएमडी, एचइसी