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म्यूनिसिपल सर्वे प्लॉट की रसीद नहीं कट रही

रांची. राज्य में म्यूनिसिपल सर्वे (एमएस) प्लॉट की रसीद नहीं कट रही है. अंचल कार्यालयों और प्रज्ञा केंद्रों में रसीद कटाने के लिए जानेवाले लोगों को खतियान उपलब्ध नहीं होने की बात कह कर लौटा दिया जा रहा है. एमएस प्लॉट के लगान निर्धारण का काम भी बंद है. अकेले रांची जिले के विभिन्न अंचलों […]

रांची. राज्य में म्यूनिसिपल सर्वे (एमएस) प्लॉट की रसीद नहीं कट रही है. अंचल कार्यालयों और प्रज्ञा केंद्रों में रसीद कटाने के लिए जानेवाले लोगों को खतियान उपलब्ध नहीं होने की बात कह कर लौटा दिया जा रहा है. एमएस प्लॉट के लगान निर्धारण का काम भी बंद है. अकेले रांची जिले के विभिन्न अंचलों में एमएस प्लॉट के लगान निर्धारण और जमीन की रसीद कटाने के 10 हजार से अधिक आवेदन लंबित बताये जाते हैं.
इस बारे में रांची सदर सीओ धनंजय राय कहते हैं : एमएस प्लॉट सरकार में निहित नहीं है. एमएस प्लॉट स्थानीय निकाय द्वारा कराया गया सर्वे है. इस वजह से सरकार उस सर्वे को अपना नहीं मानती है. एमएस प्लॉट के बारे में सरकार का अलग आदेश है. रांची के उपायुक्त ने एमएस प्लॉट की जांच के बाद कार्यवाही का आदेश दिया है. इस वजह से जांच के बाद जमीन की रसीद काटी जा रही है. हालांकि, कर्मचारियों की कमी के कारण रफ्तार थोड़ी कम है. इसी वजह से आवेदन लंबित हैं.
क्या है एमएस प्लॉट
एमएस प्लॉट नगर निकायों द्वारा कराये गये जमीन के सर्वे के बाद तैयार किये गये खतियान को कहते हैं. एमएस प्लॉट केवल शहरी क्षेत्रों में होता है. सरकार का भू-राजस्व विभाग अलग सर्वे कराता है, जिसे रेवेन्यू सर्वे (आरएस) कहते हैं. झारखंड में एमएस सर्वे, आरएस सर्वे के पहले किये गये हैं. राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में आरएस सर्वे 1932 में किया गया था. जबकि, एमएस प्लॉट का खतियान 1928 के म्यूनिसिपल सर्वे के बाद तैयार किये गये थे.

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