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खुद आपदा में हैं राज्य के आपदा प्रबंधन पदाधिकारी

रांची: झारखंड के जिलों में पदस्थापित आपदा प्रबंधन पदाधिकारी परेशानी में हैं. अक्तूबर 2016 से राज्य के किसी जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी (डीडीएमओ) को वेतन नहीं मिला है. उधार के रुपयों से उनके घर का चूल्हा जल रहा है. देवघर और साहेबगंज के डीडीएमओ गहरे संकट में हैं. देवघर के डीडीएमओ राजीव रंजन के पुत्र […]

रांची: झारखंड के जिलों में पदस्थापित आपदा प्रबंधन पदाधिकारी परेशानी में हैं. अक्तूबर 2016 से राज्य के किसी जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी (डीडीएमओ) को वेतन नहीं मिला है. उधार के रुपयों से उनके घर का चूल्हा जल रहा है. देवघर और साहेबगंज के डीडीएमओ गहरे संकट में हैं.

देवघर के डीडीएमओ राजीव रंजन के पुत्र को लीवर की गंभीर बीमारी है. उनको बेटे के ईलाज के लिए हर महीने दिल्ली जाना पड़ता है. इसमें अच्छी-खासी राशि भी खर्च होती है. पिछले चार महीने से वह उधार लेकर बेटे का ईलाज करा रहे हैं. श्री रंजन कहते हैं : अपनी परेशानी लेकर गृह सचिव के पास भी गया था. उन्होंने सकरात्मक रूख दिखाते हुए मामला कैबिनेट के समक्ष रखने का भरोसा दिलाया है. पर, समय जैसे-जैसे बीत रहा है, ड्यूटी पर डटे रहना मुश्किल होता जा रहा है. आपदा प्रबंधन की दृष्टि से देवघर बहुत संवेदनशील जगह है. इसे ऐसे छोड़ कर भी नहीं जा सकता. सिर पर कर्ज बढ़ता जा रहा है. मैं तो फंस गया हूं.

साहेबगंज के डीडीएमओ अमित राजदीप की स्थिति भी ठीक नहीं है. वह बताते हैं : पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिलने पर इतने आर्थिक संकट में घिर गया हूं कि पत्नी की डिलिवरी तक कराने के पैसे नहीं थे. पत्नी को लेकर रांची आया. अभिभावकों और दोस्तों से उधार लेकर पत्नी की डिलिवरी करायी. बिना वेतन के काम करना मुश्किल हाेता जा रहा है. दूसरी ओर सरकार कुछ साफ नहीं कर रही है. राज्य में आपदा प्रबंधन के बारे में ठोस निर्णय लेने की जरूरत है. या तो प्रबंधन की तैयारी करनी चाहिए, या तय कर लेना चाहिए कि आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नहीं करना है. इधर, सेवा विस्तार में हो रहे विलंब और बिना वेतन के काम करने वाले कुछ डीडीएमओ ऐसे भी हैं, जो काम छोड़ कर जा रहे हैं. रांची के आपदा प्रबंधन पदाधिकारी अशोक शर्मा ने सेवा विस्तार में हो रही देरी को देखते हुए कार्यालय जाना बंद कर दिया है. उनसे संपर्क करने पर वह फिलहाल ड्यूटी पर नहीं होने की बात करते हैं. लेकिन, इसके साथ ही वह जोड़ते हैं कि सरकार जब बुलायेगी, तब ड्यूटी पर आ जायेंगे. बिना वेतन के काम करना मुश्किल है.
क्या है मामला
राज्य में आपदा प्रबंधन पदाधिकारियों की नियुक्ति वर्ष 2015 में की गयी थी. यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के तहत जिलों में आपदा प्रबंधन पदाधिकारियों को पदस्थापित किया गया था. राज्य सरकारा द्वारा यूएनडीपी को एक वर्ष के लिए लगभग एक करोड़ रुपये उपलब्ध करायी गयी थी. अगस्त 2016 में यूएनडीपी के साथ राज्य सरकार का करार समाप्त हो गया. फिर इसे एक महीने का अवधि विस्तार दिया गया. लेकिन, उसके बाद से अब तक इस पर आगे काम नहीं किया जा सका. जिलों में डीडीएमओ उपायुक्तों के माध्यम से सरकार को रिपोर्ट भेजते हैं. अवधि विस्तार समाप्त होने के बाद भी उपायुक्तों ने डीडीएमओ से काम लेना जारी रखा. उन्होंने जरूरत बताते हुए अवधि विस्तार की अनुशंसा भी की. हालांकि, अब तक इस बारे में निर्णय नहीं लिया गया है. जिलों में डीडीएमओ बिना वेतन के कार्यरत हैं.

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