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बेहतर उपज के लिए अपनाएं वैज्ञानिक तकनीक

नामकुम: पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण झारखंड में पड़ोसी राज्यों की तुलना में कृषि के लिए जोत व संसाधन दोनों की कमी है. इसके बावजूद अधिक उपज प्राप्त करना व किसानों की आय वृद्धि हमारा उद्देश्य होना चाहिए. इस कार्य में न सिर्फ कृषि वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है, बल्कि किसानों को भी आगे आना […]

नामकुम: पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण झारखंड में पड़ोसी राज्यों की तुलना में कृषि के लिए जोत व संसाधन दोनों की कमी है. इसके बावजूद अधिक उपज प्राप्त करना व किसानों की आय वृद्धि हमारा उद्देश्य होना चाहिए. इस कार्य में न सिर्फ कृषि वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है, बल्कि किसानों को भी आगे आना होगा.

यह बातें नामकुम स्थित आइआइएनआरजी परिसर में भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने कही. उन्होंने किसानों को सजग रहने तथा नयी तकनीकों व कृषि संबंधी जानकारियों के लिए किसान चैनल देखने पर भी जोर दिया. मंत्री ने धान के खेतों में मछली पालन तथा अन्य दिनों में मुर्गीपालन के माध्यम से घर के छोटे खर्च निकालने की भी बात किसानों से कही. जैविक खेती को अपनाने व रासायनिक खाद का प्रयोग कम करने की भी अपील की. वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ सुब्रत मंडल ने कहा कि झारखंड में वर्षा का अनुपात कम है. ऐसे में किसानों को फसल की सूखारोधी किस्म अपनाने की जरूरत है.

उन्होंने खेती से पूर्व मृदा जांच व स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर कृषि उपकरणों को प्रयोग में लाने की बात किसानों से कही. डॉ मंडल ने सरकार द्वारा संचालित किसानों के कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों की चर्चा भी की. मौके पर आइआइएनआरजी के निदेश डॉ केवल कृष्ण शर्मा, डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ वीके यादव, डॉ अंजेश कुमार सहित वैज्ञानिक व किसान उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन डॉ निर्मल कुमार ने किया.

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