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हड़ताल नहीं करें, तो क्या चोरी करें!

वेतन के लिए जारी है हड़ताल. रांची एमएसडब्ल्यू के सफाई कर्मचारी पूछ रहे सवाल शहर में सफाई का काम देख रही कंपनी रांची एमएसडब्ल्यू के 400 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों की हड़ताल शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी रही. इस वजह से शहर के विभिन्न हिस्सों में कचरा उठाने का काम ठप रहा. वहीं, मोरहाबादी, […]

वेतन के लिए जारी है हड़ताल. रांची एमएसडब्ल्यू के सफाई कर्मचारी पूछ रहे सवाल
शहर में सफाई का काम देख रही कंपनी रांची एमएसडब्ल्यू के 400 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों की हड़ताल शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी रही. इस वजह से शहर के विभिन्न हिस्सों में कचरा उठाने का काम ठप रहा. वहीं, मोरहाबादी, कांटाटोली और खेलगांव स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन में ताला लगा रहा और वाहन खड़े रहे. हड़ताल के दूसरे दिन बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी रांची नगर निगम कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गये. वे बकाया वेतन के भुगतान की मांग कर रहे थे. ‘प्रभात खबर’ संवाददाता ने जब हड़ताल के बाबत पूछा, तो इन सफाई कर्मचारियों का दर्द छलका. बोले, ‘तीन महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. ऐसे में हड़ताल नहीं करें, तो क्या चोरी करें?’
रांची : रांची एमएसडब्ल्यू के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से शहर तीन कचरा ट्रांसफर स्टेशनों (मोरहाबादी, कांटाटोली और खेलगांव) में कचरे के डिस्पैच का काम पूरी तरह ठप रहा.
मोरहाबादी कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर ताला जड़ा हुआ है. दर्जनों कचरा उठानेवाले छोटे-बड़े वाहन वहां शुक्रवार को दिन भर खड़े रहे. सभी सफाई कर्मचारी वहां से नदारद थे. दोपहर में एक कर्मचारी वहां मिला. पूछने पर उसने बताया कि जब तक पैसा नहीं मिलेगा, हम काम नहीं करेंगे. हमारे भी बच्चे हैं, उनके खाने के लिए हमारे पैसा नहीं है.’ चलते-चलते उसने सवाल भी दाग दिया, ‘पैसा नहीं मिलने पर आप काम करेंगे क्या?’
इधर, हड़ताल करनेवाले सफाई कर्मचारी शुक्रवार सुबह से ही रांची नगर निगम कार्यालय के समीप धरने पर बैठे हुए थे.
इनमें ज्यादातर महिला सफाई कर्मचारी शामिल थीं. उनका कहना था कि जब तक पैसा नहीं मिलेगा, तब तक सफाई नहीं होगी. हालांकि, सफाई कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल नगर निगम के अधिकारियों से भी मिला, लेकिन बात नहीं बनी. कुछ कर्मचारियों का कहना है कि नगर निगम और एजेंसी एक-दूसरे से जुड़े हैं. पैसा देने की जिम्मेवारी एजेंसी की है और दिलवाने की जिम्मेवारी नगर निगम की है.
सड़कों और गली-मोल्लों पर जमा है कचरा : राजधानी में जिन क्षेत्रों की सफाई का जिम्मा रांची एमएसडब्लू को दिया है, वहां शुक्रवार को भी सफाई नहीं हुई. मोरहाबादी, बरियातू, न्यूनगर, दीपाटोली, एचबी रोड, चुटिया, सामलौंग, कांटाटोली एवं कोकर सहित कई इलाकों में कर्मचारी कचरा उठाने नहीं आये. कई स्थानों पर बड़ी मात्रा कचरा जमा हाे गया है. वहीं, गली-मोहल्लों में काफी इंतजार के बाद जब कचरा उठानेवाले नहीं आये, तो लोगों ने इधर-उधर कचरा फेंकना शुरू कर दिया है.
बेटी को है लकवा, स्कूल भी छूट गया
सफाई कर्मचारी गीता कच्छप की 19 साल की बेटी उर्स लाइन स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन उसके लकवा हो गया है. अब वह स्कूल भी नहीं जा पा रही है. उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह बेटी का इलाज करा सके. इधर, तीन महीने से उसे वेतन नहीं मिला है. पैसा मांगने पर एजेंसीवाले कहते हैं कि पैसा खाता में चला जायेगा. काफी गुहार लगाने पर होली में एक हजार रुपये मिले थे. भरोसा दिलाया गया था कि अब वेतन समय पर मिलेगा, लेकिन अब तक नहीं मिला. ऐसे में हड़ताल नहीं करें, तो क्या चोरी करें?
बेटी को खून की कमी, नहीं करा पा रही इलाज
सफाई कर्मचारी प्रतिमा देवी ने बताया कि उसकी बेटी बीमार है. डॉक्टर ने उसे खून की कमी होने की समस्या बतायी है. तीन माह से वेतन नहीं मिलने की वजह से वह बेटी का इलाज नहीं करा पा रही है. वह कहती है ‘हमारे पास खाने के लिए पैसा नहीं है, तो बेटी का कैसे इलाज करायें? किसी से पैसा मांगने जाओ, तो टका सा जवाब मिलता है. ऐसे में हम क्या करें, समझ में नहीं आता है. एजेंसी मालिक से नगद पैसा मांगने पर कहता है कि नगद पैसा नहीं मिलता है, खाता में पैसा जायेगा.
राशनवाला नहीं देता सामान, रोज होती है बकझक
रांची एमएसडब्ल्यू की सफाई कर्मचारी बंधनी देवी ने कहा कि दिसंबर से वेतन नहीं मिला है. इसके बावजूद हम वेतन मिलने के आस में काम किये जा रहे थे. कब पैसा मिलेगा, पता नहीं है. राशनवाला पैसा नहीं देने के कारण सामान नहीं देता है. रोज दुकान में बकझक होती है.
इधर, कंपनी अधिकारी से पैसा मांगने पर वह कहता है कि पैसा खाता में जायेगा. हम कुछ नहीं कर सकते हैं, क्योंकि नगर निगम से पैसा नहीं मिला है. कुछ ऐसा ही हाल सफाई कर्मचारी तीतमुखी देवी का भी है. उसे भी तीन माह से वेतन नहीं मिला है. घर की माली हालत इतनी खस्ता है कि गुजार मुश्किल हो रहा है. वह जनप्रतिनिधियों को भी कोसती है. कहती है कि इतने नेता राजधानी में हैं, लेकिन किसी को भी उनकी समस्या की परवाह नहीं है.

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