देवघर के डीडीएमओ राजीव रंजन के पुत्र को लीवर की गंभीर बीमारी है. उनको बेटे के ईलाज के लिए हर महीने दिल्ली जाना पड़ता है. इसमें अच्छी-खासी राशि भी खर्च होती है. पिछले चार महीने से वह उधार लेकर बेटे का ईलाज करा रहे हैं. श्री रंजन कहते हैं : अपनी परेशानी लेकर गृह सचिव के पास भी गया था. उन्होंने सकरात्मक रूख दिखाते हुए मामला कैबिनेट के समक्ष रखने का भरोसा दिलाया है. पर, समय जैसे-जैसे बीत रहा है, ड्यूटी पर डटे रहना मुश्किल होता जा रहा है. आपदा प्रबंधन की दृष्टि से देवघर बहुत संवेदनशील जगह है. इसे ऐसे छोड़ कर भी नहीं जा सकता. सिर पर कर्ज बढ़ता जा रहा है. मैं तो फंस गया हूं.
साहेबगंज के डीडीएमओ अमित राजदीप की स्थिति भी ठीक नहीं है. वह बताते हैं : पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिलने पर इतने आर्थिक संकट में घिर गया हूं कि पत्नी की डिलिवरी तक कराने के पैसे नहीं थे. पत्नी को लेकर रांची आया. अभिभावकों और दोस्तों से उधार लेकर पत्नी की डिलिवरी करायी. बिना वेतन के काम करना मुश्किल हाेता जा रहा है. दूसरी ओर सरकार कुछ साफ नहीं कर रही है. राज्य में आपदा प्रबंधन के बारे में ठोस निर्णय लेने की जरूरत है. या तो प्रबंधन की तैयारी करनी चाहिए, या तय कर लेना चाहिए कि आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नहीं करना है. इधर, सेवा विस्तार में हो रहे विलंब और बिना वेतन के काम करने वाले कुछ डीडीएमओ ऐसे भी हैं, जो काम छोड़ कर जा रहे हैं. रांची के आपदा प्रबंधन पदाधिकारी अशोक शर्मा ने सेवा विस्तार में हो रही देरी को देखते हुए कार्यालय जाना बंद कर दिया है. उनसे संपर्क करने पर वह फिलहाल ड्यूटी पर नहीं होने की बात करते हैं. लेकिन, इसके साथ ही वह जोड़ते हैं कि सरकार जब बुलायेगी, तब ड्यूटी पर आ जायेंगे. बिना वेतन के काम करना मुश्किल है.